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अमेरिका को जवाब देने के लिए ईरान ने अल-असद एयरबेस को निशाना क्यों बनाया?

अमेरिका को जवाब देने के लिए ईरान ने अल-असद एयरबेस को निशाना क्यों बनाया?

Jan 08, 2020
03:39 pm

क्या है खबर?

ईरान ने बुधवार को इराक में अमेरिका के सैन्य ठिकानों पर मिसाइलों से हमले किए। अमेरिका के ड्रोन हमले में अपने जनरल सुलेमानी की मौत के बाद ईरान ने ये हमले किए। ईरान ने इरबिल और अल-असद एयरबेस पर मिसाइलें दागी थीं, लेकिन उसका मुख्य निशाना अल-असद एयरबेस रहा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान ने दोनों ठिकानों पर कुल 15 मिसाइलें दागीं, जिनमें से 10 अल-असद एयरबेस पर दागी गई। आइये, इस एयरबेस को निशाना बनाने की वजह जानते हैं।

ट्रेनिंग

अमेरिका ने इसी एयरबेस पर इराकी बलों को ट्रेनिंग दी थी

इराक की राजधानी बगदाद के उत्तर-पश्चिम में अनबार प्रांत में स्थित अल-असद एयरबेस पर अमेरिका सेना ने इराकी दलों को प्रशिक्षण दिया था। अमेरिका ने खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) के खिलाफ लड़ाई के लिए इराकी सेना को यहां ट्रेनिंग दी थी। इसके अलावा IS के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका के सहयोगी इंग्लैंड और डेनमार्क के बल भी अल-असद एयरबेस पर रुके थे। इस नजरिए से देखा जाए तो यह एयरबेस अमेरिका का एक महत्वपूर्ण सैन्य ठिकाना है।

ट्रम्प का दौरा

अमेरिकी सैनिकों से मिलने एयरबेस पर आए थे ट्रम्प

राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने 2018 में क्रिसमस की छुट्टियों के दौरान इराक का दौरा किया था। पद संभालने के बाद यह उनका पहला इराक दौरा था। इस दौरान उन्होंने अल-असद एयरबेस पर ही अमेरिकी सैनिकों से मुलाकात की थी। ट्रंप अपनी पत्नी मेलानिया के साथ इस बेस पर पहुंचे थे। बिना किसी पूर्व चर्चा के हुए उनका यह दौरा दुनियाभर में सुर्खियां बना था। वह तीन घंटे तक इस एयरबेस पर रुके।

ट्विटर पोस्ट

अल-असद एयरबेस पर ट्रम्प

पुराने हमले

2015 में भी एयरबेस पर हो चुका है हमला

बुधवार को पहली बार नहीं था जब अल-असद एयरबेस को निशाना बनाया गया था। इससे पहले 2015 में भी दो बार यहां हमला हुआ था। एक घटना में इस्लामिक स्टेट ने एयरबेस पर मोर्टार दागे थे। इसी साल दूसरी घटना में इस्लामिक स्टेट के कुछ लड़ाकों ने यहां हमला कर दिया था। अमेरिका ने तब कहा था कि बेस की सुरक्षा में लगे इराकी बल के जवानों ने अधिकतर हमलावरों को मार दिया था।

प्रतिक्रिया

बुधवार के हमले को लेकर ईरान ने क्या कहा?

बुधवार को अमेरिकी ठिकानों पर हुए हमलों को ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयतुल्लाह खामनेई ने अमेरिका के मुंह पर चांटा बताया है। उन्होंने कहा कि ये हमले नाकाफी है। जरूरी है कि अमेरिका इस क्षेत्र से निकल जाए। वहीं ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड के मेजर जनरल मोहम्मद बाकरी ने कहा कि ईरान ने अभी तक अपनी शक्ति की झांकी दिखाई है। अगर अमेरिका ने पलटवार किया तो और सख्त जवाब दिया जाएगा।

दावा

ईरान का दावा- 80 अमेरिकी सैनिक मरे

अमेरिका ने बुधवार को हुए हमलों में हुए नुकसान को लेकर जानकारी नहीं दी है। वहीं ईरान ने दावा किया है कि मिसाइल हमलों में कम से कम 80 अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई है। ईरान के सरकारी मीडिया के अनुसार, 15 में 11 मिसाइलें अपने निशाने पर लगी। बीबीसी के अनुसार, ब्रिटेन सरकार ने कहा है कि इराकी कैंप में तैनात उसके 400 सैनिकों में से कोई भी इस हमले में हताहत नहीं हुआ है।