#NewsBytesExplainer: विमान हादसे के बाद अमेजन के जंगलों में 40 दिन तक कैसे जिंदा रहे बच्चे?
क्या है खबर?
एक विमान हादसे के 40 दिन बाद कोलंबिया के अमेजन के जंगलों में लापता हुए 4 बच्चे सुरक्षित मिल गए हैं। इनमें से एक बच्चे की उम्र मात्र 1 साल है।
लोग इस घटना को किसी चमत्कार से कम नहीं मान रहे हैं।
बच्चों के सुरक्षित मिलने के बाद कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने कहा कि आज का दिन जादुई है।
चलिए आज इन बच्चों के गुम होने और फिर चमत्कारिक तरीके से जिंदा मिलने की कहानी जानते हैं।
हादसा
कैसे हुआ था हादसा?
दरअसल, 1 मई को ये चारों बच्चे अपनी मां और 2 अन्य लोगों के साथ एक विमान में यात्रा कर रहे थे। तभी विमान दुर्घटना का शिकार हो गया और अमेजन जंगल में जा गिरा।
16 मई को बचाव दल को दुर्घटनाग्रस्त विमान जंगल में पड़ा मिला था। बचाव दल ने 3 लोगों के शव भी बरामद किए थे, लेकिन बच्चों का कोई पता नहीं था।
इसके बाद बच्चों की तलाश में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया।
ऑपरेशन
कैसे चला रेस्क्यू ऑपरेशन?
बता दें कि जहां बच्चे गुम हुए थे, वह इलाका करीब 20,000 वर्ग किलोमीटर में फैला है।
सरकार ने रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए सेना, आदिवासी समुदाय और इलाके के जानकार लोगों को चुना। इस टीम को जंगल में बच्चों की तलाश करते हुए बॉटल, कैंची और बच्चों के पैरों के निशान मिले।
इन निशानदेही के आधार पर टीम आगे बढ़ती गई और आखिरकार बच्चों का पता लगा लिया गया।
अनुष्ठान
आदिवासियों ने जंगली आत्माओं से संवाद के लिए किया अनुष्ठान
बता दें कि कोलंबियाई सेना और आदिवासियों के बीच संबंध इतने अच्छे नहीं हैं, लेकिन बच्चों की तलाश में दोनों ने अपने मतभेद दूर कर काम किया।
बच्चों को रास्ता दिखाने के लिए बचाव दल ने चाकू से पेड़ों को काटकर उन पर स्प्रे पेंट से निशान लगा दिए।
आदिवासी लोगों ने जंगली आत्माओं के साथ संवाद करने के लिए एक अनुष्ठान भी किया, जिसमें कोका पत्ती और राख से बने एक पदार्थ का इस्तेमाल किया गया।
दादी
बच्चों को सुनाया गया दादी का संदेश
टीम ने बच्चों की तलाश के लिए उनकी दादी फातिमा का एक संदेश रिकॉर्ड किया, जिसे हेलिकॉप्टरों के जरिए चलाया गया।
इस संदेश में दादी फातिमा बच्चों से कहती हैं, "मेरी मदद करो, मैं तुम्हारी दादी बोल रही हूं। तुम मेरी बात समझ रहे हो ना। तुम जहां हो वहीं पर रुक जाओ। लोग तुम्हारी तलाश में जुटे हैं। मेरी आवाज सुनो और जहां हो वहीं पर ठहर जाओ ताकि ये लोग तुम्हें खोज पाएं।"
परविरश
बच्चों की आदिवासी परवरिश ने काम किया आसान
बता दें कि ये सभी बच्चें आदिवासी समुदाय से हैं। ऐसे में बच्चों ने जंगल में बीज, पत्ती, फल और जड़ें खाकर गुजारा किया, क्योंकि वे जानते थे कि किस चीज को खाया जा सकता है और किसे नहीं।
समाचार एजेंसी AFP से बात करते हुए कोलंबिया के स्वदेशी लोगों के राष्ट्रीय संगठन के लुइस एकोस्टा ने कहा, "बच्चों का जीवित रहना पर्यावरण के साथ उनके संबंधों का संकेत है, जिसे मां के गर्भ से ही सिखाया जाता है।"
खतरनाक
कितना खतरनाक है यह जंगल?
बता दें कि जिस जंगल में बच्चे फंसे थे, वो बहुत घना है और यहां पेड़ों की ऊंचाई भी अधिक है। इस वजह से ज्यादातर हिस्से में दिन में भी अंधेरा रहता है।
धूप कम पहुंचने की वजह से जंगल बेहद नमी और ठंडाई भरा है। जंगलों में पाए जाने वाले सबसे जहरीले सांप जैसे अनाकोंडा और खतरनाक जानवर भी यहां रहते हैं।
इंसानों की पहुंच जंगल के बाहरी इलाके तक की है, अंदर इंसानों का हस्तक्षेप बेहद सीमित है।