#NewsBytesExplainer: आरक्षण को लेकर बांग्लादेश में सड़कों पर क्यों उतरे छात्र?
भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में छात्र सड़कों पर उतर आए हैं। हिंसक प्रदर्शन में 4 छात्रों समेत कम से 6 लोगों की मौत हो गई है। पुलिस ने प्रदर्शनकारी छात्रों पर आंसू गैस के गोले और लाठियां बरसाई हैं, जिनमें करीब 400 लोग घायल हुए हैं। सरकार ने बढ़ती हिंसा के बीच स्कूलों और कॉलेजों को अगले आदेश तक बंद रखने का आदेश दिया है। आइए जानते हैं छात्र क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं।
क्यों विरोध प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं छात्र?
दरअसल, बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। देश के युवा इसे खत्म करने की मांग करते रहे हैं। व्यापक विरोध के बाद 2018 में प्रधानमंत्री शेख हसीना ने नए आरक्षण नियम लागू कर इसे खत्म कर दिया था। हालांकि, 5 जून को ढाका हाई कोर्ट ने हसीना के फैसले को पलटते हुए दोबारा आरक्षण लागू किए जाने का आदेश दिया। इसके बाद से प्रदर्शन शुरू हो गए।
बांग्लादेश में कैसी है आरक्षण व्यवस्था?
1972 में बांग्लादेश के संस्थापक पिता शेख मुजीबुर रहमान ने आरक्षण प्रणाली शुरू की थी। इसके तहत 1971 में पाकिस्तान से आजादी की लड़ाई में लड़ने वाले लोगों के बच्चों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई हैं। इसके अलावा महिलाओं और पिछड़े जिलों के लिए 10-10 प्रतिशत, अल्पसंख्यकों के लिए 5 प्रतिशत और शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए एक प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है।
क्या है प्रदर्शनकारी छात्रों की मांगें?
प्रदर्शनकारी कुल आरक्षण को 56 से घटाकर 10 प्रतिशत करने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा सभी के लिए एक समान परीक्षा, समान उम्र, दोहरे आरक्षण के इस्तेमाल पर रोक जैसी मांगें भी प्रदर्शनकारी छात्रों ने की है। विरोध प्रदर्शनों के समन्वयक नाहिद इस्लाम ने रॉयटर्स से कहा, "हम सामान्य तौर पर आरक्षण प्रणाली के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि 1971 के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण कोटा समाप्त कर दिया जाए।"
कैसे हिंसक हो गया प्रदर्शन?
14 जुलाई को हसीना ने कहा था कि अगर स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा तो क्या रजाकारों के पोते-पोतियों को मिलेगा। बता दें कि बांग्लादेश में रजाकार एक अपमानजनक शब्द है, जो 1971 के मुक्ति संग्राम में पाकिस्तान की मदद करने वालों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। छात्रों ने इस टिप्पणी को अपमानजनक माना और प्रदर्शन हिंसक हो गए, जिसकी शुरुआत ढाका विश्वविद्यालय से हुई।
प्रदर्शनों का नेतृत्व कौन कर रहा है?
प्रदर्शनकारियों का दावा है कि वे किसी भी राजनीतिक पार्टी या समूह से जुड़े हुए नहीं हैं। अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, इस आंदोलन को भेदभाव के खिलाफ छात्र आंदोलन के रूप में जाना जाता है। प्रदर्शनकारी और ढाका विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंध विषय में तीसरे वर्ष के छात्र फहीम फारुकी ने अलजजीरा को बताया कि छात्रों ने फेसबुक ग्रुप के माध्यम से विरोध प्रदर्शन आयोजित किया था और उन्हें किसी भी राजनीतिक संगठन का समर्थन प्राप्त नहीं था।
प्रदर्शन पर सरकार का क्या रुख है?
सरकार प्रदर्शनकारियों को लेकर सख्त रुख अपना रही है। 4 शहरों में अर्द्धसैनिक बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) के जवानों को तैनात किया गया है। बांग्लादेश के शिक्षा मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी ने कहा कि जो लोग 'मैं रजाकार हूं' का दावा करते हैं, उन्होंने खुद को इस युग का सच्चा रजाकार साबित कर दिया है। गृह मंत्री ने छात्रों से अनुरोध किया था कि वे अनावश्यक रूप से सड़कों को अवरुद्ध न करें और संस्थानों में वापस चले जाएं।