संक्रमित होने के बाद लोग कोरोना वायरस से ठीक कैसे होते हैं?
पिछले साल चीन से शुरू हुए कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तक पूरी दुनिया में 98.21 लाख लोग इसके चपेट में आ चुके हैं, जिनमें से 4.95 लाख की मौत हो हुई है। दूसरी तरफ राहत की खबर यह भी है कि महामारी से ठीक होने वालों का आंकड़ा भी लगभग 50 लाख हो गया है । इसी बीच आज हम जानेंगे कि कोरोना वायरस से संक्रमित लोग ठीक कैसे होते हैं?
अभी तक नहीं मिला कोरोना को कोई इलाज
आज तक पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है। वैज्ञानिक इसके लिए वैक्सीन और दवाएं ढूंढने में लगे हुए हैं, लेकिन अभी सफलता दूर दिख रही है। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कोरोना से संक्रमित होने वाले लगभग 80 प्रतिशत लोगों में हल्के और बुखार जैसे लक्षण होते हैं। ये लोग बुखार की ही तरह थोड़ा आराम कर, खूब पानी पीकर और साधारण दवाएं लेकर ठीक हो सकते हैं।
एक से तीन सप्ताह में ठीक हो जाते हैं अधिकतर मरीज
जानकारों का कहना है कि जिन लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती वो एक से तीन सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में ठीक होने के कुछ दिन बाद भी छींक, बुखार, थकान जैसे लक्षण रहते हैं। ऐसे मामलों में शरीर के इम्युन सिस्टम को कोरोना से लड़ाई में थोड़ा समय लगता है। वहीं कोरोना से पूरी तरह ठीक होने का मतलब है कि किसी व्यक्ति में कोई भी लक्षण दिखाई न दें।
कुछ लोगों को लग सकता है छह सप्ताह का समय
वहीं जिन लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है और ऑक्सीजन सपोर्ट के अलावा वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है, उन्हें पूरी तरह ठीक होने में अपेक्षाकृत ज्यादा समय लगता है। ऐसे मरीज ठीक होने में तीन से छह हफ्ते ले सकते हैं।
शरीर ठीक होने में कैसे मदद करता है?
जब कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित होता है तो उसका शरीर वायरस से लड़ने के लिए खास तरह के प्रोटीन बनाना शुरू कर देता है, जिन्हें एंटीबॉडी कहा जाता है। ये एंटीबॉडी वायरस का मुकाबला करती है और उसे शरीर में आगे बढ़ने से रोकती है। धीरे-धीरे लक्षण हल्के होने लगते हैं व्यक्ति बेहतर महसूस करता है। आगे चलकर ये एंटीबॉडी शरीर से वायरस को पूरी तरह खत्म कर देती है।
एक बार ठीक होने के बाद कोई कब तक इम्युन रह सकता है?
इस पर अभी शोध चल रहे हैं। आमतौर पर जब कोई व्यक्ति किसी वायरल संक्रमण से ठीक होता है तो उसके शरीर में लिम्फोसाइटस नामक कोशिकाएं बच जाती हैं। ये कोशिकाएं पुराने वायरस को याद रखती है और अगर वह दोबारा हमला करता है तो ये तुरंत उससे मुकाबला शुरू कर देती हैं। इस वजह से व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं दिखेंगे और वह इम्युन हो जाएगा। किसी भी बीमारी की वैक्सीन इसी सिद्धांत पर बनती है।
कोरोना वायरस घातक कैसे साबित होता है?
कुछ लोगों में कोरोना वायरस के लक्षण गंभीर हो जाते हैं और उनका इम्युन सिस्टम इससे लड़ाई के लिए तेजी से प्रतिक्रिया करने लगता है। इससे फेफड़ों में सूजन आ जाती है, जिसे निमोनिया भी कहा जाता है। सूजन के कारण फेफड़ों में पानी भरने लगता है, जिससे सांस लेने में परेशानी होना शुरू हो जाती है। कुछ मामलों में ऐसे मरीजों का ब्लड प्रेशर बहुत कम हो जाता है और उनके कई अंग काम करना बंद कर देते हैं।
एक करोड़ के करीब पहुंची संक्रमितों की संख्या
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, दुनियाभर में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 98,21, 596 पहुंच गई है। अमेरिका दुनिया में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश है। यहां अब तक 24.67 लोग महामारी की चपेट में आ चुके हैं और 1.25 लाख लोगों की मौत हुई है। अमेरिका के बाद ब्राजील, रूस और भारत में संक्रमितों की संख्या सबसे ज्यादा है। भारत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ते हुए पांच लाख से पार हो गए हैं।