
CJI रंजन गोगोई का बड़ा बयान, 18 अक्टूबर तक पूरी हो जाएगी अयोध्या विवाद की सुनवाई
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने बड़ा बयान देते हुए अयोध्या जमीन विवाद की सुनवाई 18 अक्टूबर कर पूरी होने की बात कही है।
मामले में मध्यस्थता दोबारा शुरू करने की मध्यस्थता समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए CJI गोगोई ने ये बात कही।
इस बीच उनकी अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि मध्यस्थता सुनवाई के साथ-साथ चल सकती है और अगर इसके जरिए कोई समाधान होता है तो इसके बारे में उन्हें सूचित किया जाए।
मध्यस्थता
पहले नाकाम रह चुकी है मध्यस्थता की कोशिश
मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 8 मार्च को अयोध्या विवाद को मध्यस्थता के जरिए सुलझाने का सुझाव देते हुए तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति बनाई थी।
पूर्व न्यायाधीश फकीर मोहम्मद इब्राहिम खलीफुल्ला की अध्यक्षता वाली इस समिति में 'आर्ट ऑफ लिविंग' के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल थे।
हालांकि मध्यस्थता असफल रही, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट 6 अगस्त से मामले पर रोज सुनवाई कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में अपील
मध्यस्थता समिति ने जताई दोबारा मध्यस्थता शुरू करने की इच्छा
इस बीच पिछले दिनों मध्यस्थता समिति ने सुप्रीम कोर्ट से मामले में फिर से मध्यस्थता शुरू की इजाजत मांगी।
दरअसल, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने मध्यस्थता समिति को पत्र लिखकर फिर से मध्यस्थता शुरू करने का आग्रह किया था।
आपसी सहमति से विवाद को सुलझाने की निर्वाणी अखाड़ा की बात का मामले में दूसरे पक्ष निर्मोही अखाड़ा ने समर्थन किया था।
इसके बाद समिति ने मेमोरेंडम के जरिए सुप्रीम कोर्ट को इसकी सूचना दी।
सुप्रीम कोर्ट सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने दी मध्यस्थता दोबारा शुरू करने की इजाजत
बुधवार को इस पर सुनवाई करते हुए CJI गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि वो 18 अक्टूबर तक मामले की सुनवाई पूरी कर लेंगे और तब तक मध्यस्थता की कोशिश जारी रखी जा सकती है।
बेंच ने कहा, "अगर पक्षकार मध्यस्थता के जरिए विवाद को सुलझाना चाहते हैं तो वो ऐसा कर सकते हैं।"
कोर्ट ने आदेश दिया है कि बातचीत के जरिए अगर कोई समाधान निकलता है तो उसे सूचित किया जाए।
अयोध्या विवाद
क्या है अयोध्या विवाद?
अयोध्या में मुख्य विवाद 2.7 एकड़ जमीन को लेकर है।
2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था।
2-1 के बहुमत से सुनाए गए इस फैसले में जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड (मुस्लिम पक्ष), राम लला (हिंदू पक्ष) और निर्मोही अखाड़ा में बराबर-बराबर बांटा था।
इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी और सुप्रीम कोर्ट तब से इस पर सुनवाई कर रहा है।