भारत और अन्य देशों में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों को कब डिस्चार्ज किया जाता है?
किसी मरीज के रोग की पहचान कर उपचार करना जितना महत्वपूर्ण होता है, उतना ही अहम मरीज को डिस्चार्ज करना भी होता है। एक बेहतर डिस्चार्ज नीति अस्पताल में मरीज और बेडों के संतुलन को बनाए रखती है। वर्तमान में कोरोना वायरस महामारी के कारण पूरी दुनिया के अस्पतालों में मरीजों की भीड़ है। ऐसे में सभी ने अपनी डिस्चार्ज नीति बना रखी है। यहां हम आपको भारत सहित दुनिया कुछ देशों की कोरोना डिस्चार्ज नीति के बारे में बताएंगे।
भारत में मरीजों की श्रेणी के आधार पर तैयार की गई है डिस्चार्ज नीति
भारत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों को हल्के या बहुत हल्के मामले, थोड़े गंभीर मामले और अत्यधिक गंभीर मामलों की श्रेणी में विभाजित किया है। डिस्चार्ज नीति के तहत प्रथम श्रेणी के मरीजों को लगातार तीन दिन तक बुखार नहीं आने पर संक्रमण के 10 दिन बाद डिस्चार्ज किया जाता है। उनका RT-PCR टेस्ट (कोरोना वायरस टेस्ट) करना भी आवश्यक नहीं होता। इन मरीजों को डिस्चार्ज के बाद सात दिन होम क्वारंटाइन में रहना पड़ता है।
दूसरी श्रेणी के मरीजों को इस तरह किया जाता है डिस्चार्ज
दूसरी श्रेणी के मरीजों को A और B कैटेगिरी में बांटा है। A कैटेगिरी के मरीजों के यदि पहले तीन दिन में बुखार ठीक हो जाए और चार दिन तक ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़े तो उसे 10 दिन बाद बिना टेस्ट के डिस्चार्ज किया जा सकता है। B कैटेगिरी के मरीजों को शुरू के तीन दिन बुखार रहने और ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत होने पर पूरी तरह से स्वस्थ होने पर बिना टेस्ट के छुट्टी दी जाती है।
तीसरी श्रेणी के मरीजों को RT-PCR टेस्ट के बाद ही किया जाता है डिस्चार्ज
स्वास्थ्य मंत्रालय की डिस्चार्ज नीति के तहत तीसरी श्रेणी यानी अत्यधिक गंभीर मरीजों को का डिस्चार्ज से पहले एक RT-PCR टेस्ट किया जाना और उसमें उनकी रिपोर्ट का नेगेटिव आना आवश्यक है। इसके बाद ही उसे डिस्चार्ज किया जाता है।
ऑक्सीजन बेड्स पर भर्ती होते हैं अत्यधिक गंभीर मरीज
गंभीर लक्षण वाले मरीजों को डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में ऑक्सीजन बेड पर रखा जाता है। उन्हें तापमान और ऑक्सीजन सैचुरेशन जांच प्रक्रिया से गुजरना होता है। तीन दिन में बुखार नहीं होने तथा ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल चार दिन तक 95% से ज्यादा रहने पर उसे डिस्चार्ज किया जाता है। HIV और अन्य गंभीर बीमारियों वाले मरीजों को पूरी तरह ठीक होने और RT-PCR टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही डिस्चार्ज किया जाता है।
होम क्वारंटाइन में लागू होते हैं प्रथम श्रेणी वाले नियम
वर्तमान में अधिकतर मरीजों के कोरोना संक्रमण के लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रायल ने इन मरीजों को होम क्वारंटाइन करने का निर्णय किया है। इन मरीजों पर प्रथम श्रेणी वाले नियम लागू होते हैं। हालांकि, इन्हें डिस्चार्ज की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन इन्हें पहले 10 दिन कमरे से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती और फिर अगले सात दिन इनके अन्य लोगों से मिलने पर पाबंदी होती है।
