गुरपतवंत पन्नू की 'हत्या की साजिश' के आरोपी निखिल गुप्ता को अमेरिका लाया गया
खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के मामले में भारतीय मूल के आरोपी निखिल गुप्ता को चेक गणराज्य से अमेरिका प्रत्यर्पित कर दिया गया है। उसे सोमवार को न्यूयॉर्क की एक संघीय अदालत में पेश किया जाएगा। बता दें कि पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में अमेरिकी सरकार के अनुरोध पर पिछले साल चेक गणराज्य में निखिल को गिरफ्तार किया गया था और अब उसे अमेरिका को सौंप दिया गया है।
मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में हैं निखिल
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्यर्पण के बाद निखिल को ब्रुकलिन के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में रखा गया है, जो एक संघीय प्रशासनिक हिरासत सुविधा है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि गुप्ता को रविवार को ही चेक गणराज्य से अमेरिका लाया गया है। यही कारण है कि उसे 24 घंटे पूरे होने से पहले कोर्ट में पेश किया जाएगा। बता दें कि निखिल पिछले साल जून में भारत से प्राग पहुंचा था।
अमेरिका के अनुरोध पर हुई थी निखिल की गिरफ्तारी
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, निखिल को एक बिजनेस ट्रिप के दौरान पिछले साल 30 जून को चेक गणराज्य के प्राग एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया था। यह गिरफ्तारी अमेरिकी सरकार के कहने पर हुई थी। दरअसल, अमेरिका और चेक गणराज्य के बीच द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि है। अमेरिका में निखिल पर मुकदमा चल रहा है और उसके चेक से अमेरिका प्रत्यर्पण की तैयारी चल रही थी। भारत भी अपने स्तर पर मामले की जांच कर रहा है।
निखिल पर क्या आरोप हैं?
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, निखिल ने एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के निर्देश पर पन्नू की हत्या की सुपारी दी थी। इस काम के बदले उसे एक लाख डॉलर दिए जाने थे। निखिल ने अपराधियों के बीच उठने-बैठने वाले एक शख्स के जरिए एक सुपारी किलर ढूढ़ने को सुपारी दी थी। हालांकि, ये शख्स एक गुप्त अमेरिकी एजेंट था। इस शख्स ने निखिल को जिस सुपारी किलर से मिलवाया, जो खुद अंडरकवर अफसर था। इससे पूरी साजिश नाकाम हो गई।
निचली अदालत ने खारिज कर दी थी निखिल की याचिका
निखिल ने गिरफ्तारी के बाद अमेरिका में प्रत्यर्पित होने से बचने के लिए चेक गणराज्य की निचली अदालत और हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन दोनों कोर्ट ने निखिल की याचिका को खारिज कर अमेरिका प्रत्यपर्ण की स्वीकार्यता पर फैसला सुनाया था। हालांकि, 7 मई, 2024 को चेक गणराज्य सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्यर्पण पर रोक लगा दी थी, लेकिन पिछले दिनों से अमेरिकी दलीलों के बाद उसे मंजूरी दे दी गई। ऐसे में अब उसे प्रत्यर्पित कर दिया।