इंग्लैंड: किंग एडवर्ड सप्तम के लिए तैयार की गई दुर्लभ चायदानी की हो रही नीलामी
रॉबिन टीपॉट (दुलर्भ चायदानी) को साल 1901 में यूनाइटेड किंगडम (UK) के किंग एडवर्ड सप्तम के लिए उपहार के रूप में वेल्स की राजकुमारी ने बनवाया था। अब एक सदी से भी अधिक समय के बाद शाही इतिहास को खुद में समेटे हुए यह चायदानी आगामी नीलामी के माध्यम से एक नया मालिक ढूंढने के लिए तैयार है। इस चायदानी को 19 सितंबर को इंग्लैंड के सैलिसबरी में वूली और वालिस नीलामी घर में बेचा जाने वाला है।
चायदानी के 10 से 12 लाख रुपये में बिकने का लगाया गया अनुमान
यह चायदानी 7 इंच लंबी है और इसे साल 1876 में चीनी मिट्टी से बनाया था। नीलामी घर के अनुसार, यह चायदानी अब रॉयल कलेक्शन का हिस्सा नहीं है क्योंकि रानी एलेक्जेंड्रा को नियमित रूप से अपने दोस्तों और कर्मचारियों को कीमती वस्तुएं उपहार में देने की आदत थी। यह चायदानी ऐसे ही किसी व्यक्ति के पास से नीलामी घर तक पहुंची है। इस चायदानी के 10 से 12 लाख रुपये के बीच बिकने का अनुमान लगाया गया है।
प्राचीन होने के बावजूद अधिक नहीं है चायदानी की कीमत
रॉबिन टीपॉट पहले गोस्फोर्ड के अर्ल आर्चीबाल्ड एचेसन के शाही संग्रह का हिस्सा था। इतनी प्राचीन होने के बावजूद यह चायदानी सबसे महंगी चायदानियों की कीमत के आसपास भी नहीं है। ब्रिटेन की एक स्वयंसेवी संस्था एन सेठिया फाउंडेशन के पास दुनिया की सबसे महंगी केतली है, जो 18 कैरेट सोने से बनी है और उसे कई हीरों से सजाया गया है। इसके अलावा इस प्राचीन वस्तु के बीच में 6.67 कैरेट का रूबी हीरा भी जड़ा हुआ है।
गिनीज बुक में शामिल है चायदानी का नाम
फाउंडेशन की चायदानी का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी शामिल है। इस चायदानी का हैंडल मैमथ हाथी दांत के जीवाश्म से बनाया गया है और इसे साल 2016 में 24.83 करोड़ रुपये में बेचा गया था। विश्व रिकॉर्ड की आधिकारिक संस्था के अनुसार, चायदानी का चमकता हुआ रत्न इटली के जौहरी फुल्वियो स्कैविया द्वारा बनाया गया था। साल 2016 में गिनीज बुक ने एक ट्वीट के माध्यम से लोगों को इस मूल्यवान चायदानी के बारे में जानकारी दी थी।
121 साल पुरानी कैडबरी चॉकलेट भी बनी नीलामी का हिस्सा
चायदानी से पहले 121 साल पुरानी कैडबरी चॉकलेट भी नीलामी का हिस्सा बनी, जो कि किंग एडवर्ड सप्तम और रानी एलेक्जेंड्रा के राज्याभिषेक से जुड़ी थी। कैडबरी ने साल 1902 में राज्याभिषेक के जश्न से समर्पित चॉकलेट्स बनाई थीं और इसे बच्चों में बांटा गया था। हालांकि, तब 9 वर्षीय बच्ची मैरी एन ब्लैकमोर ने उसे खाने की बजाय अवसर की याद में रखने का फैसला किया। इसके बाद इसी साल जुलाई में यह चॉकलेट नीलामी घर तक पहुंच गई।