ब्रिटेन: दुर्लभ बीमारी से जूझ रही 6 वर्षीय बच्ची, कार्टून देखते-देखते जा सकती है जान
क्या है खबर?
दुनियाभर में लोगों को ऐसी बीमारियां होती हैं, जो काफी दुर्लभ होती हैं और लाखों-करोड़ों में से किसी एक को ही होती हैं। इस कारण वो व्यक्ति चर्चा का विषय बन जाता है।
यूनाइटेड किंगडम (UK) की निवासी 6 वर्षीय बच्ची भी एक ऐसी दुर्लभ बीमारी से जूझ रही है, जिसमें वह कभी भी मर सकती है, खासतौर पर तब जब वह टीवी पर अपना पसंदीदा कार्टून 'पेप्पा पिग' देख रही हो।
आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
मामला
CCHS नामक दुर्लभ बीमारी से जूझ रही है सैडी
ब्रिटेन के बर्मिंघम निवासी स्टार बाउयर (48) और उनके पति एंड्रयू बाउयर (44) अपनी 6 वर्षीय बेटी सैडी की 24 घंटे देखभाल करते हैं।
सैडी जब 2 महीने की थी, तब उसके कॉन्गेनिटल सेंट्रल हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम (CCHS) होने का पता चला था। इसके कारण सैडी का दिमाग सोते समय सांस लेना भूल सकता है, जिससे वह कभी भी मर सकती है।
सांस लेने में मदद करने के लिए उसकी श्वास नली में छेद करके वेंटिलेटर लगाया जाता है।
बयान
कार्टून देखते-देखते सांस लेना बंद कर देती है सैडी
सैडी की मां स्टार ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि अगर सैडी अपने मनपसंदीदा कार्टून पेप्पा पिग पर ध्यान केंद्रित करती है तो वह सांस लेना बंद कर देती है।
उन्होंने कहा, "सैडी का रंग नीला पड़ने लगता है और उसे तुरंत वेंटिलेटर पर रखना पड़ता है। हम कभी सैडी को अकेला नहीं छोड़ सकते क्योंकि अगर वह अचानक सो जाती है तो इससे उसकी जान को खतरा हो सकता है।"
बयान
सोते वक्त अचानक रुक जाती है सांस
स्टार के मुताबिक, सैडी की बीमारी के कारण वह खुद 6 साल से ठीक से सोई नहीं हैं क्योंकि वह 24 घंटे उसकी देखभाल करती रहती हैं।
स्टार ने बताया, "दिन के समय सैडी बिल्कुल सामान्य बच्ची की तरह रहती है, लेकिन जब वह सो जाती है तो उसकी सांस रुक जाती है। इस कारण सैडी के बेडरूम में अस्पताल जैसे उपकरण भी मौजूद हैं। इसके अलावा वह कार से यात्रा या शाम को फिल्म देखने से भी बचती हैं।"
इलाज
इलाज पर करोड़ों रुपये होंगे खर्च
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सैडी के माता-पिता बच्ची के इलाज और डायाफ्रामिक पेसर्स के लिए पैसे जुटा रहे हैं। इससे सैडी को बिना वेंटिलेटर के सांस लेने में मदद मिल सकती है।
सैडी के इस ऑपरेशन में 1,60,000 पाउंड यानी 1.63 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। हालांकि, इसके बाद उसका जीवन बदल जाएगा क्योंकि फिर वह आराम से सो सकेगी।
आपको बता दें कि अभी तक इस दुर्लभ बीमारी के लगभग 1,000 मामले दर्ज किए गए हैं।