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दुनिया में पहले कब-कब महामारियां फैली और उनसे कैसे पार पाया गया?

दुनिया में पहले कब-कब महामारियां फैली और उनसे कैसे पार पाया गया?

Mar 20, 2020
08:00 am

क्या है खबर?

जैसे-जैसे मानव सभ्यता का विकास हुआ, वैसे-वैसे संक्रमित बीमारियां भी बढ़ीं। तंग जगहों में लोगों के रहने, जानवरों के साथ इंसान के बढ़ते मेलजोल, सफाई और पौष्टिक खाने की कमी आदि कई ऐसी चीजें हैं, जिनकी वजह से बीमारियों को फैलने के लिए मुफीद माहौल मिल गया। इन दिनों दुनिया कोरोना वायरस (COVID-19) के रूप में एक और महामारी का सामना कर रही है। आइये, जानते हैं कि दुनिया ने कब-कब महामारी का सामना किया और उनसे कैसे पार पाया।

महामारी

प्लेग ऑफ जेस्टिनियन से हुई थी शुरुआत

दुनिया के इतिहास में तीन महामारियां ऐसी रही हैं, जो येरसिनिया पेस्टिस, जिसे दूसरे शब्दों में प्लेग के नाम से जाना जाता है, से फैली हैं। प्लेग ऑफ जस्टिनियन 542 CE में बाइजांटिन की राजधानी में प्लेग फैला था। देखते ही देखते यह महामारी जंगल में आग की तरह यूरोप, एशिया, उत्तर अफ्रीका और अरब में फैल गई। इस कारण 3-5 करोड़ लोगों की मौत हुई थी। यह उस समय की दुनिया की आधी जनसंख्या थी।

ब्लैक डेथ

800 साल फिर लौटा प्लेग

लगभग 800 साल बाद प्लेग फिर लौटा। 1347 में इसने यूरोप में दस्तक दी और महज चार सालों के भीतर दो करोड़ लोगों की इसके कारण मौत हो गई। उस समय लोगों के पास इस महामारी को रोकने का कोई तरीका नहीं था, लेकिन उन्हें यह समझ आ गया था कि यह एक-दूसरे के पास रहने से फैलती है। इसके बाद लोगों ने समुद्री रास्तों से यूरोप में आने वाले लोगों को अलग-थलग रखना शुरू किया।

इतिहास

इसी कारण पहली बार लोगों को रखा गया था अलग-थलग

शुरू में इन लोगों को 30 दिन तक जहाज में रखा जाता था। इस दौरान उन्हें यह साबित करना होता था कि वो बीमार नहीं हैं। समय बदलने के साथ-साथ अलग-थलग रखने का समय 30 से बढ़ाकर 40 दिन कर दिया गया। इसे क्वारंटिनो का नाम दिया गया, जिससे आगे चलकर क्वारंटीन शब्द निकला, जो आजकल खूब सुनने को मिल रहा है। आम भाषा में इसका मतलब लोगों को बीमारी से बचाने के लिए अलग-थलग रखना होता है।

प्लेग

...जब प्लेग के आगे बेबस हुआ लंदन

1347 से लेकर 1665 तक, लगभग 300 सालों में 40 बार प्लेग फैला था। इस कारण हर बार ब्रिटेन के 20 प्रतिशत पुरुष, महिला और बच्चों की मौत होती थी। 1665 में लंदन में एक बार फिर प्लेग ने दस्तक दी और लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। उस दौरान लंदन की एक चौथाई जनसंख्या इसकी भेंट चढ़ गई। इसे रोकने के लिए शहर बंद किए गए और बीमार लोगों को जबरदस्ती घरों में कैद कर दिया गया।

महामारी

चेचक ने ली थी लाखों लोगों की जान

प्लेग के बाद दुनिया को चेचक के रूप में एक और महामारी का सामना करना पड़ा। यूरोप और एशिया में फैले चेचक से संक्रमित 30 प्रतिशत लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। मैक्सिको और अमेरिका में भी लाखों लोगों की मौत हुईं। दशकों बाद चेचक वायरस से फैलने वाली पहली ऐसी बीमारी बनी, जिसका वैक्सीन उपलब्ध हुआ। दो और सदी बाद 1980 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऐलान किया कि चेचक को पूरी तरह खत्म किया जा चुका है।

महामारी

कहर बनकर टूटा था 19वीं सदी की शुरुआत में फैला हैजा

19वीं सदी की शुरुआत से लेकर मध्य आते-आते इंग्लैंड में हजारों लोग हैजा के चपेट में आकर जान गंवा चुके थे। जॉन स्नो नाम के ब्रिटेन एक डॉक्टर ने पाया कि लंदन के खराब पानी की वजह से लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने दौरा कर उस जगह का पता लगाया, जहां पानी दूषित हो रहा था। इसके बाद उन्होंने उस पंप को बंद करवा दिया, जिसके कुछ दिनों बाद ही इस बीमारी पर लगाम लग गई।