बलूचिस्तान हमला: पाकिस्तान ने ईरान के राजदूत को निकाला, अपने राजदूत को वापस बुलाया
क्या है खबर?
पाकिस्तान और ईरान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान ने ईरान से अपने राजदूत को वापस बुलाने का ऐलान किया है।
इसके अलावा पाकिस्तान ने ईरान के राजदूत, जो अभी ईरान दौरे पर हैं, को भी पाकिस्तान न लौटने के लिए कहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने ये जानकारी दी।
पाकिस्तान ने ये कदम बलूचिस्तान में ईरान द्वारा की गई एयर स्ट्राइक के जवाब में उठाया है।
बयान
विदेश मंत्रालय बोला- गंभीर हो सकते हैं परिणाम
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा, "कल रात ईरान द्वारा पाकिस्तान की संप्रभुता का अकारण और खुला उल्लंघन अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों का उल्लंघन है। पाकिस्तान अपनी संप्रभुता के उल्लंघन का पुरजोर विरोध करता है। यह 'पूरी तरह से अस्वीकार्य' है और इसके 'गंभीर परिणाम' हो सकते हैं।"
इससे पहले भी पाकिस्तान ने हमलों को द्विपक्षीय संबंधों को कमजोर करने वाला बताया था।
रोक
पाकिस्तान ने घटना की मीडिया कवरेज पर लगाई रोक
पाकिस्तान सरकार ने ईरानी एयर स्ट्राइक की मीडिया कवरेज पर रोक लगा दी है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के मुख्य सचिव ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है, "सभी मीडिया संस्थानों को निर्देश दिए जाते हैं कि वे पंजगुर और तुरबत में हुई ईरान की एयर स्ट्राइक से जुड़ी खबरों का प्रसारण न करें। अगले आदेश तक घटनास्थल पर पत्रकारों के जाने पर भी रोक लगाई जाती है।"
हमला
क्या है ईरान की एयर स्ट्राइक का मामला?
16 जनवरी को देर रात ईरान ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में आतंकवादी समूह जैश उल-अदल के 2 ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थीं।
ईरान ने कहा था कि उसके अर्धसैनिक बलों ने जैश अल-अदल के ठिकानों को निशाना बनाया। ये हमले ड्रोन और रॉकेट से किए गए थे।
पाकिस्तान ने हमले की पुष्टि करते हुए दावा किया था कि इसमें 2 बच्चे मारे गए और 3 अन्य घायल हो गए।
संगठन
क्या है जैश उल-अदल संगठन?
जैश-अल-अद्ल एक सुन्नी आतंकवादी संगठन है, जिसकी स्थापना 2012 में की गई थी। इसके नाम का मतलब होता है 'न्याय की सेना'।
ये संगठन पाकिस्तान के सिस्तान-बलूचिस्तान से संचालित होता है और ईरान और पाकिस्तान की सीमा पर सक्रिय है।
500-600 सदस्यों वाले इस संगठन को अमेरिका और ईरान ने आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। ईरान की सेना और सीमा पुलिस पर हमलों में कई बार इस संगठन का नाम आया है।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
पाकिस्तान और ईरान करीब 909 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। दोनों देशों के बीच इस सीमा से व्यापार होता है, लेकिन अवैध घुसपैठ और तस्करी भी मुद्दा बनी हुई है।
1947 में जब पाकिस्तान बना तो ईरान पहला देश था, जिसने पाकिस्तान को मान्यता दी थी। पाकिस्तान ने अपना पहला दूतावास भी ईरान में ही खोला था।
दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंध रहे हैं, लेकिन बीते कुछ सालों में इनमें गिरावट आई है।