भारत में सड़क किनारे चलना खतरनाक, 99 प्रतिशत पैदल यात्रियों को चोट का खतरा- स्टडी
क्या है खबर?
टेक कंपनी बॉश लिमिटेड ने 7वें संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान भारत में पैदल यात्री सुरक्षा की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए एक रिपोर्ट पेश की है।
"इंडियन पैडेस्ट्रियन बिहेवियर" नाम वाली इस स्टडी में पैदल यात्रियों को लेकर खतरनाक आंकड़े सामने आए हैं। रिपोर्ट की मानें तो देश में 99 प्रतिशत पैदल यात्रियों को सड़क दुर्घटना में चोट का खतरा रहता है।
इसमें सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए उपायों की भी मांग की गई है।
सुरक्षा
अधिक है पैदल यात्रियों को चोट का खतरा
आपको बता दें कि भारत में हर साल सड़क हादसों में बड़ी संख्या में मौतें होती हैं।
साल 2021 में देश में करीब 29,200 पैदल यात्रियों की मौतें हुईं हैं। इस दौरान लगभग 60,000 पैदल यात्रियों को यातायात दुर्घटनाओं में चोटें आईं।
भारत में सड़क दुर्घटनाओं में पूरे यूरोप और जापान से ज्यादा मौतें हुई हैं।
बता दें कि साल 2021 में सड़क दुर्घटनाओं की वजह से 1.5 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी।
मांग
पैदल चलने वालों की दुर्घटनाओं को कम करने की की गई है मांग
बॉश कंपनी की यह रिपोर्ट भारत में पैदल यात्रिओं की सुरक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करती है। इसमें अधिकारियों, नीति निर्माताओं और यात्रियों को समान रूप से सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता देने मांग की गई है।
इसके अलावा बेहतर बुनियादी ढांचे और भारत के सड़क मार्गों से गुजरने वाले पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए जागरूकता अभियान की भी मांग की गई है।
सामूहिक प्रयासों से ही देश में पैदल चलने वालों की दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है।
यात्री
भारत में अधिक दुर्घटनाओं के शिकार क्यों होते हैं पैदल यात्री?
रिपोर्ट की मानें तो देश में पैदल यात्री अक्सर वाहनों को गुजरने देने के लिए सड़क के बीच में ही रुक जाते हैं, जो इन हादसों का मुख्य कारण है। हालांकि, पश्चिमी देशों में ऐसा नहीं है, यहां वाहन चालक पैदल चलने वालों को प्राथमिकता देते हैं।
इसके अलावा ग्रामीण सड़कों पर पैदल चलने वालों को चोट का अधिक खतरा है। रात की तुलना में दिन में यहां अधिक हादसे होते हैं।
जानकारी
क्या कहते हैं आंकड़े?
भारत के रोड एक्सीडेंट सैंपलिंग सिस्टम (RASSI) से 6,300 से अधिक मामलों पर आधारित विश्लेषण के अनुसार, लगभग 91 प्रतिशत दुर्घटनाओं के लिए मानवीय त्रुटि जिम्मेदार है, जबकि बुनियादी ढांचे और वाहन कारकों के कारण क्रमशः 63 प्रतिशत और 44 प्रतिशत हादसे होते हैं।
दुर्घटना
भारत में हर 4 मिनट में होती है 1 मौत
पिछले साल आई विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में सड़क हादसों में भारत में सबसे अधिक मौतें होती हैं। भारत में दुनिया के महज 1 प्रतिशत वाहन हैं, लेकिन दुर्घटनाओं में वैश्विक मौतों का 11 प्रतिशत हिस्सा है।
रिपोर्ट की मानें देश में हर साल 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और इनमें 1.5 लाख मौतें होती हैं। ऐसे में देश में हर घंटे 53 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और हर 4 मिनट में 1 मौत होती है।
सड़क हादसे
18-45 वर्ष के लोगों की होती है सबसे अधिक मौतें
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सड़क दुर्घटनाओं की लागत 5.96 लाख करोड़ रुपये है, जो GDP का लगभग 3.14 प्रतिशत हिस्सा है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों में से 76.2 प्रतिशत की उम्र 18 से 45 वर्ष के बीच होती है। ऐसे में ये मौतें परिवारों में कमाने वालों की कमी का सबसे बड़ा कारण भी बन रही है।
न्यूजबाइट्स प्लस
सरकार ने 2024 तक मौतों को आधा करने का रखा है लक्ष्य
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या को 2024 तक आधा करने का लक्ष्य रखा है।
इससे पहले भारत ने 2015 में ब्राजील में आयोजित सड़क सुरक्षा सम्मेलन में 2030 तक इन मौतों को आधा करने के लक्ष्य पर हस्ताक्षर किए थे।
इसके तहत सरकार मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019 में ट्रैफिक नियमों को कड़ा करते हुए उल्लंघन पर लगने वाले जुर्माने को भी बढ़ा दिया है।