दक्षिण कोरिया में रिपोर्ट के दो बार निगेटिव आने पर किया जाता है डिस्चार्ज
वर्तमान में दक्षिण कोरिया में कोरोना मरीजों की सबसे बेहतरीन रिकवरी रेट है। यहां की जांच और उपचार प्रक्रिया की पूरी दुनिया में सराहना हुई है। यहां हल्के और बहुत हल्के संक्रमण के मरीजों को 14 दिन आवश्यक रूप से होम क्वारंटाइन रहना पड़ता है। इसी तरह केवल मध्यम और उच्च जोखिम वाले मरीजों को अस्पतालों में भर्ती किया जाता है। वहां मरीज की लगातार दो रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही उसे डिस्चार्ज किया जाता है।
होम क्वारंटाइन पूरा करने के बाद भी हुई संक्रमण की पुष्टि
हालांकि, दक्षिण कोरिया में हल्के तथा बहुत हल्के मरीजों के होम क्वारंटाइन अवधि पूरी करने के बाद भी जांच में संक्रमण की पुष्टि हुई है, लेकिन वर्तमान में हुए कई अध्ययनों में सामने आया है कि वो लोग वास्तव में संक्रमित नहीं थे।
यूरोपीय संघ में रिपोर्ट के 2-4 बार निगेटिव आने पर किया जाता है डिस्चार्ज
यूरोपियन संघ के देशों में संक्रमित मरीज के तीन दिन तक बुखार नहीं होने तथा सांस की परेशानी नहीं होने पर अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाता है। इसी तरह गंभीर मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर सबसे पहले RT-PCR टेस्ट किया जाता है। सात दिन बाद फिर से टेस्ट होते हैं और मरीज की रिपोर्ट 2-4 बार निगेटिव आने पर उसे डिस्चार्ज किया जाता है। कई बार सेरोलॉजी टेस्ट से भी मरीज की स्थिति का पता किया जाता है।
बिना लक्षण वाले मरीजों को 14 दिन होम क्वारंटाइन
यूरोपियन संघ के देशों में बिना लक्षण या बहुत कम लक्षण वाले मरीजों को 14 दिन के लिए होम क्वारंटाइन किया जाता है। इस दौरान उसे व्यक्तिगत स्वच्छता सहित अन्य आवश्यक नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका में यह है डिस्चार्ज नीति
संयुक्त राज्य अमेरिका में गंभीर कोरोना मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर उपचार किया जाता है। इसके बाद मरीज के जब तक 24 घंटे के भीतर दो बार RT-PCR टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव नहीं आती है, तब तक उसे डिस्चार्ज नहीं किया जाता है। इसके अलावा मरीज के बिना एंटीपीयरेटिक दवा बुखार कम होने तथा लक्षणों में सुधार पर भी नजर रखी जाती है। इसी तरह सामान्य मरीजों को 14 दिन होम क्वारंटाइन में रहना पड़ता है।
अधिकतर देशों ने डिस्चार्ज नीति में किया बदलाव
बता दें कि कोरोना की शुरुआत में अधिकतर देशों में टेस्ट आधारित डिस्चार्ज नीति तैयार की थी, लेकिन मरीजों की बढ़ती संख्या के बाद सभी देशों ने इसमें लक्षण आधारित और समय आधारित रणनीति के अनुसार बदलाव कर दिया है।
भारत और विश्व में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति
भारत में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 14,515 नए मामले सामने आए और 375 मरीजों ने इसकी वजह से दम तोड़ा है। इसी के साथ कुल मामलों की संख्या 3,95,047 हो गई है, वहीं 12,948 लोगों की मौत हुई है। सक्रिय मामलों की संख्या 1,69,269 है। इसी तरह पूरी दुनिया में संक्रमितों की संख्या 88 लाख के पार पहुंच गई है। इनमें से 4,63,411 लोगों की मौत हो चुकी है। 46.55 लाख ठीक भी हुए हैं।