आर्थिक संकट से घिरा पाकिस्तान, सरकार ने लोगों से की चाय कम पीने की अपील
आर्थिक संकट से घिरे पाकिस्तान ने अपने नागरिकों से कम चाय पीने की अपील की है। पाकिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा चाय आयातक है। इन दिनों यहां महंगाई आसमान छू रही है और पाकिस्तानी रुपया रसातल में पहुंच गया है। पाकिस्तान के केंद्रीय मंत्री अहसान इकबाल ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तानी चाय की खपत को रोजाना एक या दो कप कम कर सकते हैं क्योंकि चाय के आयात से सरकार पर आर्थिक भार पड़ रहा है।
लोन लेकर आयात की जा रही चाय- इकबाल
पाकिस्तान के योजना और विकास मंत्री इकबाल ने कहा, "हम जो चाय आयात कर रहे हैं, वो लोन लेकर किया जा रहा है।" इसके साथ ही उन्होंने बिजली बचाने के लिए फैक्ट्रियां आदि को जल्दी बंद करने की अपील की है। बता दें कि 22 करोड़ की आबादी वाला भारत का पड़ोसी देश दुनिया का सबसे बड़ा चाय आयातक देश है। 2020 में पाकिस्तान ने 640 मिलियन डॉलर की कीमत की चाय विदेशों से खरीदी थी।
सोशल मीडिया पर उड़ रहा मजाक
पाकिस्तानी सरकार की इस अपील का सोशल मीडिया पर जमकर मजाक उड़ रहा है। कई यूजर्स ने लिखा है कि चाय पीना कम करने से देश की आर्थिक हालात नहीं सुधरेंगे।
लंबे समय से आर्थिक संकट का सामना कर रहा पाकिस्तान
बता दें कि पाकिस्तान पिछले काफी समय से आर्थिक संकट से गुजर रहा है और यहां महंगाई चरम सीमा पर पहुंच गई है। दूसरी तरफ यहां विदेशी मुद्रा भंडार भी लगातार कम होता जा रहा है। फरवरी में केंद्रीय बैंक के पास 16.3 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा थी, जो मई में कम होकर 10 बिलियन हो गई है। आर्थिक संकट के चलते पिछले महीने पाकिस्तान ने गैर जरूरी और लग्जरी उत्पादों का आयात बंद कर दिया था।
इमरान की कुर्सी जाने के पीछे भी आर्थिक वजहें रहीं जिम्मेदार
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी जाने के पीछे भी आर्थिक संकट का बड़ा हाथ था। मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इमरान खान पर आरोप लगाया था कि उनका आर्थिक प्रबंधन बेहद खराब था। इमरान की कुर्सी जाने के बाद अब शरीफ के लिए भी अर्थव्यवस्था को मजूबती देना चुनौती बना हुआ है। बता दें कि अविश्वास प्रस्ताव से इमरान की सरकार गिरने के बाद शरीफ ने 11 अप्रैल को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।
पाकिस्तान पर ऐसे बढ़ता गया कर्ज
पाकिस्तानी अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य फारुख सलीम के अनुसार, 1947-2008 तक देश पर केवल 6,000 अरब का कर्ज था। 10 साल बाद बढ़कर यह 30,000 अरब और 13 साल बाद बढ़कर 50,000 पार हो गया है। उन्होंने आगे बताया कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी सरकार रोजाना औसतन पांच अरब रुपये, नवाज लीग रोजाना आठ अरब रुपये और इमरान खान की सरकार रोजाना 17 अरब रुपये कर्ज ले रही थी।