तुर्की में आया भूकंप इतना विनाशकारी क्यों साबित हुआ?
क्या है खबर?
तुर्की और सीरिया में आए भूकंप से मरने वालों की संख्या 4,300 से पार पहुंच गई है और 12,000 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं।
भूकंप से अकेले तुर्की में 5,600 इमारतों को भारी नुकसान पहुंचा है और सैकड़ों इमारतें पूरी तरह जमींदोज हो गई हैं।
यह तुर्की में पिछले 25 सालों में आया सबसे शक्तिशाली भूकंप है और इसकी तीव्रता 7.8 मापी गई थी।
आइये जानते हैं कि इस भूकंप से इतना नुकसान क्यों हुआ है।
नुकसान
खतरनाक होते हैं इतनी तीव्रता वाले भूकंप
तुर्की में आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.8 मापी गई, जिसने भयंकर नुकसान किया। 100 किलोमीटर के दायरे में इसका ज्यादा असर महसूस किया गया।
BBC से बात करते हुए यूनिवर्सिटी कॉलेज के इंस्टीट्यूट फॉर रिस्क एंड डिजास्टर रिडक्शन के प्रमुख प्रोफेसर जोएना फौर वॉकर ने बताया कि अब तक के सबसे खतरनाक भूकंपों की बात करें तो पिछले 10 सालों में केवल दो बार इस तीव्रता का भूकंप आया है।
जानकारी
समय के कारण भी बढ़ा नुकसान
जोरदार झटकों के अलावा भूकंप के समय के कारण भी भारी तबाही मची है। दरअसल, भूकंप के झटके उस समय आए, जब लोग अल सुबह गहरी नींद में सो रहे थे। इस कारण उन्हें बाहर निकलने का मौका नहीं मिला।
नुकसान
इमारतों का मजबूत न होना भी बना नुकसान का कारण
भूकंप के इलाकों में कमजोर इमारतों का होना भी आग भी डाल रहा है।
एक विशेषज्ञ ने बताया कि दक्षिण तुर्की और सीरिया में इमारतें बेहद मजबूत नहीं हैं। इसलिए अब नुकसान को कम करने का पूरा जिम्मा राहत बलों पर आ गया है। इसके अलावा इस इलाके में पिछले 200 सालों में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया था और न ही ऐसे की आशंका थी। इसलिए यहां लोगों की भी ऐसी प्राकृतिक आपदा झेलने की कोई तैयारी नहीं थी।
कारण
कैसे आता है भूकंप?
पृथ्वी की सतह मुख्य तौर पर चार परतों से मिलकर बनी हुई है। इसमें इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और क्रस्ट शामिल हैं। क्रस्ट और ऊपरी मेंटल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं। यह 50 किलोमीटर मोटी और कई वर्गों में बंटी हुई परत है, जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स भी कहा जाता है।
ये टेक्टोनिक प्लेट्स लगातार खिसकती रहती हैं और इसी हलचल से जब अधिक दबाव बनता है तो धरती हिलने लगती है, जिसे भूकंप कहा जाता है।
तरीका
भूकंंप कैसे मापा जाता है?
भूकंप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। रिक्टर स्केल भूकंप की तरंगों की तीव्रता को मापने का एक वैज्ञानिक आधार होता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से एक से नौ तक के आधार पर मापा जाता है। यह स्केल भूकंप के दौरान धरती के भीतर से निकली ऊर्जा की तरंगों के आधार पर इसकी तीव्रता को मापता है।
भूकंप
महसूस नहीं होता 2.5 तीव्रता तक का भूकंप
धरती पर अकसर भूकंप आते रहते हैं, लेकिन इनमें से हर झटका महसूस नहीं होता।
दरअसल, जिस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.5 से कम होती है, वह इंसानों को महसूस नहीं होता। 5 तक के भूकंप महसूस होते हैं और इनसे कुछ नुकसान हो सकता है।
तुर्की में आया भूकंप 7.8 का है, जिसे बड़ा भूकंप माना जाता है। अगर कोई भूकंप 8 से ऊपर का है तो वह बड़े स्तर पर तबाही मचा सकता है।
इतिहास
अब तक के सबसे बड़े भूकंप
अब तक के इतिहास का सबसे बड़ा भूकंप 1960 में चिली में आया था। इस कारण जान और माल का भारी नुकसान हुआ था और सुनामी आ गई थी।
इसके बाद 2011 में जापान के तट के पास 9 तीव्रता वाला भूकंप आया था। इसमें भी हजारों लोगों की मौत हुई और यहां भी सुनामी आई थी।
इस सुनामी से तट के पास बने परमाणु संयंत्र को भी नुकसान पहुंचा था।
भूकंप
इस साल कितने भूकंप आए हैं?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नए साल से अभी तक देश और दुनिया के 85 से ज्यादा इलाकों में हल्के और तेज भूकंप के झटके महसूस किये जा चुके हैं।
तुर्की से पहले 16 जनवरी को इंडोनेशिया में इस साल का सबसे तेज भूकंप महसूस किया गया था, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.1 मापी गई थी।
भारत की बात करें तो इस साल हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, मेघालय, असम, ओडिशा और उत्तराखंड में भूकंप के हल्के झटके आ चुके हैं।