कोरोना वैक्सीनेशन: दुनियाभर में कमी के बीच यह भारतीय कंपनी प्रति मिनट बना रही 5,900 सिरिंजें
कोरोना वायरस महामारी को काबू में करने के लिए दुनियाभर के देशों में वैक्सीनेशन अभियान जारी है और सभी देश अधिकतम लोगों को वैक्सीन लगाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि इस दिशा में खुराकों की कमी के साथ-साथ सिरिंजों की कमी एक बड़ा व्यवधान बनकर उभरी है और कई देश सिरिंजों की कमी से जूझ रहे हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए भारत की एक कंपनी सामने आई है जो प्रति मिनट 5,900 सिरिंज बना रही है।
बड़ा जोखिम उठा हिंदुस्तान सिरिंज ने निवेश किए 1.5 करोड़ डॉलर
जिस कंपनी की हम बात कर रहे हैं, वह हिंदुस्तान सिरिंज सिरिंज एंड मेडिकल डिवाइसेज है। दुनिया की सबसे बड़ी सिरिंज निर्माता कंपनियों में शामिल हिंदुस्तान सिरिंज ने महामारी में एक मौका देखा और वैक्सीनेशन के लिए विशेष सिरिंज बनाने के लिए लगभग 1.5 करोड़ डॉलर निवेश किए गए। ये निवेश ऐसे समय पर किया गया जब सिरिंजों की खरीद को लेकर कंपनी का किसी देश या संगठन से कोई समझौता नहीं हुआ था और यह एक बड़ा जोखिम था।
एक साल में तीन अरब सिरिंजों का निर्माण करना कंपनी का लक्ष्य
मई में कंपनी ने इटली, जर्मनी और जापान से सिरिंज बनाने का सामान ऑर्डर किया और 500 अतिरिक्त कर्मचारियों को नौकरी पर रख सिरिंजों का उत्पादन शुरू किया गया। अभी हरियाणा के बल्लभगढ़ में 11 एकड़ में फैले उसके कारखाने में प्रति मिनट वैक्सीनेशन के लिए जरूरी 5,900 विशेष सिरिंजों का उत्पादन किया जा रहा है। इस रफ्तार से कंपनी एक साल में लगभग 2.5 अरब सिरिंज बना सकती है और उसका लक्ष्य इसे बढ़ाकर तीन अरब तक करना है।
जापान और भारत की सरकारों को सिरिंजें बेच चुकी है कंपनी
कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव नाथ के अनुसार, कंपनी अभी तक जापान सरकार को 1.5 करोड़ और भारत सरकार को 40 करोड़ से अधिक सिरिंजें बेच चुकी है। कंपनी जल्द ही संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बाल आपातकालीन फंड (UNICEF) को 32 लाख सिरिंजें भी भेजेगी। इसके अलावा उसके लिए 24 करोड़ और सिरिंजों का निर्माण भी किया जाएगा। कंपनी को ब्राजील से भी सिरिंजों का ऑर्डर मिला है और जल्द ही उसे भी सिरिंजें भेजी जाएंगी।
अगर ऐसा हुआ तो डूब जाएगा कंपनी का पूरा निवेश...
नाथ ने कहा कि सिरिंज का कारोबार "खून चूसने" वाला है और इसमें खर्च अधिक और लाभ बेहद कम है। उन्होंने कहा कि अगर अगले साल सिरिंजों की मांग अभी के मुकाबले आधी भी हो गई तो उनका 1.5 करोड़ रुपये का निवेश डूब जाएगा।
इन देशों को करना पड़ रहा सिरिंजों की कमी का सामना
द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों ने वैक्सीन के उत्पादन के लिए तो अरबों रुपये का निवेश किया, लेकिन उन्होंने सिरिंजों के उत्पादन पर इतना ध्यान नहीं दिया और इसी कारण अब सिरिंजों की कमी पड़ रही है। अभी अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्राजील और जापान समेत तमाम देश सिरिंजों की कमी से जूझ रहे हैं और यहां की सिरिंज कंपनियों ने भी अपने उत्पादन में वृद्धि की है।