लद्दाख: चीनी सीमा पर तैनात सैनिकों को दिए जाएंगे दंगा रोधी गियर
लद्दाख में चीनी सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक अधिकारी समेत 20 जवान शहीद हुए थे। इनमें से अधिकतर की कील लगे डंडे से चोट लगने के कारण जान गई हैं। इसे देखते हुए सेना ने जवानों के लिए दंगा रोधी गियर (पुलिस या अर्धसैनिक बलों द्वारा दंगों की स्थिति में पहने जाने वाले सूट) खरीदने की प्रक्रिया शुरू की है। इन्हें पहनने से जवान नुकीले हथियारों और पत्थरों के हमलों से बच सकेंगे।
अब तक पहुंच चुके हैं 500 गियर
इंडिया टूडे की रिपोर्ट के अनुसार, पहले चरण में ऐसे 500 सूट मुंबई से लेह पहुंच चुके हैं। इन्हें वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात जवानों को दिया जाएगा। इसके अलावा इन सैनिकों को कील लगे डंडे भी दिए जा सकते हैं। हालांकि, सेना के जवानों को दंगा-रोधी गियर देने पर सवाल भी उठ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि इसका मतलब यह हुआ कि सैनिकों की मानसिकता बदलकर पुलिस जैसी कर देनी है।
चीनी सैनिकों ने पहले भी किया है डंडों से हमला
यह पहली बार नहीं था जब चीनी सेना ऐसे हथियार इस्तेमाल किए हैं। पिछले महीने भी भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़प में चीनी सैनिकों ने कंटीले तार लगे डंडों से भारतीय सैनिकों पर हमला किया था। इसमें कई सैनिकों को गंभीर चोटें आई थीं।
अंतिम बार 45 साल पहले चली थी भारत-चीन सीमा पर गोली
भारत और चीन के बीच सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए कई समझौते हुए हैं। इनके तहत ही सीमा पर गोलीबारी की घटनाएं नहीं होती। सोमवार को दोनों सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प बीते कुछ दशकों की सबसे बड़ी हिंसा थी, इसके बावजूद दोनों तरफ से एक भी गोली नहीं चली। अंतिम बार भारत और चीन के बीच गोली 1975 में चली थी, जब चीनी सेना ने घात लगाकर असल राइफल्स की पेट्रोलिंग पार्टी पर हमला किया था।
जवानों की पीठ पर लटकाए रखनी होती है बंदूक
इस घटना के लगभग 18 साल बाद 1993 में भारत और चीन के बीच एक और समझौता हुआ, जिसके बाद कभी गोलीबारी नहीं हुई। नियमों के मुताबिक, सीमा पर पेट्रोल कर रहे जवानों को अपनी बंदूक पीठ पर लटकाए रखनी होती है और इसका मुंह जमीन की तरफ होना चाहिए। हाल ही में हुई झड़प से पहले भी भारत और चीन के जवानों के बीच टकराव हुआ था, लेकिन तब बात सिर्फ धक्कामुक्की और कुश्ती तक रही थी।
सोमवार रात को हुई थी हिंसक झड़प
भारत और चीन के बीच पिछले कुछ समय से सीमा को लेकर विवाद जारी है। इसे सुलझाने के लिए कई स्तर की बैठकें हो चुकी हैं। 6 जून को हुई एक बैठक में चीनी सैनिकों के पीछे हटने पर सहमति बनी। जब भारतीय सेना की टुकड़ी उनकी वापसी को देखने गई तो चीनी सैनिकों ने उन्हें घेरकर उन पर पत्थरों, रॉड और कील लगे डंडों से हमला कर दिया, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए।