हिंद महासागर में घूम रहे चीनी पोत पर भारत की निगाह, टल सकता है मिसाइल टेस्ट
हिंद महासागर में चक्कर लगा रहे चीन की नौसेना के पोत के कारण भारत अगले हफ्ते के लिए निर्धारित अग्नि मिसाइल के टेस्ट को टाल सकता है। करीब 22,000 टन वजनी युआन वांग-6 नामक रिसर्च और स्पेस ट्रैकिंग पोत बड़े एंटीने, सर्विलांस उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक जासूसी करने वाले सेंसरों से लैस है। सैटेलाइट लॉन्चिंग और लॉन्ग-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों की ट्रैकिंग करने वाला यह पोत शुक्रवार सुबह इंडोनेशिया के बाली तट पर देखा गया था। आइये पूरी खबर जानते हैं।
अगस्त में भी हुआ था विवाद
अगस्त में चीन का युआन वांग-5 नामक समुद्री जहाज श्रीलंका के हंबनटोटा में रुका था। भारत की आपत्ति को दरकिनार करते हुए श्रीलंका ने इसे अपने तट पर रुकने की अनुमति दी थी, जिसके चलते दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद पैदा हो गया था। यह पोत भी बैलिस्टिक मिसाइलों और सैटेलाइट को ट्रैक करने की उच्च क्षमता वाली तकनीक से लैस था। दरअसल, चीन इस क्षेत्र में एक ही श्रेणी के जासूसी जहाज भेजता है।
नजर बनाए हुए है भारतीय नौसेना
युआन वांग-6 पोत चीनी सेना की स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स के तहत काम करता है और इस पर चालकदल के 400 सदस्य तैनात हैं। इसने इंडोनेशिया के रास्ते हिंद महासागर में प्रवेश किया है और तब से ही भारतीय नौसेना की नजर इस बनी हुई है।
टल सकता है भारत का मिसाइल टेस्ट
हिंद महासागर में चीनी पोत की मौजूदगी के चलते भारत अगले हफ्ते होने वाले अग्नि मिसाइल के टेस्ट को टाल सकता है क्योंकि चीनी जहाज इस मिसाइल की सटीकता, रेंज और गति का पता लगा सकता है। TOI ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि भारत जब भी कोई ऐसा टेस्ट करने की तैयारी करता है, चीन उसी समय हिंद महासागर में अपने जासूसी पोत भेज देता है, जो तकनीकी खुफिया जानकारी जुटाने में सक्षम होते हैं।
नियमित तौर पर आते रहते हैं चीनी पोत
चीनी जासूसी और रिसर्च पोत अकसर अतंरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में आते रहते हैं और भारत इसे रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकता। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में समुद्री जहाजों की आवाजाही पर कोई रोक नहीं होती। इसका फायदा उठाते हुए चीनी जहाज नेविगेशन और पनडुब्बियों के संचालन के लिए आंकड़े जुटाने के लिए इस क्षेत्र में आते रहते हैं। इसकी आड़ में वो जासूसी समेत अन्य कामों को भी अंजाम देते रहते हैं।
चीन की बढ़ती मजबूती भारत के लिए चिंता की बात
भारत के लिए यह सामरिक चिंता का विषय बना हुआ है कि चीन धीरे-धीरे कर श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर अपनी उपस्थिति मजबूत करते जा रहा है। चीन ने कर्ज के बदले इस बंदरगाह को 99 सालों के लिए लीज पर लिया है।
दुनिया में सबसे बड़ी है चीनी की नौसेना
355 युद्धपोत और पनडुब्बियों के साथ चीनी नौसेना दुनिया में सबसे बड़ी है। अगस्त, 2017 में जिबूति में अपना पहला विदेश बेस बनाने के बाद से चीन लगातार हिंद महासागर क्षेत्र में अपने लिए लॉजिस्टिक अड्डों की तलाश कर रहा है। पाकिस्तान के कराची और ग्वादर बंदरगाह के अलावा वह कंबोडिया, सेशेल्स और मॉरिशस से लेकर पूर्वी अफ्रीकी देशों तक अपने समुद्री जहाजों और पनडुब्बियों के लिए ठिकाने बनाने की कोशिश में लगा हुआ है।