प्रदर्शनों के कारण हांगकांग एयरपोर्ट की सारी उड़ाने रद्द, जानें क्यों हो रहे हैं विरोध प्रदर्शन
हांगकांग में लोकतांत्रिक प्रदर्शनों के बीच एयरपोर्ट प्रशासन ने सोमवार को सभी उड़ाने रद्द कर दीं। हजारों प्रदर्शनकारियों के एयरपोर्ट की मुख्य इमारत पर लगातार चौथे दिन कब्जे के बाद ये फैसला लिया गया। जून से जारी प्रदर्शनों में शहर की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाला ये सबसे बड़ा व्यवधान है। इन प्रदर्शनों का असर चीन की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा क्योंकि हांगकांग चीनी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा केंद्र है।
चीन का सख्त रुख, कहा- प्रदर्शनकारियों ने किए गंभीर अपराध
प्रदर्शनों से अपनी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले को असर को लेकर चीन चिंतित है। इसी को मद्देनजर रखते हुए उसने सोमवार को अपनी पुरानी बात दोहराते हुए कहा कि प्रदर्शनकारियों ने गंभीर अपराध किए हैं और "आतंकवाद" के लक्षण दिखाए हैं। चीन के हांगकांग और मकाऊ मामलों के कार्यालय की प्रवक्ता यांग गुआंग ने कहा, "हांगकांग एक नाजुक मोड़ पर है और वो सभी लोग जो इसके भविष्य के बारे में चिंता करते हैं, उन्हें हिंसा को ना कहना होगा।"
इसलिए हो रहे हैं विरोध प्रदर्शन
बता दें कि हांगकांग में मौजूदा प्रदर्शन विवादित प्रत्यर्पण बिल को लेकर हो रहे हैं। प्रस्तावित बिल के अनुसार, अगर कोई शख्स अपराध करके हांगकांग आ जाता है तो जांच प्रक्रिया के लिए उसका चीन प्रत्यर्पण किया जा सकता है। ताइवान के एक व्यक्ति के अपनी प्रेमिका की हत्या करने के बाद हांगकांग वापस आने के बाद प्रत्यर्पण कानून में संशोधन का ये प्रस्ताव सामने रखा गया था। लेकिन इसके विरोध में लाखों लोग सड़कों पर उतर आए।
हांगकांग की नेता ने कहा, बिल पर सरकार नाकाम रही
प्रदर्शनों पर हांगकांग की नेता कैरी लैम ने कहा था कि इस विवादास्पद बिल पर सरकार पूरी तरह से विफल रही है और अब इसका अंत हो चुका है। हालांकि उन्होंने बिल वापस लेने को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं किया, जिसके कारण प्रदर्शनकारी ने आगे भी प्रदर्शन जारी रखने की बात कही है। प्रदर्शनकारियों की 5 सूत्रीय मांगों में बिल पूरी तरह वापस लेने के अलावा प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई की मांग शामिल है।
1997 में चीन के हवाले किया गया था हांगकांग
हांगकांग 1997 तक ब्रिटेन के कब्जे में था और एक समझौते के तहत इसे चीन के हवाले किया गया। चीन ने तब 'एक देश दो व्यवस्था' की अवधारणा के तहत 2047 तक हांगकांग को स्वायत्तता और उसके कानून बनाए रखने की गारंटी दी थी। इस बीच चीन पर हांगकांग की स्वायत्तता में दखल देने के आरोप लगते रहते हैं और 2014 में इसे लेकर लोकतंत्र समर्थकों ने 79 दिनों तक 'अम्ब्रेला मूवमेंट' भी चलाया था।