खून के थक्के जमने की समस्या के कारण डेनमार्क ने लगाई एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पर स्थायी रोक
क्या है खबर?
डेनमार्क ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका कंपनी की कोरोना वायरस वैक्सीन के इस्तेमाल पर स्थायी रोक लगा दी है औऱ अब देश के वैक्सीनेशन अभियान में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
वैक्सीन लगवाने वाले लोगों के खून में थक्के जमने की दुर्लभ समस्या को देखते हुए ये फैसला लिया गया है। इसी के साथ डेनमार्क हमेशा के लिए एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का इस्तेमाल बंद करने वाला यूरोप और दुनिया का पहला देश बन गया है।
बयान
अधिकारियों ने कहा- अनुमान से ज्यादा आ रहे खून के थक्के जमने के मामले
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पर रोक का ऐलान करते हुए डेनमार्क के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि वैक्सीन लेने पर खून के थक्के जमने के मामले अनुमान से अधिक सामने आ रहे हैं और हर 40,000 में से एक व्यक्ति इससे प्रभावित हो रहा है।
उन्होंने बताया कि देश में 1.40 लाख लोगों को एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगाई गई है जिसमें से दो में थ्रोम्बोसिस (खून के थक्के जमने) की समस्या देखने को मिली। इनमें से एक महिला की मौत भी हो गई।
वैक्सीनेशन
फाइजर और मॉडर्ना से आगे बढ़ाया जाएगा वैक्सीनेशन अभियान
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पर स्थायी रोक को डेनमार्क के वैक्सीनेशन अभियान के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, हालांकि देश के बाद फाइजर और मॉडर्ना के रूप में अन्य दो वैक्सीनें उपलब्ध हैं।
इसके अलावा देश में महामारी भी नियंत्रण में है और इसलिए जल्दबाजी की कोई जरूरत नहीं है।
58 लाख की आबादी वाले डेनमार्क में अब तक आठ प्रतिशत लोगों को दोनों खुराकें लगाई जा चुकी हैं, वहीं 17 प्रतिशत लोगों को एक खुराक लग चुकी है।
अस्थायी रोक
सबसे पहले डेनमार्क ने ही लगाई थी वैक्सीन पर अस्थायी रोक
बता दें कि डेनमार्क थ्रोम्बोसिस की समस्या के कारण एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पर अस्थायी रोक लगाने वाला पहला देश था। उसके बाद एक दर्जन से अधिक यूरोपीय देशों ने भी वैक्सीन के इस्तेमाल पर अस्थायी रोक लगा दी।
इनमें से ज्यादातर देशों ने यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी (EMA) के वैक्सीन को सुरक्षित और प्रभावी बताने के बाद इस रोक को हटा दिया था, हालांकि डेनमार्क उन चंद देशों में शामिल था जहां रोक जारी थी।
जानकारी
WHO और EMA कर चुके हैं वैक्सीन का बचाव
गौरतलब है कि स्वास्थ्य संगठन (WHO) और EMA एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का बचाव करते हुए कह चुके हैं कि लाभार्थियों में खून के थक्के जमने की समस्या बहुत दुर्लभ है और वैक्सीन के फायदे इससे होने वाले नुकसानों की तुलना में बहुत अधिक हैं।
विवाद
कई विवादों में रह चुकी है एस्ट्राजेनेका वैक्सीन
दुनिया की सबसे सस्ती कोरोना वैक्सीनों में शामिल एस्ट्राजेनेका वैक्सीन शुरू से ही विवादों में है।
पहले एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के बाद दुनियाभर में वैक्सीन का ट्रायल रोका गया और फिर ट्रायल के दौरान खुराक देने में हुई गलती के कारण कंपनी को गंभीर सवालों का सामना करना पड़ा।
60 साल से अधिक उम्र के लोगों पर वैक्सीन की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठे और कई देशों ने बुजुर्गों पर इसका इस्तेमाल बंद कर दिया।