स्यूकुरो मानेबे, क्लाउस हासेलमैन और जियोर्जियो पारिसि को मिला भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार
साल 2021 के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा होना शुरू हो गया है। इसी कड़ी में रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए वैज्ञानिक स्यूकुरो मनाबे, क्लाउस हेसलमन और जियोर्जियो पारिसी को इस साल का नोबेल पुरस्कार देने का ऐलान किया है। इन्हें जटिल भौतिक प्रणालियों को समझने में उल्लेखनीय योगदान के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार देने का फैसला लिया गया है। पिछले साल भी यह पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों को मिला था।
स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने यह दिया बयान
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पुरस्कारों की घोषणा करने के बाद स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने ट्वीट कर कहा, 'जटिल प्रणालियों में त्वरित बदलाव और विकार की विशेषता होती है और इन्हें समझना मुश्किल होता है। इस वर्ष का पुरस्कार उनका वर्णन करने और उनके दीर्घकालिक व्यवहार की भविष्यवाणी करने के लिए नए तरीकों को मान्यता देता है।' इस पुरस्कार के रूप में तीनों वैज्ञानिकों को एक स्वर्ण पदक के साथ 1.14 मिलियन डॉलर नकद इनाम दिया जाएगा।
प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में सीनियर अंतरिक्ष विज्ञान शास्री हैं मानेबे
1931 में जापान में जन्मे मानेबे ने 1957 में यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो से Phd किया था। वर्तमान में वह अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में सीनियर अंतरिक्ष विज्ञान शास्री हैं। उन्होंने अपने अध्ययन में पाया कि कैसे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़े हुए स्तर से पृथ्वी की सतह पर तापमान में वृद्धि हो रही है। इसके लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया है। इससे पहले उन्होंने रेडिएशन बैंलेंस का पता लगाया था और ऐसा करने वाले वो पहले वैज्ञानिक थे।
जर्मनी के मैक्स प्लैंक संस्थान में प्रोफेसर हैं हासेलमैन
साल 1931 में जर्मनी में जन्मे हासेलमैन ने 1957 में जर्मनी से ही Phd किया था। वर्तमान में वह जर्मनी की मैक्स प्लैंक संस्थान में प्रोफेसर हैं। उनके द्वारा तैयार किया गया एक मॉडल मौसम और जलवायु को एक साथ जोड़ता है। इससे पता चलता है कि मौसम परिवर्तन के बाद भी जलवायु मॉडल विश्वसनीय क्यों हो सकते हैं। उन्होंने जलवायु को लेकर कई मॉडल भी विकसित किए हैं। जिनसे कार्बन डाइऑक्साइड से तापमान बढ़ने का पता चलता है।
रोम की सैपिएंजा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं जियोर्जियो पारिसी
जियोर्जियो पारिसी का जन्म साल 1948 में इटली के रोम में हुआ था। उन्होंने रोम से ही साल 1970 में Phd की और अभी रोम की सैपिएंजा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने अव्यवस्थित जटिल मैटेरियल में छिपे हुए कई पैटर्न की खोज की। उनकी खोज जटिल प्रणालियों के सिद्धांत में सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से हैं। उन्होंने फिजिक्स के क्षेत्र के अलावा गणित, बायोलॉजी, न्यूरोसाइंस और मशीन लर्निंग में कई मैटेरियल्स को लेकर जानकारी दी है।
पिछले साल इन्हें मिला था भौतिक विज्ञान क्षेत्र का पुरस्कार
बता दें कि पिछले वर्ष भौतिक विज्ञान क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार भी तीन वैज्ञानिकों को दिया गया था। इनमें अमेरिकी वैज्ञानिक आंड्रेया गेज, ब्रिटेन के रोजर पेनरोज और जर्मनी के रिनार्ड गेनजेल शामिल थे। इन तीनों को ब्लैक होल्स पर विस्तृत अध्ययन करने और हमारी गैलेक्सी के केंद्र में मौजूद विशाल द्रव्यमान के कॉम्पैक्ट ऑब्जेक्ट की खोज करने के लिए यह पुरस्कार दिया गया था। इन्हें भी गोल्ड मेडल और 1.14 मिलियन डॉलर का इनाम मिला था।
मेडिसिन के क्षेत्र में इन्हें मिला है नोबेल पुरस्कार
बता दें कि मेडिसिन के क्षेत्र में इस साल का नोबेल पुरस्कार अमेरिका के वैज्ञानिक डेविड जूलियस और अर्देम पटापाउटियन को दिया गया है। इन्होंने मानव शरीर में तापमान और स्पर्श को महसूस करने के लिए जिम्मेदार रिसेप्टर्स की खोज की है।