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    भारत से कनाडाई राजनयिकों को निकाले जाने पर कनाडा के साथ आए अमेरिका और ब्रिटेन
    भारत से कनाडाई राजनयिकों को निकाले जाने पर कनाडा के साथ आए अमेरिका और ब्रिटेन

    भारत से कनाडाई राजनयिकों को निकाले जाने पर कनाडा के साथ आए अमेरिका और ब्रिटेन

    लेखन महिमा
    Oct 21, 2023
    10:37 am

    क्या है खबर?

    अमेरिका और ब्रिटेन ने भारत की तरफ से कनाडा के 41 राजनयिकों को दिए गए देश छोड़ने के आदेश पर अपनी चिंता व्यक्त की है।

    दोनों देशों ने भारत से आग्रह किया है कि वह कनाडा पर भारत में अपनी राजनयिक उपस्थिति कम करने का दबाव न डाले।

    इस बीच कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि कनाडाई राजनयिकों पर भारत सरकार की कार्रवाई दोनों देशों के लाखों लोगों के लिए सामान्य जीवन को कठिन बना रही है।

    मामला

    किस बात को लेकर है भारत और कनाडा के बीच विवाद?

    कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ होने का दावा करने के बाद से भारत और कनाडा के बीच तनाव है।

    पिछले महीने भारत ने कनाडा से अपनी राजनयिक उपस्थिति कम करने के लिए कहा था, जिसके बाद कनाडा ने भारत से अपने 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया है।

    इस पर कनाडाई विदेश मंत्री जोली ने भारत पर अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया था।

    चिंता

    अमेरिका ने भारत से जांच में सहयोग का आग्रह किया

    अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि भारत सरकार के आदेश के बाद अमेरिका कनाडा के राजनयिकों के भारत छोड़कर जाने से चिंतित हैं, मतभेदों को सुलझाने के लिए जमीनी स्तर पर राजनयिकों की आवश्यकता होती है।

    उन्होंने कहा, "मतभेदों को सुलझाने के लिए जमीनी स्तर पर राजनयिकों की आवश्यकता होती है। हमने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह कनाडा की राजनयिक उपस्थिति को कम करने की बजाय जांच में सहयोग करे।"

    जानकारी

    ब्रिटेन ने भारत सरकार के आदेश पर जताई असहमति

    ब्रिटेन के विदेश कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा, "हम भारत सरकार द्वारा लिए गए फैसलों से सहमत नहीं हैं, जिसके परिणामस्वरूप कई कनाडाई राजनयिकों को भारत छोड़ना पड़ा।" ब्रिटेन ने कहा कि ये वियना कन्वेंशन के सिद्धांतों या प्रभावी कार्यप्रणाली के अनुरूप नहीं है।

    आलोचना 

    कनाडा विवाद में अमेरिका और ब्रिटेन ने पहली बार की सीधी आलोचना

    विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका और ब्रिटेन भारत के साथ संबंधों में तनाव नहीं चाहते क्योंकि वो भारत को अपने मुख्य एशियाई प्रतिद्वंद्वी चीन के प्रति संतुलन के रूप में देखते हैं।

    हालांकि, अमेरिकी विदेश विभाग और ब्रिटेन के विदेश कार्यालय की प्रतिक्रिया कनाडा के साथ चल रहे विवाद में पहली बार दिल्ली की सीधी आलोचना के तौर पर देखा जा रहा है।

    बता दें कि भारत की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

    कनाडा

    कनाडा ने कहा- भारत लाखों लोगों की मुश्किलें बढ़ा रहा

    ब्रिटेन और अमेरिका की प्रतिक्रिया के बीच ट्रूडो ने कहा, "भारत सरकार भारत और कनाडा में लाखों लोगों के लिए जीवन को सामान्य रूप से जारी रखना अविश्वसनीय रूप से कठिन बना रही है। और वे कूटनीति के एक बहुत ही बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन करके ऐसा कर रहे हैं।"

    एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि यह कुछ ऐसा है जिसने मुझे उन लाखों कनाडाई लोगों की भलाई और खुशी के लिए बहुत चिंतित किया है।

    उल्लंघन

    ट्रूडो ने फिर भारत पर लगाया अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन का आरोप

    ट्रूडो ने कहा, "भारत सरकार ने इस सप्ताह जो कार्रवाई की, वह अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है। भारत सरकार ने भारत में 40 कनाडाई राजनयिकों की राजनयिक प्रतिरक्षा को एकतरफा रद्द करने का फैसला किया। यह वियना कन्वेंशन का उल्लंघन है। इसके बारे में दुनिया के सभी देशों को चिंतित होना चाहिए। कनाडा की धरती पर एक कनाडाई नागरिक की कथित हत्या करके अंतरराष्ट्रीय कानून के गंभीर उल्लंघन के हमारे आरोपों को भारत सरकार खारिज कर रही है।"

    जवाब

    भारत कर चुका है आरोपों का खंडन

    कनाडा ने इससे पहले भी भारत पर अंतर्राष्ट्रीय कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया था।

    तब अपनी प्रतिकिया में भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था, "हमारे द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति, भारत में कनाडाई राजनयिकों की अधिक संख्या और हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के कारण नई दिल्ली-ओटावा में समान राजनयिक उपस्थिति की आवश्यकता है। इस समानता को लागू करने में हमारे कार्य पूरी तरह राजनयिक संबंधों पर वियना सम्मेलन के अनुच्छेद 11.1 के अनुरूप हैं।"

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