चीन के खतरे से निपटने के लिए सैनिकों की तैनाती में बदलाव कर रहा अमेरिका- पोम्पियो
चीन के खतरे से निपटने के लिए अमेरिका अपने सैनिकों की तैनाती में बदलाव कर रहा है और यूरोप में सैनिकों की संख्या कम करके चीन के आसपास के इलाकों में तैनात किए जा रहे हैं। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने गुरूवार को वर्चुअल 'ब्रसेल्स फोरम 2020' को संबोधित करते हुए ये बात कही। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के स्तर पर सैनिकों की तैनाती की समीक्षा की जा रही है।
चीन हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौती- पोम्पियो
बता दें कि अमेरिका जर्मनी में अपने सैनिकों की संख्या 52,000 से घटाकर 25,000 कर रहा है और फोरम में जब पोम्पियो से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जमीनी हकीकत को देखते हुए अमेरिकी सेना की तैनाती की जा रही है। उन्होंने कहा, "हम सुनिश्चित करने जा रहे है कि चीनी सेना के खतरे से निपटने के लिए हम उचित तरीके से तैनात हैं। ये हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौती है।"
भारत समेत कई देशों के लिए खतरा पैदा कर रहा चीन- पोम्पियो
पोम्पियो ने कहा कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से भारत, वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस और दक्षिण चीन सागर समेत कई जगहों पर खतरे हैं और इसलिए कुछ जगहों पर अमेरिकी सेना की तैनाती कम की जाएगी। उन्होंने कहा कि अमेरिका ये सब कुछ दुनियाभर के अपने सहयोगियों और खासकर अपने यूरोपीय दोस्तों के साथ पूरी तरह से पूरा सलाह-मशविरा करने के बाद करेगा। उन्होंने कहा कि इन देशों को अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद उठानी होगी।
यूरोप से सेना हटाने पर रूस का खतरा बढ़ने की आशंका पर ये बोले पोम्पियो
बता दें कि कई विशेषज्ञ यूरोप में अमेरिकी सेना कम करने के ट्रंप के फैसले की आलोचना कर रहे हैं और उनका कहना है कि इससे यूरोप में रूस का खतरा बढ़ जाएगा। इससे असहमति जताते हुए पोम्पियो ने कहा, "काफी लंबे समय से दुनियाभर में हमारी सेना की तैनाती की रणनीतिक समीक्षा नहीं हुई है। ढाई साल पहले अमेरिका ने अफ्रीका, एशिया, मध्य-पूर्व और यूरोप, दुनियाभर में अपनी सेना की तैनाती करना शुरू किया"
सैनिकों की तैनाती से तय नहीं होती रूस को रोकने की क्षमता- पोम्पियो
पोम्पियो ने कहा कि रूस या अन्य किसी विरोधी को रोकने की क्षमता का फैसला किसी जगह पर कुछ सैनिकों की तैनाती से नहीं होता और अमेरिका संघर्ष और खतरे की प्रकृति को देखकर अपने संसोधनों की तैनाती पर फैसला लेगा। उन्होंने उम्मीद जताई की यूरोपीय देश अमेरिका की इस बात को समझेंगे और अंत में पाएंगे कि इन बदलावों का लक्ष्य लोकतांत्रिक देशों के मूल हितों और अमेरिका के मूल हितों की रक्षा करना है।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को "दुष्ट" कह चुके हैं पोम्पियो
बता दें कि कोरोना वायरस संकट की शुरूआत से ही ट्रंप और उनका प्रशासन चीन पर हमलावर है। भारत-चीन सीमा विवाद में भी अमेरिका चीन की आलोचना कर चुका है। मामले पर पोम्पियो ने कहा था कि चीन ने भारत के साथ सीमा पर तनाव बढ़ाया है और वह हांगकांग और दक्षिण चीन सागर में भी ऐसा ही कर रहा है। उन्होंने कहा था कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी एक "दुष्ट" की तरह व्यवहार कर रही है।