#NewsBytesExplainer: क्या होते हैं फिचर फिल्म, डॉक्यूमेंट्री, धारावाहिक और कंटेंट के अन्य प्रकार? विस्तार से जानिए
क्या है खबर?
कंटेंट स्ट्रीमिंग के विस्तार के साथ ही कंटेंट का भी हर तरह से विस्तार हो रहा है। फिल्म निर्माता अब सिर्फ 3 घंटे की फिल्म नहीं बना रहे, बल्कि कई तरह के प्रयोग कर रहे हैं।
पुरस्कार समारोह में आप अकसर फिल्मों की अलग-अलग श्रेणियों के बारे में सुनते हैं, जैसे फीचर फिल्म, डॉक्यूमेंट्री, डॉक्यु ड्रामा आदि।
आइए समझते हैं क्या होती हैं विजुअल कंटेंट की ये अलग-अलग विधाएं और जानते हैं इनके बीच के अंतर को।
#1
फीचर फिल्म
फीचर फिल्म या फुल लेंथ फिल्म, फिल्मी दुनिया में सबसे आम फिल्मों में से एक है।
यह मुख्य रूप से अपने रन टाइम से पहचानी जाती है। फीचर फिल्म 80 से 180 मिनट तक की होती हैं।
हालांकि, अलग-अलग संस्था अलग-अलग रन टाइम को मानती हैं।
अकैडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आर्ट्स ऐंड साइंसेज कम से कम 40 मिनट तक की फिल्म को फीचर फिल्म मानती है।
सिनेमाघरों में लगने वाली फिल्में फीचर फिल्म होती हैं।
#2
शॉर्ट फिल्म
द अकैडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आर्ट्स ऐंड साइंसेज की परिभाषा के अनुसार, शॉर्ट फिल्म वो मोशन पिक्चर है जिसका कि क्रेडिट समेत रन टाइम 40 मिनट या उससे कम हो।
फिल्ममेकर्स आमतौर पर शॉर्ट फिल्म को बनाना इसलिए चुनते हैं, क्योंकि यह बेहद कम बजट में बन जाती है। इसकी मेकिंग भी फीचर फिल्म के मुकाबले काफी सरल होती है।
OTT प्लेटफॉर्म्स की वजह से फिल्म निर्माता शॉर्ट फिल्मों के साथ खूब प्रयोग कर रहे हैं।
#3
डॉक्यूमेंट्री
यह फिल्मों की गैर काल्पनिक विधा होती है। इसका मकसद किसी असल घटना की सच्चाई या प्रक्रिया का चित्रण करना होता है। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि यह किसी घटना का दस्तावेज होती है।
फिल्ममेकर लोगों के बयान, तस्वीरें या अन्य ऑडियो-विजुअल साक्ष्य को मिलाकर इसे बनाते हैं।
यह अकसर किसी घटना के अनदेखे या दिलचस्प पहलू को सामने लाने के लिए बनाई जाती हैं। डॉक्यूमेंट्री की अवधि को लेकर कोई सीमा तय नहीं है।
#4
डॉक्यु ड्रामा
डॉक्यु ड्रामा की परिभाषा इसके नाम में ही छिपी है, डॉक्यूमेंट्री और ड्रामा।
यह भी डॉक्यूमेंट्री की तरह असल घटनाओं का दस्तावेज होती है, लेकिन इसके फिल्मांकन में सिर्फ तथ्य न होकर नाट्य रूपांतरण भी शामिल होता है।
समाचार चैनलों में डॉक्यु ड्रामा दिखाने का प्रचलन बढ़ा है। कई चैनल अपराध पर आधारित डॉक्यु ड्रामा के कार्यक्रम दिखाते हैं। कंटेंट स्ट्रीमिंग साइट्स पर भी इनका प्रचलन देखने को मिलता है।
#5
वेब सीरीज
पिछले कुछ सालों में वेब सीरीज मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय साधन बनकर उभरा है। OTT प्लेटफॉर्म पर वेब सीरीज की भरमार है।
ऐसी कहानियां, जिन्हें फिल्मों की अवधि की सीमा में नहीं दिखाया जा सकता है, उन्हें वेब सीरीज के रूप में दिखा सकते हैं। ये छोटे-छोटे एपिसोड की श्रृंखला (सीरीज) होती है। इसे नए सीजन के तौर पर भी विस्तार दिया जा सकता है।
अमूमन वेब सीरीज के एक सीजन में 40-50 मिनट के 6-10 एपिसोड होते हैं।
#6
धारावाहिक
एक बड़ी कहानी को एक-एक एपिसोड के जरिए मनोरंजक तरीके से प्रस्तुत करना टीवी धारावाहिक कहलाता है। इन्हें इस तरह प्रस्तुत किया जाता है कि दर्शक अगले भाग के लिए जुड़े रहें। धारावाहिकों में निर्माताओं के लिए प्रयोग के भरपूर मौके होते हैं। टीवी धारावाहिक कॉमेडी, रोमांस, पौराणिक जैसे अलग-अलग श्रेणी में बनते हैं।
धारावाहिक का एक एपिसोड 30 मिनट या 1 घंटे का होता है। कहानी और लोकप्रियता के आधार पर धारावाहिक कई साल तक चल सकते हैं।
#7
ऐड फिल्म
यह फिल्ममेकिंग की बाकी विधाओं से अलग है क्योंकि इसका मकसद मनोरंजन नहीं, बल्कि किसी उत्पाद का प्रचार करना होता है।
यह बेहद छोटे और ग्राहकों पर लक्षित होते हैं। आमतौर पर ऐड फिल्म कुछ सेकेंड के होते हैं, लेकिन इन दिनों सामाजिक संदेश वाले विज्ञापनों का चलन बढ़ा है। ऐसे में ये 2-3 मिनट या उससे ज्यादा के भी बनने लगे हैं।
फिल्मों की तरह ही विज्ञापनों के लिए भी शूटिंग से पहले स्क्रिप्ट आदि तैयार करनी होती है।