असम की दुर्लभ मनोहारी गोल्ड चाय की हुई 50,000 रुपये किलो में नीलामी
भारत सहित पूरी दुनिया में चाय काफ़ी पसंद की जाती है। अक्सर आप भी चाय ख़रीदने दुकान पर जाते होंगे और 400-500 रुपये में एक किलो चाय ख़रीदते होंगे। लेकिन आपने कभी सोचा है कि कोई चाय की कीमत 50,000 रुपये किलो भी हो सकती है। दरअसल, एक सार्वजनिक नीलामी में मंगलवार की सुबह गुवाहाटी चाय नीलामी केंद्र पर असम की प्रसिद्ध मनोहारी गोल्ड चाय की एक किलो मात्रा 50,000 रुपये बिकी। आइए जानें।
पिछले साल भी माहेश्वरी ने ख़रीदी थी दो किलो मनोहारी गोल्ड चाय
जानकारी के अनुसार, सौरभ टी ट्रेडर्स के मंजीलाल माहेश्वरी ने मंगलवार सुबह की नीलामी में मनोहारी गोल्ड चाय के लिए सबसे ज़्यादा 50,000 रुपये बोली लगाई। आपको जानकार हैरानी होगी कि माहेश्वरी ने पिछले साल 2018 में भी दो किलो मनोहारी गोल्ड चाय ख़रीदी थी। माहेश्वरी ने कहा, "एक चाय विक्रेता, जिसने एक किलो चाय ख़रीदी थी, उसे बहुत पसंद आया और उसने फिर से चाय पर नज़र बनाए रखने के लिए कहा था।"
पिछले साल एक किलो गोल्डन नीडल चाय 40,000 रुपये में बिकी थी
पिछले साल एक नीलामी में इसी चाय का एक किलोग्राम 39,001 रुपये में बेचा गया था। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड था, जो जल्दी ही अरुणाचल प्रदेश के डोनी पोलो टी स्टेट के गोल्डन नीडल चाय की क़िस्म द्वारा टूट गया। जानकारी के अनुसार, एक किलो गोल्डन नीडल चाय 40,000 रुपये में बेची गई थी। इसे असम के एक चाय व्यापारी ने ख़रीदा था, जो प्रदेश में चाय की सबसे पुरानी दुकानों में से एक का परिचालक है।
कम होने की वजह से काफ़ी महँगी है मनोहारी गोल्ड
गुवाहाटी टी ऑक्शन बायर्स एसोसिएशन के सचिव दिनेश बिहाणी ने दावा किया कि मनोहारी गोल्ड की कीमत किसी सार्वजनिक नीलामी में चाय के लिए मिली अब तक सबसे ज़्यादा है। वहीं, ऊपरी असम के डिब्रूगढ़ में मनोहारी टी स्टेट के मालिक राजन लोहिया ने बताया कि कैसे इस साल केवल लगभग पाँच किलो उत्तम विशेषता वाली रूढ़िवादी चाय का उत्पादन किया गया था। यह चाय कम होती है, इसलिए काफ़ी महँगी होती है।
छोटी कलियों से बनती है मनोहारी गोल्ड चाय
लोहिया ने बताया, "मौसम बहुत सहायक नहीं था। गोल्ड चाय को छोटी कलियों से बनाया जाता है, न कि चाय की पत्तियों से, जो एक बहुत ही कठिन प्रक्रिया है।" लोहिया ने आगे बताया, "यह बेहतरीन क्लोन P-126 से बना है, जिसे सबसे अच्छा क्लोन कहा जाता है। कलियों को मई और जून में दूसरे फ़्लश सीज़न की शुरुआत में लगाया जाता है।" आपको बता दें कि इस चाय के उत्पादन में काफ़ी ख़र्च भी आता है।