पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर क्यों किया हमला और कैसे खराब हुए दोनों के बीच संबंध?
कभी एक दूसरे के मित्र रहे पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच अब दुश्मनी लगातार बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि पाकिस्तान ने मंगलवार देर रात अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में हवाई हमले भी किए। इन हमलों में 46 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। तालिबान शासन के तहत काबुल ने इसके लिए पाकिस्तान के समक्ष कड़ा विराेध भी जताया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि पाकिस्तान ने यह हमला क्यों किया।
पाकिस्तान ने TTP के ठिकानों को बनाया निशाना
पाकिस्तान ने कथित तौर पर अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत के बरमल जिले पर हवाई हमले किए थे। हालांकि, उसने न तो इसकी जिम्मेदारी ली और न ही खंडन किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने AFP को बताया कि हमले जेट और ड्रोन के जरिए आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों पर किए हैं। हमले में TTP के 20 आतंकवादियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है।
अफगानिस्तान ने दी बदला लेने की चेतावनी
तालिबान शासित अफगानिस्तान ने हमलों की निंदा की है और इसे कायरतापूर्ण हमला बताते हुए बदला लेने की कसम भी खाई है। तालिबान रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "इस्लामिक अमीरात इस कायरतापूर्ण कृत्य का जवाब दिए बना नहीं रहेगा, बल्कि अपने क्षेत्र और संप्रभुता की रक्षा को अपना अविभाज्य अधिकार मानता है।" इसके अलावा, अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के प्रभारी को तलब किया और हमलों के खिलाफ अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ी दुश्मनी
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल ही दिनों में तनाव काफी बढ़ गया है। पाकिस्तान बार-बार अफगान सरकार पर TTP जैसे सशस्त्र समूहों को पनाह देने का आरोप लगाता रहा है। पाकिस्तान का दावा है कि TTP पाकिस्तानी सुरक्षा बलों को निशाना बनाकर सीमा पार से हमले करता है। पिछले सप्ताह TTP के लड़ाकों ने दक्षिणी वजीरिस्तान में 16 पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या की जिम्मेदारी ली थी। इसे हाल के दिनों में सबसे बड़ा हमला माना गया था।
पाकिस्तान ने UNSC में भी किया खुलासा
पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की ब्रीफिंग में भी पाकिस्तानी राजनयिक उस्मान इकबाल जादून ने TTP को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था, "6,000 लड़ाकों के साथ TTP अफगानिस्तान में सक्रिय सबसे बड़ा सूचीबद्ध आतंकवादी संगठन है। हमारी सीमा के नजदीक सुरक्षित ठिकानों के साथ यह पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए एक सीधा और दैनिक खतरा है।" उसके बाद TTP ने पाकिस्तान पर नजरें और गढ़ा दी और हमलों को तेज कर दिया।
पाकिस्तान में साल 2023 में हुए 650 से अधिक हमले
पाकिस्तान के डाटा से पता चलता है कि 2023 पाकिस्तानी इतिहास में सबसे खूनी वर्षों में से एक रहा था। उस साल देश भर में 650 से अधिक आतंकी हमले हुए थे, जिसमें लगभग 1,000 ज्यादा लोग मारे गए थे। मृतकों में अधिकतर कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सेना से जुड़े थे। अधिकतर हमलों की जिम्मेदारी TTP सहित अन्य सशस्त्र समूहों ने ली थी। हालांकि, तालिबान ने सशस्त्र समूहों को शरण देने के आरोपों का पूरी तरह खंडन किया है।
व्यापार और शरणार्थियों पर भी पड़ा बड़ा असर
दोनों देशों के बीच सीमा पर हुई झड़पों के बाद पाकिस्तान को 3 दिन के लिए तोरखम सीमा भी बंद करनी पड़ी थी। इससे दोनों के बीच कमजोर हो रहे व्यापार को भारी नुकसान हुआ था। इसके अलावा, पाकिस्तान ने अफगान शरणार्थियों का सामूहिक निर्वासन भी किया है। नवंबर 2023 में लगभग 5.41 लाख अफगान शरणार्थियों को बाहर निकालने के बाद जून 2024 में उसने 8 लाख से अधिक और अफगानी शरणार्थियों को निकालने की घोषणा की थी।
पाकिस्तान की तालीबान से रही थी अच्छी दोस्ती
पाकिस्तान को अफगान तालिबान का संरक्षक माना जाता रहा है, जो पहली बार 1996 में सत्ता में आया था। माना जाता था कि पाकिस्तान का तालिबान नेतृत्व पर काफी प्रभाव था और उसने उसे कूटनीतिक रूप से आश्रय देकर वित्तपोषित किया था। इस्लामाबाद में रहने वाले अफगान इतिहास शोधकर्ता उबैदुल्ला खिलजी ने DW से कहा, "पाकिस्तान सोवियत प्रभाव के डर से अफगान मुजाहिदीन को पश्चिमी सहायता दिलाने का प्रमुख माध्यम बना था।"
पाकिस्तान को थी तालिबान से अच्छे संबंध होने की उम्मीद
साल 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद पाकिस्तान को दोनों बीच और अच्छे संबंध होने की उम्मीद थी। पाकिस्तान की कुख्यात इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISIS) के तत्कालीन प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने तालिबान की जीत का जश्न भी मनाया था। हालांकि, तालिबान के शासन के पहले 12 महीनों में ही पाकिस्तान की उम्मीदें खत्म हो गई क्योंकि तालिबान का मानना था कि अब वह पाकिस्तान पर निर्भर नहीं है।
नई साझेदारियों ने भी दोनों देशों के बीच बढ़ाई दूरी
तालिबान ने भी चीन, रूस, ईरान और कुछ मध्य एशियाई देशों से संबंध बनाकर पाकिस्तान से दूरी बढ़ाने का काम किया है। ऐसे में अब विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों की बीच अब संबंध ठीक होने की जगह और बिगड़ेंगे।