कोरोना: 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' बना एक और स्ट्रेन, अब तक 29 देशों में फैला
क्या है खबर?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस के एक और स्ट्रेन को 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के तौर पर दर्ज किया है। इस वेरिएंट का नाम लैम्ब्डा (Lambda) है और यह सबसे पहले पेरू में पाया गया था।
'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के तौर पर दर्ज होने का मतलब है कि अभी स्वास्थ्य संगठन इस पर नजर रखेंगे। हालांकि, अभी तक इसके जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा होने के सबूत नहीं मिले हैं।
आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
प्रसार
अभी तक 29 देशों में फैला लैम्ब्डा वेरिएंट
WHO के साप्ताहिक बुलेटिन में बताया गया है कि यह वेरिएंट सबसे पहले पिछले साल अगस्त में पेरू में पाया गया था।
उसके बाद से यह दुनिया के 29 देशों में फैल चुका है, जिनमें से अधिकतर लैटिन अमेरिकी देश हैं।
पेरू में इस साल अप्रैल के बाद संक्रमित पाए गए लोगों में से 81 प्रतिशत में लैम्ब्डा वेरिएंट की पुष्टि हुई है। पिछले दो महीनों के दौरान चिली के 32 प्रतिशत कोरोना मरीज इसी वेरिएंट से संक्रमित हुए हैं।
कोरोना वेरिएंट
धीरे-धीरे हो रहा प्रसार
WHO ने कहा कि चिली, पेरू, इक्वाडोर और अर्जेंटीना आदि दक्षिण अमेरिकी देशों में लैम्ब्डा वेरिएंट का प्रसार पाया गया है।
अर्जेंटीना में फरवरी के तीसरे सप्ताह से इस वेरिएंट का प्रसार तेज हुआ है और अप्रैल से मई के बीच कुल 37 प्रतिशत सैंपल्स में इस स्ट्रेन की पुष्टि हुई है।
इसी तरह चिली में इसका प्रसार धीरे-धीरे बढ़ता गया और अब यहां 32 प्रतिशत सैंपल्स में यह स्ट्रेन पाया जा रहा है।
जानकारी
वेरिएंट में हुए हैं कई म्यूटेशन
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस वेरिएंट में कई म्यूटेशन हुई हैं, जो इसकी संक्रामकता को बढ़ा सकती हैं और एंटीबॉडीज को चकमा देने में भी सक्षम हैं। संगठन ने कहा कि अभी पूरा प्रभाव देखने के लिए विस्तृत अध्ययन की जरूरत है।
जानकारी
कैसे बनते हैं वायरस के नए वेरिएंट?
कोरोना महामारी फैलाने के पीछे SARS-CoV-2 वायरस का हाथ है। वायरस के DNA में बदलाव को म्यूटेशन कहा जाता है। ज्यादा म्यूटेशन होने पर वायरस नया रूप ले लेता है, जिसे नया वेरिएंट कहा जाता है।
नए वेरिएंट सामने आने के कई कारण हैं। लगातार वायरस का फैलना इनमें से एक है।
कोरोना से संक्रमित हर नया मरीज वायरस को म्यूटेट होने का मौका देता है। ऐसे में मरीज बढ़ने के साथ-साथ नए वेरिएंट की संभावना बढ़ जाती है।
म्यूटेशन
वायरस में म्यूटेशन होने के क्या कारण हैं?
सरल भाषा में समझें तो SARS-CoV-2 का जेनेटिक कोड लगभग 30,000 अक्षरों के RNA का एक गुच्छा है।
जब वायरस इंसानी कोशिकाओं में प्रवेश करता है तो यह वहां अपनी तरह के हजारों वायरस पैदा करने की कोशिश करता है। कई बार इस प्रक्रिया के दौरान नए वायरस में पुराने का DNA पूरी तरह 'कॉपी' नहीं हो पाता है।
ऐसी स्थिति में हर कुछ हफ्तों के बाद वायरस म्यूटेट हो जाता है, मतलब उसका जेनेटिक कोड बदल जाता है।
कोरोना वेरिएंट
चिंता बढ़ा रहा डेल्टा प्लस वेरिएंट
भारत में भारी तबाही मचाने वाले डेल्टा वेरिएंट में एक और म्यूटेशन हुई है, जिसके बाद यह और खतरनाक बन गया है।
इस म्यूटेशन के साथ इसे 'डेल्टा प्लस' या 'AY.1' वेरिएंट के नाम से जाना जा रहा है और यह 10 देशों में पाया जा चुका है। यह वेरिएंट एंटीबॉडी कॉकटेल से मिली सुरक्षा को चकमा दे सकता है।
जानकारों का कहना है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट महाराष्ट्र में कोरोना की तीसरी लहर का कारण बन सकता है।