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    क्यों दी जा रही ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन की खुराकों के बीच अंतर बढ़ाने की दलील?

    क्यों दी जा रही ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन की खुराकों के बीच अंतर बढ़ाने की दलील?

    लेखन मुकुल तोमर
    Mar 02, 2021
    06:26 pm

    क्या है खबर?

    कई देशों में प्रयोग की जा रही ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की कोरोना वायरस वैक्सीन से संबंधित एक सवाल दुनियाभर के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है।

    यह सवाल है कि क्या वैक्सीन की दो खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाने यह अधिक प्रभावी हो जाती है।

    इस सवाल ने कहां से जन्म लिया और इसके पक्ष में क्या दलीलें दी जा रही हैं, आइए आपको इससे संबंधित पूरी बहस के बारे में बताते हैं।

    शुरूआती नतीजे

    शुरूआती नतीजों में कितनी प्रभावी पाई गई थी ऑक्सफोर्ड वैक्सीन?

    चिम्पैंजी में सर्दी-जुकाम करने वाले एडिनोवायरस में जेनेटिक बदलाव करने और उसके ऊपर कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन लगाकर बनाई गई ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए इंसानी ट्रायल के शुरूआती नतीजों में औसतन 70.4 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था।

    हालांकि खुराकों की मात्रा और दो खुराकों के बीच अंतर को ऊपर-नीचे करने पर वैक्सीन की प्रभावशीलता में अंतर देखने को मिला और इसी ने खुराकों के बीच अंतर बढ़ाने की बहस को जन्म दिया है।

    अध्ययन

    खुराकों के बीच अंतर बढ़ने पर प्रभावशीलता पर क्या असर पड़ा?

    लांसेट यूनिवर्सिटी में प्रकाशित तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजों से संबंधिक एक अध्ययन के अनुसार, ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की दो खुराकों के बीच 12 हफ्ते (तीन महीने) से अधिक का अंतराल होने पर इसे 82.4 प्रतिशत प्रभावी पाया गया, वहीं छह हफ्ते से कम के अंतराल पर यह आंकड़ा 54.9 प्रतिशत रहा।

    यही नहीं, 12 हफ्ते बाद दूसरी खुराक लेने वाले प्रतिभागियों में छह हफ्ते वाले समूह के मुकाबले दोगुनी एंटीबॉडीज भी पाई गईं।

    डाटा

    एक खुराक के बाद तीन महीनों तक 76 प्रतिशत सुरक्षा

    इस अध्ययन में यह बात भी सामने आई कि अगर दो खुराकों के बीच 12 हफ्ते का अंतर रखा जाता है तो इस बीच पहली खुराक भी कोरोना के संक्रमण से 76 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करती है।

    दलीलें

    12 हफ्ते के अंतराल पर खुराक देने से क्या फायदा?

    दो खुराकों के बीच 12 हफ्ते के अंतराल के समर्थक विशेषज्ञों का कहना है कि दो खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाने पर वैक्सीन 20-30 प्रतिशत अधिक प्रभावी साबित होती है और इससे लाखों नए संक्रमणों को रोका जा सकता है।

    विशेषज्ञों ने अभी वैक्सीन की सीमित सप्लाई की भी दलील दी है। उनका कहना है कि तीन महीने पर दूसरी खुराक की रणनीति अपनाने पर शरूआत में अधिक से अधिक लोगों को एक खुराक लगाकर सुरक्षित किया जा सकेगा।

    समर्थन

    WHO और SII कर चुके हैं खुराकों के बीच ज्यादा अंतराल रखने का समर्थन

    इन्हीं सभी आंकड़ों और दलीलों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का विशेषज्ञ समूह भी ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की दो खुराकों के बीच आठ से 12 हफ्ते का अंतर रखने का सुझाव दे चुका है।

    इसके अलावा ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का भारत में 'कोविशील्ड' नाम से उत्पादन कर रहे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के वैज्ञानिकों ने भी कहा है कि दो खुराकों के बीच जितना अधिक अंतर होगा, सुरक्षा उतनी अधिक मिलेगी।

    दूसरा पक्ष

    खुराकों के बीच अंतराल न बढ़ाने के समर्थकों का क्या कहना?

    इस बीच कुछ विशेषज्ञ ऐसे भी हैं जिन्होंने फिलहाल के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की दो खुराकों के बीच चार हफ्ते का अंतराल ही रखने का सुझाव दिया है।

    इन्हीं विशेषज्ञों में शामिल इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर संजय राय के मुताबिक, क्लिनिकल ट्रायल सबसे अच्छे सबूत होते हैं और इनका अध्ययनों से ज्यादा महत्व होता है। उन्होंने कहा कि दो खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाने के लिए अभी और सबूत की जरूरत है।

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