बुजुर्गों में भी युवाओं जितनी इम्युनिटी पैदा करने में कामयाब रही ऑक्सफोर्ड की कोरोना वायरस वैक्सीन

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका कंपनी की कोरोना वायरस वैक्सीन बुजुर्गों में भी युवाओं जितनी इम्युनिटी पैदा करने में कामयाब रही है। यही नहीं, युवाओं के मुकाबले बुजुर्गों में इसके कम साइड इफेक्ट भी देखे गए हैं। एस्ट्राजेनेका ने सोमवार को बयान जारी करते हुए ये जानकारी दी। इस खबर को उत्साहित करने वाली बताते हुए कंपनी ने कहा कि ये उसकी AZD1222 के सुरक्षित और प्रभावी होने का एक और सबूत है।
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, वैक्सीन के ट्रायल में शामिल बुजुर्गों के इम्युनोजेनिसिटी ब्लड टेस्ट करने पर सामने आया है कि ये बुजुर्गों में भी मजबूत इम्युनिटी पैदा करने में कामयाब है। रिपोर्ट के अनुसार, ये जुलाई के उस डाटा के समान है जिसमें पाया गया था कि 18 से 55 साल के युवाओं में वैक्सीन बेहद मजबूत इम्युनिटी पैदा करती है। इन नतीजों को जल्द ही एक क्लिनिकल जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा।
ऑक्सफोर्ड की कोरोना वायरस वैक्सीन से बुजुर्गों में भी मजबूत इम्युनिटी पैदा होने की ये खबर बेहद सकारात्मक है और इसके दो अहम कारण हैं। पहला तो ये है कि बढ़ती उम्र के साथ-साथ इम्युन सिस्टम भी कमजोर होता जाता है और इन लोगों में आमतौर पर वैक्सीनें कम प्रभावी साबित होती हैं। दूसरा ये कि बुजुर्गों के कोरोना संक्रमण से मरने की सबसे अधिक संभावना होती है, इसलिए किसी भी वैक्सीन का उन पर प्रभावी होना बेहद जरूरी है।
बता दें कि AZD1222 (पहले ChAdOx1 nCoV-19) नामक इस कोरोना वायरस वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है और वैक्सीनोलॉजी की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट इसकी प्रमुख हैं। ये वैक्सीन चिम्पैंजी में सामान्य जुकाम करने वाले एडिनोवायरस को कमजोर करके और उसके ऊपर कोरोना वायरस जैसी प्रोटीन लगाकर तैयार की गई है। जेनेटिककली इसमें ऐसा बदलाव किया गया है कि इसके लिए इंसान के अंदर जाकर खुद की संख्या बढ़ाना संभव नहीं है।
जुलाई में प्रकाशित हुए इस वैक्सीन के पहले चरण के ट्रायल के नतीजों में सामने आया था कि ये कोरोना वायरस के संक्रमण से दोहरी सुरक्षा प्रदान करती है। ट्रायल में 18 साल से 55 साल के जिन लोगों को वैक्सीन की खुराक दी गई, उनके शरीर में एंटीबॉडीज और टी-सेल दोनों बनीं और उनमें वायरस के खिलाफ इम्युनिटी देखने को मिली। टी-सेल लंबे समय तक इम्युनिटी प्रदान में मददगार साबित होती हैं।
अभी भारत समेत कई देशों में इस वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है और अगले एक-दो महीने में इसके नतीजे आ सकते है। वैक्सीन के 2021 की पहली तिमाही में बड़ी मात्रा में उपलब्ध होने की उम्मीद जताई जा रही है। इस बीच ये खबर भी आई है कि यूनाइटेड किंगडम (UK) ने लंदन के एक बड़े हॉस्पीटल ट्रस्ट के स्टाफ को नवंबर के पहले हफ्ते में वैक्सीन के लिए तैयार रहने को कहा है।