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नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाला जापानी संगठन निहोन हिडांक्यो क्या काम करता है? 

नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाला जापानी संगठन निहोन हिडांक्यो क्या काम करता है? 

लेखन आबिद खान
Oct 11, 2024
06:04 pm

क्या है खबर?

जापान के संगठन निहोन हिदांक्यो को शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। निहोन हिदांक्यो में वे लोग शामिल हैं, जो हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमले में जीवित बचे थे। इन्हें हिबाकुशा कहा जाता है। नोबेल समिति ने कहा कि इस संगठन को यह पुरस्कार इसलिए दिया गया है, क्योंकि इसने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल दोबारा नहीं करने को लेकर मुहिम चलाई है। आइए इस संगठन के बारे में जानते हैं।

संगठन

क्या है निहोन हिंडाक्यो?

निहोन हिडांक्यो का पूरा नाम जापान A और H बम पीड़ित संगठनों का परिसंघ है। इसकी स्थापना 1956 में हिरोशिमा और नागासाकी में अमेरिका द्वारा किए गए परमाणु बम हमलों में बच गए लोगों द्वारा की गई थी। जापानी भाषा में इन लोगों को हिबाकुशा के रूप में जाना जाता है। इस संगठन का उद्देश्य परमाणु हथियारों के विनाशकारी मानवीय परिणामों के बारे में दुनियाभर को जागरुक करना है।

काम

क्या काम करता है संगठन?

संगठन के लोग अपने अनुभवों और कहानियों को साझा कर वैश्विक स्तर पर परमाणु हथियारों के उपयोग को नैतिक रूप से अस्वीकार्य घोषित करने की मुहिम चलाते हैं। ये हमले में जीवित बचे लोगों, सार्वजनिक अपीलों और संयुक्त राष्ट्र में वार्षिक प्रतिनिधिमंडलों के माध्यम से दुनियाभर की सरकारों पर सभी परमाणु हथियारों को खत्म करने का दबाव बनाते हैं। संगठन को 1985, 1994 और 2015 में भी नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया था।

जानकारी

क्या है संगठन का उद्देश्य? 

निहोन हिडांक्यो के 2 मुख्य उद्देश्य हैं। पहला- जापान के बाहर रहने वाले लोगों सहित परमाणु हमले से प्रभावित सभी पीड़ितों के सामाजिक और आर्थिक अधिकारों को बढ़ावा देना। दूसरा- यह सुनिश्चित करना कि कोई भी व्यक्ति फिर कभी परमाणु हमले का शिकार न हो।

स्थापना

कैसे बना संगठन?

दरअसल, परमाणु हमले में हजारों लोगों की तुरंत मौत हो गई, जबकि लाखों लोग विकिरण से प्रभावित हुए। इन्हें कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा। इन्हें 'हिबाकुशा' कहा जाना लगा, जिसका जापानी भाषा में मतलब होता है 'बम से प्रभावित लोग'। हमले के वक्त हिरोशिमा और नागासाकी में मौजूद करीब 160 लोग भी बच गए थे। इन्हें 'निजू हिबाकुशा' कहा जाता है। परमाणु हथियारों के खिलाफ इन लोगों ने मुहिम चलाई, जो संगठन में बदल गई।

नोबेल शांति पुरस्कार

नोबेल शांति पुरस्कार के बारे में जानिए 

नोबेल शांति पुरस्कार की शुरुआत 1901 में हुई थी। अभी तक केवल 2 भारतीयों को ये सम्मान मिला है। मदर टेरेसा को सामाजिक सेवा के लिए 1979 और कैलाश सत्यार्थी को अनाथ बच्चों की शिक्षा के कार्य के लिए 2018 में ये सम्मान मिला था। अब तक शांति पुरस्कार 112 शख्सियतों और 31 संस्थाओं को मिला है। महात्मा गांधी को 5 बार इस सम्मान के लिए नामित किया गया, लेकिन एक बार भी नहीं दिया गया।