COVID-19 के इलाज में प्रभावी नहीं रेमडेसिवीर और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, WHO के ट्रायल में आया सामने
क्या है खबर?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के ट्रायल में कोरोना वायरस के मरीजों पर गिलियाड साइसेंज की रेमडेसिवीर दवा का खास प्रभाव देखने को नहीं मिला है। ट्रायल में जिन मरीजों को ये दवा दी गई, न तो उनके अस्पताल में रहने के दिनों में कमी आई और न ही उनके जिंदा रहने की संभावना बढ़ी।
ट्रायल में भारत की हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का भी कोरोना वायरस के मरीजों पर कोई प्रभाव नहीं देखने को मिला।
ट्रायल
कोरोना वायरस के संक्रमण के उपचार के लिए इन दवाओं के ट्रायल्स कर रहा थी WHO
WHO कोरोना वायरस के संक्रमण का उपचार ढूढ़ने के लिए पिछले कई महीने से विभिन्न देशों में चार दवाओं- रेमडेसिवीर, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, लोपिनाविर-रोटिनाविर और इंटरफेरॉन- के ट्रायल्स कर रहा था। इन ट्रायल्स में 30 देशों के 11,266 मरीज शामिल हुए थे।
गुरूवार को इस ट्रायल्स के नतीजों का ऐलान करते हुए WHO ने कहा कि इन दवाओं का कोरोना वायरस मरीजों की मृत्यु दर और अस्पताल में रहन के समय पर बेहद कम या कोई प्रभाव नहीं देखने को मिला।
बयान
अब मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज समेत दवाओं पर ध्यान केंद्रित करेगा WHO
बुधवार को ट्रायल्स की जानकारी देते हुए WHO की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि अप्रभावी पाए जाने के बाद हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और लोपिनाविर-रोटिनाविर के ट्रायल को जून में ही रोक दिया गया था, लेकिन बाकी ट्रायल्स 30 देशों के लगभग 500 अस्पतालों में चलते रहे।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के उपचार के लिए WHO अब मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज, इम्युनोमोडुलेटर्स और पिछले कुछ महीनों में विकसित की गईं एंटी-वायरल दवाओं पर ध्यान केंद्रित करेगा।
विपरीत नतीजे
अमेरिका में हुए ट्रायल में प्रभावी पाई गई थी रेमडेसिवीर
बता दें कि WHO के इस ट्रायल के विपरीत अमेरिका में गिलियाड द्वारा किए गए एक ट्रायल में रेमडेसिवीर को कोरोना वायरस के मरीजों के उपचार में प्रभावी पाया गया था।
1,062 मरीजों पर हुए इस ट्रायल में पाया गया था कि रेमडेसिवीर दिए जाने पर मरीजों के अस्पताल में रहने के समय में पांच दिन की कमी आई।
अमेरिका का फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) 1 मई को इसके आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी भी दे चुका है।
प्रतिक्रिया
गिलियाड ने WHO के ट्रायल पर उठाए सवाल
WHO के ट्रायल पर प्रतिक्रिया देते हुए गिलियाड ने रॉयटर्स से कहा, "सामने आ रहे (WHO के) आंकड़े असंगत लग रहे हैं और पीयर-रिव्यूज पत्रिकाओं में प्रकाशित कई रेडमाइज्ड, कंट्रोल्ड स्टडीज में रेमडेसिवीर के क्लिनिकल फायदे के स्पष्ट सबूत सामने आए हैं।"
गिलियाड ने कहा कि उन्हें लगता है कि इस वैश्विक ट्रायल के आंकड़ों का विस्तृत तरीके से विश्लेषण नहीं किया गया है, जो ट्रायल की डिजाइन की सीमाओं को देखते हुए वैज्ञानिक बहस के लिए जरूरी है।
जानकारी
अभी तक नहीं मिला है कोरोना वायरस का कोई इलाज
बता दें कि जहां पूरी दुनिया का ध्यान कोरोना वायरस की वैक्सीन पर है, वहीं इसके उपचार की खोज को भी इतना ही महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। अभी तक इसका कोई ठोस इलाज नहीं मिला है और नई दवाइयों के ट्रायल चल रहे हैं।