अफगानिस्तान: तालिबान के विदेश मंत्रालय के बाहर बम धमाका, कई लोगों के मारे जाने की आशंका
क्या है खबर?
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान के विदेश मंत्रालय के बाहर एक तेज धमाका होने की खबर है।
यह धमाका मंत्रालय के प्रवेश द्वार के पास हुआ और इसमें कई लोगों के मारे जाने की आशंका जताई गई है।
बतौर रिपोर्ट्स, बम धमाके के समय मंत्रालय के अंदर तालिबान और चीन के अधिकारियों के बीच एक बैठक चल रही थी। फिलहाल धमाके को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
धमाका
सुरक्षा विभाग ने की धमाके की पुष्टि
काबुल के सुरक्षा विभाग के प्रवक्ता खालिद जदरान ने धमाके की पुष्टि करते हुए एक ट्वीट में कहा कि बम धमाके में कई लोगों की मौत हो गई है। उन्होंने कहा कि मौके पर सुरक्षाबल पहुंच गए हैं।
सोशल मीडिया पर शेयर की गई घटनास्थल की तस्वीरों में सड़क पर कई लोगों के शव देखे जा सकते हैं। अभी तक किसी भी संगठन ने बम धमाके की जिम्मेदारी नहीं ली है।
धमाका
दिसंबर में होटल में हुआ था धमका
बता दें कि काबुल में पिछले साल 12 दिसंबर को भी एक होटल में बम धमाका हुआ था। यह होटल चीनी व्यापारियों के बीच खासा लोकप्रिय है।
अज्ञात संख्या में हथियारबंद हमलावर होटल के अंदर घुस गए थे। होटल काबुल के प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्र में स्थित है, लेकिन फिर भी कोई सुरक्षा अधिकारी तुरंत मौके पर नहीं पहुंच पाया था।
इस घटना में तीन हमलावर मारे गए थे, जबकि कुछ चीनी नागरिक घायल हो गए थे।
नाकामयाबी
शांति बनाए रखने में नाकाम रहा तालिबान
अफगानिस्तान में राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला हमेशा ही सुर्खियों में रहा है। यहां तालिबान के सत्ता में काबिज होने बाद से कई हमले और बम विस्फोट हो चुके हैं।
सितंबर, 2021 में इस्लामिक स्टेट (IS) के आत्मघाती बम विस्फोट में रूसी दूतावास के दो कर्मचारी मारे गए थे।
सितंबर, 2021 में पाकिस्तान के दूतावास में हुए हमले की जिम्मेदारी भी इसी आतंकी संगठन ने ली थी। इस हमले में एक सुरक्षाकर्मी घायल हुआ था।
रिश्ते
कैसे हैं चीन और तालिबान के रिश्ते?
अफगानिस्तान के साथ चीन की लगभग 76 किलोमीटर सीमा है और भले ही चीन ने अभी आधिकारिक तौर पर तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी हो, लेकिन चीन यहां पूर्ण रूप से राजनयिक उपस्थिति बनाए रखने वाले कुछ देशों में से एक है।
चीन को लंबे समय से लग रहा है कि अफगानिस्तान से लगे झिंजियांग के संवेदनशील सीमा क्षेत्र में अलगाववादी गतिविधियां हो सकती है, हालांकि तालिबान भी चीन से शांति बनाए रखने का वादा किया है।
द्विपक्षीय संबंध
तालिबान और चीन एक-दूसरे से क्या चाहते हैं?
अफगानिस्तान ने सालों तक युद्ध झेला है। अब तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज है और उसने शांति कायम रखने के लिए चीन से समझौता किया है। इसके बदले में तालिबान को चीन से आर्थिक सहायता और निवेश चाहिए।
चीन भी अफगानिस्तान में शांति चाहता है, ताकि वह यहां अपनी व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ा सके। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को विकसित करके चीन एशिया के बाजारों में अपना निवेश बढ़ाना चाहता है और इसके लिए अफगानिस्तान महत्वपूर्ण है।