पाकिस्तान में 8 फरवरी को चुनाव: क्यों हुई देरी और किन पार्टियों के बीच मुख्य मुकाबला?
पाकिस्तान में 8 फरवरी को चुनाव होना है। लंबे समय से चली आ रही राजनीतिक अस्थिरता को लेकर यहां के लोगों में गुस्सा और निराशा है। सैन्य शासन और तानाशाही के लंबे इतिहास को देखें तो इस चुनाव को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि, पाकिस्तान में आज तक ऐसा कोई भी चुनाव नहीं हुआ है, जो विवादों के घेरे में न रहा हो। आइए जानते हैं कि पाकिस्तान चुनाव क्यों अहम है।
क्यों पाकिस्तान में चुनाव है जरूरी?
पाकिस्तान में पिछले काफी समय से राजनीतिक उथल-पुथल चल रही है। भारत के कट्टर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान की सीमा ईरान और तालिबान नियंत्रित अफगानिस्तान से लगती है। पाकिस्तान का अमेरिका के साथ प्रेम-घृणा संबंध रहता है और वह चीन का करीबी है। पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति संपन्न देश है और यहां जो भी सत्ता में आता है। वह वैश्विक राजनीति में मायने रखता है। देश की स्थिर सरकार सुरक्षा से लेकर आर्थिक मसलों पर मजबूत निर्णय ले सकती है।
पाकिस्तान के चुनाव में क्यों हुई देरी?
अप्रैल, 2022 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान सत्ता के बाहर हो गए थे। उनके बाद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ ने गठबंधन की सरकार का नेतृत्व किया था। अगस्त, 2023 में तत्कालीन प्रधानमंत्री शहबाज की सिफारिश पर पाकिस्तानी राष्ट्रपति आरिफ अलवी ने संसद भंग कर दी थी। इसके बाद यहां कार्यवाहक सरकार को नवंबर तक चुनाव कराना था, लेकिन जनगणना में हुई देरी के कारण यहां अब चुनाव होने जा रहे हैं।
चुनाव में किन पार्टियों के बीच मुख्य मुकाबला?
पाकिस्तान कई पार्टियों के उम्मीदवार इस बार चुनावी मैदान में हैं। यहां मुख्य मुकाबला PTI, PML-N और PPP के बीच ही माना जा रहा है। हालांकि, इस चुनाव में PTI के उम्मीदवार निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं क्योंकि पार्टी से चिन्ह छीन गया है। इसके अलावा मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (MQM-P), जमात-ए-इस्लामी (JI), जमीयत-ए-उलेमा इस्लाम (JUI-F), पख्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी (PkMAP), अवामी नेशनल पार्टी (ANP) और बलूचिस्तान अवामी पार्टी (BAP) के उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं।
चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज का नाम चर्चा में क्यों है?
चुनाव से पहले एक बार फिर पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ चर्चाओं में हैं। वह 2018 से चुनावी राजनीति से दूर हैं। उन्हें कोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराया था और इसकी वजह से वो चुनाव नहीं लड़ सकते थे। 2019 में वह लंदन गए और फिर वहीं रहने लगे। अब उनकी पाकिस्तान वापसी हुई है। चुनाव से कुछ महीने पहले नवाज को सभी आरोपों से बरी कर दिया और वह अब चुनाव भी लड़ सकते हैं।
पिछले चुनाव के बाद क्या बदले समीकरण?
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने 2018 में आम चुनावों में सबसे अधिक सीटें जीती थीं। अब देश में राजनीतिक समीकरण बदल चुके हैं और इमरान जेल में बंद हैं। इमरान को 30 जनवरी को साइफर मामले, तोशाखाना मामले और गैरकानूनी शादी के जुर्म में कई साल की सजा हुई है। इसके अलावा इमरान पर करीब 15 और मामले चल रहे हैं। चुनाव आयोग ने उनकी पार्टी का चुनावी चिह्न क्रिकेट बैट भी छीन लिया है।
नई सरकार के सामने क्या होगी चुनौती?
विश्लेषकों का मानना है कि 2018 से पाकिस्तान में कमोबेश कुछ नहीं बदला है और कई मायनों में हालात बदतर हैं। उन्होंने कहा कि जनता अराजक राजनीति, बढ़ती महंगाई, गिरती अर्थव्यवस्था और बिगड़ती सुरक्षा स्थिति से राहत चाह रही है और जो भी सत्ता में आएगा, उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चुनाव में नवाज की पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (PML-N) और बिलावल भुट्टो जरदारी की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) को बढ़त मिल सकती है।