दुनिया के अलग-अलग कोनों में निभाई जाती हैं सुंदरता से जुड़ी ये अजीबोगरीब परंपराएं
हर महिला की ख्वाहिश होती है कि वह सुंदर दिखे और इसके लिए वह मेकअप का सहारा भी लेती है। हालांकि, दुनियाभर के अलग-अलग कोनों में इसे लेकर अजीबोगरीब परंपराएं भी निभाई जाती हैं। सुंदरता से जुड़ी ये परंपराएं इतनी खतरनाक और दर्दनाक हैं कि इनके बारे में जानकर आपको हैरानी होगी। चलिए फिर आज सुंदरता के लिए दुनियाभर में निभाई जाने वाली कुछ अजीबोगरीब परंपराओं के बारे में जानते हैं।
गले में पीतल के कुंडल पहनने की परंपरा
म्यांमार में कायन जनजाति की महिलाएं सुंदर दिखने के लिए गले में कई पीतल के कुंडल पहनती हैं। माना जाता है कि महिलाओं के गर्दन में कुंडलियों की संख्या जितनी ज्यादा होगी, वो उतनी ज्यादा सुंदर दिखेंगी। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां लंबी गर्दन को ही खूबसूरती का प्रतीक माना जाता है। जब महिलाओं की उम्र 5-8 साल होती है, तब पहली बार उनके गले में कुंडल पहनाया जाता है और उम्र बढ़ने के साथ-साथ इनकी गिनती भी बढ़ती जाती है।
निचले होंठ पर मिट्टी की प्लेट पहनने की परंपरा
इस परंपरा को इथियोपिया निवासी मुर्सी और सूरमा जनजाति की महिलाएं निभाती हैं। इसे लिप प्लेट भी कहते हैं। इनके मुताबिक, सुंदरता का मतलब है बड़े होंठ, लेकिन इसके लिए वे सर्जरी नहीं, बल्कि मिट्टी की प्लेट का इस्तेमाल करती हैं। इस परंपरा के तहत जब लड़कियां जवान हो जाती हैं तब उनके सामने और नीचे के 2 दांत हटा दिए जाते हैं और निचले होंठ में छेद करके उसमें लिप प्लेट लगा दिया जाता है।
पैरों को बांधने की परंपरा
पैरों को बांधने की परंपरा प्राचीन समय में चीन में निभाई जाती थी। दरअसल, पहले यहां छोटे पैर सुंदरता की पहचान होते थे। इसके लिए छोटी उम्र में ही महिलाओं के पैरों की उंगलियों को मोड़कर तलवे के अंदर बांध दिया जाता था, ताकि इससे पैरों का आकार छोटा रहे। इस परंपरा को फूट बाइंडिंग या लोट्स फूट कहते हैं और यह बेहद दर्दनाक है। अच्छी बात यह है कि ये परंपरा अब पूरी तरह से खत्म हो चुकी है।
कान के छेद बड़े करने की परंपरा
दक्षिण केन्या की मसाई जनजाति की महिलाएं के लिए खूबसूरती का मतलब कान के बड़े छेद हैं। इसके लिए वो किसी भारी चीज का इस्तेमाल करके अपने कान के छेद बढ़ाती हैं। इसके बाद महिलाएं इसमें डैंगलिंग ईयररिंग्स पहनती हैं, जो काफी अलग प्रकार की होती है। साथ ही महिलाएं ईयररिंग्स से मिलता-जुलता स्कार्फ और जूता भी पहनती हैं। मसाई जनजाति के लोग गाय का खून पीने की परंपरा का भी पालन करते हैं।