पाकिस्तान में भीषण महंगाई और खाद्य संकट, जानें क्या और क्यों हो रहा है
पाकिस्तान इस समय आर्थिक तंगी की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। देश के लोगों को खाने और रोजमर्रा की जरूरत के सामानों की किल्लत के साथ-साथ महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। खराब अर्थव्यवस्था के कारण पाकिस्तान सरकार पर लगातार विदेशी कर्ज बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण देश में आर्थिक तंगी हो गई है और महंगाई दर में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। आइए पाकिस्तान की इस स्थिति को विस्तार से समझते हैं।
पाकिस्तान में महंगाई की क्या स्थिति?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में प्याज की कीमतें जनवरी, 2022 में 36.7 रुपये प्रति किलोग्राम से 501 प्रतिशत बढ़कर जनवरी, 2023 में 220.4 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं। चावल, दाल और गेहूं की कीमतों में भी एक साल के अंदर करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, वहीं डीजल की कीमतों में 61 प्रतिशत और पेट्रोल की कीमत में 48 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। खाद्य सामानों की कीमतों में सबसे अधिक वृद्धि हुई है।
क्यों बढ़ रही है महंगाई?
पाकिस्तान आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके कारण उसका विदेशी मुद्रा भंडार महज 4.3 अरब डाॅलर रह गया है। इससे वस्तुओं का आयात करना मुश्किल हो रहा है और कीमतें आसमान छू रही हैं। पाकिस्तान कर्ज में भी डूबा हुआ है। उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक और चीन आदि से कर्ज लिया हुआ है, जो उसकी GDP के 84 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। इस वर्ष के अंत तक यह कर्ज बढ़कर 140 अरब डाॅलर हाे जाएगा।
पैसे की कमी के कारण बंदरगाहाें पर अटकी पड़ी हैं खाद्य सामग्री और दवाएं
टाइम की रिपोर्ट के मुताबिक, आर्थिक संकट के बीच पाकिस्तान में आटे जैसी जरूरी सामग्री का आयात भी नहीं हाे पा रहा है। देश के बंदरगाहाें पर खाद्य सामग्री और दवाएं अटकी पड़ी हैं क्योंकि पाकिस्तान इनका भुगतान नहीं कर पा रहा है। तंगी से बाहर निकलने के लिए पाकिस्तान ने IMF से छह अरब डाॅलर की आर्थिक मदद मांगी थी, लेकिन IMF ने पाकिस्तान के सामने पेट्राेल-डीजल समेत ईंधन की कीमतें बढ़ाने जैसी शर्तें रख दीं।
पाकिस्तान में बाढ़ से भी बिगड़े हालात
पिछले साल पाकिस्तान में आई भीषण बाढ़ ने भी संकट को और बढ़ाने का काम किया है। इस बाढ़ में देश की 80 प्रतिशत फसल नष्ट हो गई, जिससे खाद्य पदार्थों की कमी हुई और उनकी कीमतें आसमान में पहुंच गईं। इसके अलावा पाकिस्तान सरकार को लोगों को फिर से बसाने और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भी बड़ी रकम की जरूरत है। सरकार ने संयुक्त राष्ट्र (UN) से मदद मांगी है, लेकिन ये नाकाफी साबित हो सकती है।
जनता को राहत के लिए सरकार ने क्या किया?
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार ने यूक्रेन युद्ध के चलते दुनियाभर में ईंधन की कीमताें में वृद्धि के बीच पाकिस्तान में कीमतों में सब्सिडी का ऐलान किया था, ताकि जनता को राहत मिले। आर्थिक तंगी इमरान की कुर्सी जाने के पीछे प्रमुख वजह थी। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार भी ईंधन की कीमतें नहीं बढाएगी क्योंकि पाकिस्तान में इस साल चुनाव होने हैं। ऐसे में उसे IMF से राहत पैकेज मिलने मुश्किल है।
आर्थिक मंदी को लेकर क्या बोले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में कहा था कि पाकिस्तान जैसे एक परमाणु ताकत संपन्न देश के लिए यह काफी शर्म की बात है कि उसे आर्थिक मदद के लिए अन्य देशों से भीख मांगनी पड़ रही है। उन्होंने कहा था कि कि आर्थिक संकट से जूझते देश के लिए कर्ज कोई स्थायी समाधान नहीं है क्योंकि उस कर्ज को भी लौटाना होगा। हाल ही में सऊदी अरब ने पाकिस्तान की आर्थिक मदद का ऐलान किया था।
पाकिस्तान में काफी समय से चल रही है आर्थिक तंगी
बता दें कि पाकिस्तान को पहली बार आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ रहा है। पिछले साल जून में आर्थिक संकट से घिरे पाकिस्तान में लोगों से कम चाय पीने की अपील की गई थी। पाकिस्तान के योजना और विकास मंत्री इकबाल ने कहा था कि देश में चाय का आयात लोन लेकर किया जा रहा है। उन्होंने बिजली बचाने के लिए फैक्ट्रियां आदि को जल्दी बंद करने की अपील भी की थी।