कनाडा ने वर्क परमिट नियमों में किया बदलाव, छात्रों से जुड़ी बड़ी खबर भी सामने आई
क्या है खबर?
कनाडा में पढ़ाई और काम के इच्छुक छात्रों और कामगारों से जुड़ी बड़ी खबरें सामने आई हैं।
कनाडा सरकार ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों और विदेशी कर्मचारियों के जीवनसाथियों के लिए ओपन वर्क परमिट (OWP) के नियमों में बड़ा बदलाव किया है, जो 21 जनवरी 2025 से लागू हो जाएंगे।
वहीं, पिछले साल मार्च और अप्रैल में करीब 20,000 भारतीय छात्र कनाडा पढ़ाई के लिए गए, लेकिन कॉलेजों में उपस्थित ही नहीं हुए।
नियम
OPW से जुड़े क्या नियम बदले गए?
नए नियम के तहत, अध्ययन कार्यक्रमों की अवधि और उच्च मांग वाले क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों के जीवनसाथियों के लिए OPW की पात्रता को निर्धारित किया गया है।
अब कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के जीवनसाथी 16 महीने या उससे ज्यादा अवधि के मास्टर कार्यक्रमों, डॉक्टरेट कार्यक्रमों या चयनित व्यावसायिक कार्यक्रमों में नामांकित होने पर OPW के लिए आवेदन कर सकेंगे।
इससे भारतीय छात्रों और उनके परिवारों को फायदा होगा।
संशोधन
इन नियमों में भी हुआ बदलाव
टीयर-1 श्रेणी या श्रमिकों की कमी का सामना कर रहे क्षेत्रों में काम करने वाले विदेशी कर्मचारियों के जीवनसाथी भी अब OPW के लिए पात्र होंगे। इसमें स्वास्थ्य, निर्माण, विज्ञान, शिक्षा और सैन्य जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
हालांकि, सरकार ने विदेशी कर्मचारियों के बच्चों के लिए नियम और सख्त कर दिए हैं। अब आश्रित बच्चे परिवार OPW के लिए पात्र नहीं होंगे।
जिन्हें पहले OPW की मंजूरी मिली थी, वे इसका नवीनीकरण करवा सकते हैं।
भारतीय छात्र
20,000 भारतीय छात्र कॉलेजों से अनुपस्थित रहे
आप्रवासन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (IRCC) के अनुसार, मार्च और अप्रैल 2024 में करीब 50,000 अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने वीजा मिलने के बावजूद कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश नहीं लिया। इनमें से लगभग 20,000 भारतीय थे। ये कुल भारतीय छात्रों का 5.4 प्रतिशत है।
इसके अलावा फिलीपींस के 2.2, चीन के 6.4, ईरान के 11.6 और रवांडा के 48.1 प्रतिशत छात्र अपने निर्धारित संस्थानों में उपस्थित नहीं हुए।
कुल मिलाकर 6.9 प्रतिशत छात्र अनुपस्थित रहे।
जांच
छात्रों के अनुपस्थित रहने की जांच की जा रही
रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ भारतीय छात्रों ने कथित तौर पर कनाडा और अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने के लिए स्टडी वीजा का इस्तेमाल किया। भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने कनाडाई कॉलेजों और भारत में संस्थाओं के बीच कथित संबंधों की जांच शुरू की है।
द ग्लोब एंड मेल से बात करते हुए आव्रजन विशेषज्ञ हेनरी लोटिन ने कहा, "कॉलेजों से अनुपस्थित भारतीय छात्र स्थायी निवास के लक्ष्य के साथ काम करते हुए कनाडा में ही रह गए।"