अफ्रीका की इस जनजाति की अजीबोगरीब परंपराएं, पीते हैं गाय का खून
कई देशों में लोग आज भी ऐसी अजीबोगरीब रीति-रिवाजों का पालन करते हैं, जिनके बारे में जानकर हैरानी होती है। अफ्रीका में भी एक ऐसी जनजाति के लोग रहते हैं, जो अपने अनोखे और दुर्लभ परंपराओं के लिए जाने जाते हैं। इस जनजाति के लोग गाय का खून पीते हैं और किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार करने की बजाय उसके शव को जंगलों में फेंक देते हैं। आइये इन अजीबोगरीब परंपराओं के पीछे की वजह जानते हैं।
किस जनजाति के लोग निभाते हैं ये परंपरा?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह अनोखी परंपराएं अफ्रीका के केन्या में रहने वाले मासाई जनजाति के लोग निभाते हैं। मासाई जनजाति में अगर किसी की मृत्यु हो जाती है तो वह शवों को दफनाने या जलाने की बजाय उसे जंगलों में फेंक देते हैं। उनका मानना है कि शव को दफनाना मिट्टी के लिए हानिकारक हो सकता है, इसलिए वह शव को जंगलों में फेंक देते हैं ताकि जंगली जानवर उसे नोचकर खा लें।
शारीरिक मजबूती के लिए पीते हैं गाय का खून
मासाई जनजाति के लोग गाय का खून पीने के लिए भी मशहूर हैं। उनके यहां जब भी कोई खास अवसर होता है तो वो लोग जश्न मनाने के लिए गाय का खून पीते हैं। हालांकि, इसके लिए वह गायों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा उनका मानना है कि गाय का खून पीने से उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होगी। इस जनजाति के कुछ लोग नशे से मुक्ति पाने के लिए भी इसे पीते हैं।
खानाबदोश जीवन जीते हैं मासाई जनजाति के लोग
अनोखी परंपराओं का पालन करने वाले इस जनजाति के लोग खानाबदोश जीवन जीते हैं। खानाबदोश वो लोग होते हैं, जो एक जगह से दूसरी जगह पर घूमते रहते हैं। दरअसल, मासाई जनजाति के लोगों के जीवन में जानवरों का बहुत महत्व है। वह मांस और दूध पर ही निर्भर रहते हैं, इसलिए वह खानाबदोश जीवन जीते हैं ताकि उनके जानवरों को चरने के लिए नई-नई जगह मिल सके।
मुखिया के नियमों का करते हैं पालन
मासाई जनजाति के लोग लाल रंग के कपड़े पहनते हैं ताकि उन्हें आसानी से पहचाना जा सके। इसके अलावा जनजातीय समूह का सबसे उम्रदराज सदस्य उनका मुखिया होता है और सभी लोग सरकार के नियमों की जगह मुखिया के फैसलों को मानते हैं।
इंडोनेशिया की दानी जनजाति में महिलाओं की आधी उंगलियां काटने की परंपरा
इंडोनेशिया में दानी जनजाति के लोगों द्वारा भी एक बेहद अजीबोगरीब परंपरा निभाई जाती है। इस परंपरा में परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु होने पर महिलाओं की आधी उंगलियों को काट दिया जाता है। इस परंपरा का नाम 'इकिपालिन' है। दानी जनजाति के लोगों का मानना है कि उंगली काटने की प्रक्रिया के दौरान महिलाओं को जो दर्द महसूस होता है, उससे मृतक के दर्द को कम करने में मदद और पैतृक की आत्मा को शांति मिलती है।