#NewsBytesExpainer: स्वीडन में शुरू होगी पहली इलेक्ट्रिफाइड सड़क, इस पर कैसे चार्ज होंगे वाहन?
दुनियाभर में इलेक्ट्रिक वाहनों को काफी पसंद किया जा रहा है। इनसे जुड़ी नई-नई तकनीक की भी खोज हो रही है। इसी कड़ी में स्वीडन 2025 में दुनिया की पहली इलेक्ट्रिफाइड रोड (आसान भाषा में इलेक्ट्रिक सड़क) शुरू करने जा रहा है। इस पर चलते-चलते ही इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज किया जा सकेगा। इलेक्ट्रिक गाड़ियों की चार्जिंग को आसान बनाने के लिए इलेक्ट्रिक रोड बनाए जा रहे हैं। आइये जानते हैं इलेक्ट्रिक रोड क्या है और यह कैसे काम करेगा।
2035 तक 3,000 किलोमीटर इलेक्ट्रिक रोड बनाने की है योजना
स्वीडन में इलेक्ट्रिक सड़क परियोजना के लिए E20 हाइवे को चुना गया है, जो स्टॉकहोम, गोथेनबर्ग और माल्मो जैसे प्रमुख शहरों को जोड़ता है। अगर यह रोड सफल रहा तो 2035 तक यहां लगभग 3,000 किलोमीटर तक की सड़कों को इलेक्ट्रिक बनाने की योजना पर काम शुरू हो जाएगा। यूरो न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस इलेक्ट्रिफाइड हाईवे को इलेक्ट्रिक रोड सिस्टम (ERS) के नाम से जाना जाएगा।
इलेक्ट्रिक रोड क्या है?
आमतौर पर रोड पर चलने वाली गाड़ी पेट्रोल, डीजल या CNG से चलती है, लेकिन इलेक्ट्रिक रोड एक ऐसा रोड होगा, जिस पर सभी इलेक्ट्रिक वाहन चलेंगे और चार्ज भी होंगे। इनके ऊपर इलेक्ट्रिक तार लगे होंगे। ट्रेन की तरह इस रोड पर चलने वाले वाहनों को इन तारों से पावर मिलेगी। यहां आप अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ी को बिना चार्जिंग की चिंता किए चला सकेंगे। इलेक्ट्रिक रोड पर इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए चार्जिंग पॉइंट भी लगे होंगे।
रोड पर चार्जिंग के लिए इस्तेमाल होंगे ये तकनीक
इलेक्ट्रिक रोड पर 3 तरह के चार्जिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जायेगा। ग्राऊंड बेस्ड कंडक्टिव चार्जिंग- कंडक्टिव चार्जिंग का इस्तेमाल कार और छोटी गाड़ियों के लिए किया जायेगा। इसमें इलेक्ट्रिक तारों को रोड के बीच से ले जाया जाएगा। कंडक्टर स्टिक की मदद से इलेक्ट्रिक गाड़ियां इन तारों से बिजली प्राप्त करेंगी। कैटेनरी तकनीक- इसका उपयोग बसों के लिए किया जाएगा। कंडक्टर स्टिक ये बसें रोड के ऊपर लगे इलेक्ट्रिक तारों से पावर लेंगी।
इलेक्ट्रिक रोड में किया जाएगा इंडक्टिव चार्जिंग का भी इस्तेमाल
तीसरा इलेक्ट्रिक रोड में इंडक्टिव अंडर-रोड चार्जिंग सिस्टम का इस्तेमाल भी किया जाएगा। यह तकनीक मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाली वायरलेस चार्जिंग से काफी मिलती-जुलती है। इसमें सड़क के नीचे एक पैड या प्लेट लगा दी जाएगी और एक रिसीविंग कॉइल से लैस इलेक्ट्रिक वाहन इसके ऊपर से गुजरते ही चार्ज होने लगेंगे। स्वीडन के अलावा जर्मनी और अमेरिका में भी इंडक्टिव चार्जिंग सिस्टम की टेस्टिंग की जा चुकी है।
स्वीडन में पहले भी इस्तेमाल किया जा चुका है इलेक्ट्रिक रोड
2016 में स्वीडन में ओवरहेड इलेक्ट्रिक लाइनों वाली 2 किलोमीटर की सड़क शुरू की गई थी, जहां पैंटोग्राफ का उपयोग करके वाहनों को रिचार्ज किया जा सकता था। वहीं 2018 में स्टॉकहोम और रोजर्सबर्ग के बीच इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए दुनिया की पहली चार्जिंग रेल शुरू की गई। इसमें ट्राम की तरह इलेक्ट्रिक बसों को चार्ज किया जाता था। इसके बाद 2020 में विस्बी में एक वायरलेस इलेक्ट्रिक रोड बनाया गया था।
क्या भारत में भी बन रहा है इलेक्ट्रिक हाइवे?
पिछले साल केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने देश के कई हिस्सों में इलेक्ट्रिक हाईवे निर्माण किए जाने की बात कही थी। इस समय सरकार दिल्ली से जयपुर के बीच इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने की तैयारी कर रही है। गडकरी ने राजस्थान के दौसा में इसकी घोषणा की थी। यह पूरी तरह इलेक्ट्रिक होगा और पूरी तरह तैयार होने के बाद ये देश का पहला ई-हाईवे होगा। गौरतलब है कि सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है।