गलवान घाटी: तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के सैन्य अफसरों में बातचीत जारी
दोनों देशों की सेनाओं के बीच बढ़े तनाव को कम करने और आगे का रास्ता निकालने के लिए भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में मेजर जनरल स्तर की सैन्य बातचीत जारी है। ये बातचीत उसी पेट्रोलिंग पॉइंट 14 पर हो रही है जहां 15 जून को दोनों देशों के सैनिकों के बीच सात घंटे तक लड़ाई चली थी। इससे पहले कल भी दोनों देशों के बीच मेजर जनरल स्तर की बातचीत हुई थी जो बेनतीजा रही।
तनावपूर्ण बनी हुई है स्थिति
रिपोर्ट्स की मानें तो फिलहाल भारत के सैन्य अफसरों की सबसे पहली प्राथमिकता तनाव को कम करने की है। मौके पर मौजूद जवानों को काबू में करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है और अपने कमांडिग ऑफिसर (CO) की मौत पर जवानों का खून उबाल पर है। इसी कारण स्थिति विस्फोटक बनी हुई है। अभी तक चीन के अपने सैनिकों को पीछे हटाने की खबर भी नहीं है और दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने बनी हुई हैं।
मई में टकराव शुरू होने के बाद सातवीं सैन्य बातचीत
सीमा के तौर पर काम करने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पिछले महीने तनाव बढ़ने के बाद दोनों देशों के सैन्य अफसरों में ये सातवीं बातचीत है। 5 मई को लद्दाख की पेंगोंग झील पर दोनों देशों के सैनिकों की झड़प के बाद इस तनाव की शुरूआत हुई थी। तभी से दोनों देशों की सेनाएं चार जगहों पर एक-दूसरे के आमने-सामने बनी हुई हैं, जिनमें गलवान घाटी भी शामिल है।
सैन्य अफसरों की बातचीत में बनी थी सेनाएं पीछे हटाने पर सहमति
सैन्य अफसरों में हुई बातचीत में दोनों देशों के बीच अपनी-अपनी सेनाएं पीछे हटाने को लेकर सहमति बनी थी और इसे अंतिम रूप देने की जिम्मेदारी लोकल कमांडरों पर छोड़ दी गई थी। 15 जून को गलवान घाटी में भी लोकल कमांडरों के बीच बैठक हुई थी जिसमें दोनों देशों की सेनाएं के पीछे हटने का फैसला लिया गया था। चीन ने समझौते के तहत अपने कुछ सैनिक तो पीछे हटा लिए, लेकिन एक टेंट वहीं रखा।
टेंट को हटाने गए थे कर्नल संतोेष बाबू
15 जून की शाम को 16 बिहार रेजीमेंट के कमांडिग ऑफिसर (CO) कर्नल बी संतोष बाबू अपने 50 सैनिकों के साथ चीन से तय समझौते के तहत इस टेंट को हटाने की कहने को गए थे। जब चीनी सैनिकों ने ऐसा करने से मना किया तो उन्होंने खुद टेंट का हटाना शुरू कर दिया। इसी दौरान चीनी सैनिकों ने पत्थर, रॉड और कटीले तारों के डंडों से उन समेत अन्य सैनिकों पर हमला कर दिया।
चोटी से गिरने के कारण हुई कई जवानों की मौत
थोड़ी ही देर में दोनों तरफ के और सैनिक भी मौके पर पहुंच गए और लड़ाई बढ़ गई। ये पूरी लड़ाई एक चोटी पर हो रही थी और इस कारण कई सैनिक नीचे नदी में भी गिर गए या चीनी सैनिकों ने उन्हें झक्का मार दिया। ये लड़ाई लगभग सात घंटे चली और इस दौरान कर्नल संतोष समेत भारत के 20 जवान शहीद हुए। कई चीनी जवानों के मारे जाने की खबर भी है, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
भारत और चीन ने एक-दूसरे पर लगाए हैं आरोप
घटना के बाद से ही मामले पर चीन के आक्रामक बयान सामने आ रहे हैं और वह भारतीय सैनिकों पर सीमा पार करके उसके सैनिकों पर हमला करने का आरोप लगा रहा है। चीन ने गलवान घाटी को अपना हिस्सा भी बताया है, जबकि 1962 के बाद उसने कभी भी इस पर अपना दावा नहीं किया है। भारत ने चीन पर एकतरफा तरीके से LAC की स्थिति बदलने का आरोप लगाया है, जिसके कारण ये स्थिति पैदा हुआ।