टीबी: पिछले साल मरने वालों की संख्या में इजाफा, भारत में सबसे ज्यादा मौतें
क्या है खबर?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट में पता चला है कि एक दशक में पहली बार पिछले साल ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) के कारण जान गंवाने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है।
2019 में जहां टीबी के कारण लगभग 14 लाख लोगों की मौत हुई थी, वहीं 2020 में आंकड़ा 15 लाख के पार पहुंच गया था।
भारत में बीते साल पांच लाख लोगों की इस कारण मौत हुई, जो उससे पहले के साल की तुलना 13 प्रतिशत अधिक है।
टीबी का प्रकोप
भारत में सबसे ज्यादा 34 प्रतिशत मौतें
बीते साल हुई मौतों में से करीब 34 प्रतिशत अकेले भारत में हुई हैं। भारत चीन, इंडोनेशिया, फिलीपींस, नाइजीरिया, बांग्लादेश और दक्षिण अफ्रीका सहित उन देशों की सूची में शामिल हैं, जहां टीबी के सबसे ज्यादा मरीज हैं।
WHO का कहना है कि टीबी से मौतों की संख्या बढ़ने का बड़ा कारण कम टेस्टिंग और संसाधनों का कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में इस्तेमाल होना रहा। 2021 और 2022 में यह संख्या और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
कोरोना वायरस
प्रतिबंधों के कारण इलाज में आई कमी
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में भारत में केवल 42,505 ड्रग-रजिस्टेंस टीबी मरीजों का इलाज शुरू हो पाया था, जबकि 2019 में यह संख्या 1.24 लाख थी। जाहिर है कि कोरोना वायरस महामारी और प्रतिबंधों के चलते कम लोग इलाज के लिए आगे आए।
WHO की रिपोर्ट बताती है कि 2019 से 2020 के बीच भारत में टीबी के मामले दर्ज होने 41 प्रतिशत गिरावट देखी गई है। वैश्विक स्तर पर भी ऐसी गिरावट देखने को मिली है।
जानकारी
बिना दर्ज हुए मामलों की संख्या 40 लाख से ज्यादा
WHO के अनुसार, दुनियाभर में 41 लाख लोग टीबी से ग्रस्त हैं, लेकिन अभी तक उनमें बीमारी की पहचान नहीं हुई है और न ही उन्होंने इसकी जानकारी स्वास्थ्य सेवाओं को दी है। 2019 में यह संख्या 29 लाख थी।
ट्युबरकुलोसिस
वैक्सीन बनाने में लगा है भारत
2025 तक टीबी को खत्म करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने में जुटे हैं।
दो संभावित वैक्सीनों के तीसरे चरण के ट्रायल के लिए 12,000 वॉलेंटियरों को भर्ती किया गया है।
वैक्सीन की खुराक देकर इन पर तीन साल नजर रखी जाएगी। अगर वांछित नतीजे मिलते हैं तो इन वैक्सीनों को इस्तेमाल की हरी झंडी दिखाई जा सकती है।
ट्युबरकुलोसिस
भारत में टीबी के अधिकतर मरीज व्यस्क
अगस्त में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि भारत में टीबी के 65 प्रतिशत मरीजों की उम्र 15 से 45 साल के बीच है। मंत्रालय ने नेताओं से लोगों में टीबी और इसके इलाज को लेकर जागरुकता फैलाने की अपील की थी।
स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण ने कहा था कि 2020 में कोरोना महामारी ने तबाही मचा दी थी। कुछ ही महीनों में महामारी ने टीबी के खिलाफ सालों की लड़ाई से हासिल फायदों पर पानी फेर दिया था।
कोरोना वायरस
प्रतिबंधों के चलते इलाज से दूर रहे लाखों मरीज
कोरोना महामारी ने बीते दो सालों के दौरान न सिर्फ लाखों लोगों की जान ली है बल्कि दूसरी बीमारियों से जूझ रहे लोगों की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं।
इस वक्त दुनिया कोरोना महामारी से निपटने को प्राथमिकता दे रही हैं, जिससे एड्स, टीबी और मलेरिया जैसी बीमारियों के खिलाफ चल रही लड़ाईयां प्रभावित हुई हैं।
ग्लोबल फंड की रिपोर्ट में बताया गया था कि कोरोना के कारण दूसरी बीमारियों के खिलाफ लड़ाईयां धीमी हुई हैं।