क्या भारत के खिलाफ लगाए गए आरोप बने हैं जस्टिन ट्रूडो के पतन का कारण?
क्या है खबर?
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इस समय बड़े राजनीतिक संकट का सामना कर रहे हैं। वह अपनी लिबरल पार्टी में अलग-थलग दिख रहे हैं।
नतीजन, उन्हें कभी भी पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है। ट्रूडो पर आरोप है कि वह देश की गिरती अर्थव्यवस्था और अपनी पार्टी के भीतर असंतोष सहित बढ़ती घरेलू चुनौतियों से ध्यान हटाने के लिए भारत पर आरोप लगा रहे हैं।
आइए जानते हैं क्या भारत पर लगाए आरोप उनके पतन का कारण है।
मांग
लिबरल पार्टी के 20 से अधिक सांसदों ने की इस्तीफे की मांग
पिछले एक साल में लिबरल पार्टी के सीन केसी और केन मैकडोनाल्ड सहित कई बड़े सांसदों ने ट्रूडो के नेतृत्व से असंतुष्टि का हवाला देते हुए सार्वजनिक रूप से उनसे पद छोड़ने की मांग की है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, लिबरल पार्टी के 20 से अधिक सांसदों ने उनके इस्तीफे की मांग करते हुए एक प्रतिज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
दिसंबर में उपप्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड का पद से इस्तीफा ट्रूडो की सरकार के लिए एक बड़ा झटका था।
कारण
फ्रीलैंड ने क्यों दिया था इस्तीफा?
फ्रीलैंड का इस्तीफा कथित तौर पर नीतिगत असहमतियों के कारण आया था, जिसमें ट्रूडो का संभावित अमेरिकी टैरिफ से निपटना और उनकी आर्थिक रणनीति शामिल थी।
इसके बाद ट्रूडो ने कहा था, "अधिकतर परिवारों की तरह कभी-कभी छुट्टियों में हमारे बीच झगड़े होते हैं, लेकिन हम इससे निपटने का रास्ता खोज लेते हैं। मैं इस देश और पार्टी से बहुत प्यार करता हूं। मैं आप लोगों से प्यार करता हैं और प्यार ही परिवारों का सार है।"
परिणाम
लिबरल पार्टी को उपचुनावों में मिली हार
फ्रीलैंड ने ट्रूडो के बयान पर असहमति जताई और उनकी आलोचना भी की। इसके बाद ट्रूडो लगातार सार्वजनिक कार्यक्रमों से गायब नजर आए।
इसी का परिणाम रहा कि लिबरल पार्टी को हाल ही में हुए 2 उपचुनावों में हार का सामना करना पड़ा।
न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता जगमीत सिंह ने सरकार को गिराने के लिए संसद में प्रस्ताव पेश करने की बात कही है। शीतकालीन अवकाश के बाद 27 जनवरी को फिर से संसद की कार्यवाही शुरू होगी।
आरोप
ट्रूडो ने भारत पर क्या लगाए आरोप?
ट्रूडो ने सितंबर 2023 में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाया था।
निज्जर को कनाडा में एक सिख मंदिर के बाहर गोली मारी गई थी। भारत ने आरोपों को खारिज करते हुए इसे वोट बैंक की राजनीति करार दिया था।
इसके बाद ट्रूडो ने भारत पर आपराधिक गतिविधियों को प्रायोजित करने का आरोप लगाया था, जिसको लेकर उनकी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी आलोचना भी देखने को मिली थी।
तनाव
भारत और कनाडा के बीच ऐसे बढ़ा तनाव
अक्टूबर में ट्रूडो ने भारत के राजनयिकों पर विशेष मामले में रुचि दिखने का आरोप लगाकर 6 राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। जवाब में भारत ने भी कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित कर दिया।
इस घटना ने लिबरल पार्टी के नेताओं में मनमुटाव कर दिया। पार्टी के नेताओं का आरोप था कि ट्रूडो प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी सही तरह से नहीं संभाल पा रहे हैं और घरेलू चुनौतियों से ध्यान हटाने के लिए भारत पर आरोप लगा रहे हैं।
चुनौती
ट्रूडो के इस्तीफे के बाद लिबरल पार्टी के सामने होगी यह चुनौती
अगर ट्रूडो इस्तीफा देते हैं तो लिबरल पार्टी की मुख्य चुनौती जन अपील वाला नेता खोजना होगी। कनाडा में कोई अंतरिम नेता पार्टी के स्थायी नेतृत्व के लिए चुनाव नहीं लड़ सकता।
डोमिनिक लेब्लांक, मेलानी जोली, फ्रेंकोइस-फिलिप शैम्पेन और मार्क कार्नी जैसे नाम संभावित दावेदारों के रूप में सामने आए हैं, लेकिन नेतृत्व की दौड़ की समयसीमा इस साल के अंत में होने वाले संघीय चुनावों से पहले पार्टी को कमजोर बना सकती है।
चुनाव
ऐसे होता है पार्टी नेता का चुनाव
कनाडा के लिबरल नेता का चुनाव एक विशेष सम्मेलन के माध्यम से किया जाता है, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महीनों लग सकते हैं।
अगर, लिबरल पार्टी को स्थायी नेता मिलने से पहले चुनाव की घोषणा कर दी जाती है, तो पार्टी को बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है।
ट्रूडो की राजनीतिक मुश्किलें उस समय और बढ़ गई जब पियरे पोलिएवर के नेतृत्व वाली विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी को जनमत सर्वेक्षणों में भारी बढ़त हासिल हुई है।