ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन का ट्रायल रुकने पर विशेषज्ञों का क्या कहना है?
इंग्लैंड में एक वॉलेंटियर के बीमार पड़ जाने के कारण ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका द्वारा तैयार की जा रही कोरोना वायरस की संभावित वैक्सीन का अंतिम चरण का ट्रायल रोक दिया गया है। एस्ट्राजेनेका ने इसे रूटीन रूकावट बताते हुए कहा है कि वॉलेंटियर की बीमारी के बारे में अभी तक कुछ समझ नहीं आया है। इसको लेकर अब विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं सामने आई है। आइए जानते हैं कि इस रुकावट को लेकर किसने क्या कहा।
मामले की जांच का इंतजार करना चाहिए- इयान जोन्स
ब्रिटेन की रीडिंग यूनिवर्सिटी में वायरोलॉजी के प्रोफेसर इयान जोन्स ने कहा, "बड़ी संख्या में लोगों पर वैक्सीन का परीक्षण करने के दौरान कुछ लोगों का बीमार होना स्वाभाविक प्रक्रिया है। हमें इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि जांच में क्या कारण सामने आता है। मुझे लगता है कि इस पड़ाव को बदकिस्मती कहना सबसे सही रहेगा।" उन्होंने कंपनी द्वारा ट्रायल को बीच में रोकने के निर्णय को सही ठहराया है।
वॉलेंटियर का बीमार होना ट्रायल प्रक्रिया का सामान्य हिस्सा- चार्ली वेलर
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार वेलकम में वैक्सीन कार्यक्रम के प्रमुख चार्ली वेलर ने कहा, "किसी भी वैक्सीन को विकसित करते समय सुरक्षा महत्वपूर्ण बिंदू होता है। इसी के लिए ट्रायल को रोका गया है। वैक्सीन के हजारों लोगों पर ट्रायल के दौरान ऐसी स्थिति सामान्य प्रक्रिया है।" उन्होंने कहा कि यह समझना सबसे महत्वपूर्ण कि बीमारी का वैक्सीन या प्लेसेबो से कोई संबंध है या नहीं। इसके लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका को डाटा साझा करना चाहिए।
ट्रायल में दवा का साइड इफेक्ट होना आम बात- जेम्स गिल
वार्विक मेडिकल स्कूल और लॉकम GP के मानद क्लिनिकल लेक्चरर जेम्स गिल ने कहा, "नई वैक्सीन को विकसित करने के दौरान साइड इफेक्ट होना आम बात है। ऐसे में हम जानते हैं कि आईबुप्रोफेन से दिल में जलन हो सकती है।" उन्होंने कहा, "लोग दवा लेने के बाद भी बीमार हो जाते हैं। हम जानते हैं कि फ्लू वैक्सीन फ्लू का कारण नहीं बनती है, लेकिन कुछ लोग बदकिस्मत होते हैं जो वैक्सीन लगाने के बाद बीमार हो जाते हैं।"
बिना किसी रुकवाट के तैयार होने वाली वैक्सीन पर होगा संदेह
गिल ने कहा, "कोरोना के उपचार के लिए तैयार की जाने वाली कोई भी वैक्सीन बिना किसी रुकवाट के बाजार में आ जाती है तो मुझे उसकी प्रभाविकता पर पूरी तरह से संदेह होगा। ऐसे में कोरोना की प्रभावी वैक्सीन तैयार होने में समय लगेगा।"
वॉलेंटियर का बीमार होने की उम्मीद की जा सकती है- स्टीफन इवांस
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में फार्माकोपिडेमियोलॉजी के प्रोफेसर स्टीफन इवांस ने कहा, "हमे नहीं पता कि मामला क्या है, लेकिन यह देखते हुए कि ब्रिटेन में 70 साल से अधिक उम्र के लोगों को ट्रायल में शामिल किया गया है तो इस तरह की घटना की उम्मीद की जा सकती है।" उन्होंने कहा, "कभी-कभार एक वृद्ध में स्ट्रोक का खतरा होने की उम्मीद होती है, लेकिन यह युवाओं में भी हो सकता है।"
"फिलहाल घटना के कारणों का अनुमान लगाना मुश्किल"
इवांस ने कहा, "ब्रिटेन में ट्रालय के दौरान पूरी सावधानी बरती जाती है। ऐसे में फिलहाल यह अनुमान लगाना मुश्किल होगा कि वैक्सीन के कमी के कारण वॉलेंटियर बीमार हुआ होगा। मामले की जांच के बाद ही वास्तविक कारण सामने आ पाएंगे।"
ट्रायल का बीच में रुकना है सामान्य घटना- ल्यूकोकेयर
बाकी सभी की तरह इटली की रीथियेरा और बेल्जियम की यूनीवेरकल्स के साथ बंदर के एडिनोवायरस आधारित वैक्सीन पर काम करने वाली जर्मनी की ल्यूकोकेयर कंपनी के CEO माइकल स्कोल ने कहा कि ट्रायल के बीच में रुकना सामान्य घटना है। उन्होंने कहा जब आप 20,000 लोगों पर ट्रायल करते हैं तो कुछ लोगों में इसे प्रतिकूल प्रभावत नजर आते ही हैं। ऐसे में वैक्सीन को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है। परीक्षण अभी जारी है।
जल्द ही फिर से शुरू होगा वैक्सीन का ट्रायल- सीरम इंस्टीट्यूट
वैक्सीन का भारत में ट्रायल और उत्पादन देखने वाली सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा कि इस पर कुछ टिप्पणी नहीं की जा सकती है। जल्द ही ट्रायल फिर से शुरू होगा। भारत में इसका ट्रायल की प्रक्रिया जारी है और कोई परेशानी नहीं हैं।
कई देशों में चल रहे हैं वैक्सीन के ट्रायल
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका द्वारा बनाई जा रही यह वैक्सीन भारत में 'कोविशील्ड' के नाम से जानी जा रही है। यह रेस में सबसे आगे चल रही चुनिंदा वैक्सीन्स में से एक है। दुनिया के कई देशों में इसके ट्रायल चल रहे हैं। इसके पहले और दूसरे चरण के ट्रायल सफल रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में इसके अमेरिका, इंग्लैंड, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में लगभग 30,000 वॉलेंटियर पर तीसरे चरण का ट्रायल शुरू हुए हैं।
साल के अंत तक बाजार में आ सकती है यह वैक्सीन
पिछले दिनों वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण के नतीजे प्रकाशित हुए थे और इनमें पाया गया था कि वैक्सीन दोहरी सुरक्षा प्रदान करती है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो यह इस साल के अंत तक लोगों के लिए उपलब्ध हो सकती है।