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उज्जैन: भगवान भैरवनाथ को चढ़ाया गया भांग, गांजे, सिगरेट और शराब का भोग
उज्जैन में भगवान भैरवनाथ पर सिगरेट और शराब आदि चढ़ाए गए

उज्जैन: भगवान भैरवनाथ को चढ़ाया गया भांग, गांजे, सिगरेट और शराब का भोग

लेखन गौसिया
Nov 18, 2022
07:02 pm

क्या है खबर?

मध्य प्रदेश के उज्जैन में बुधवार को भैरव अष्टमी के मौके पर 56 भैरव मंदिर में भगवान भैरवनाथ पर खास तरह का भोग चढ़ाया गया। 1,351 तरह के इस भोग में 40 किस्म की शराब, 60 प्रकार की सिगरेट और भांग समेत कई खाने-पीने की चीजें शामिल थी। इस अवसर पर मंदिर में देर रात 12:00 बजे महाआरती हुई और फिर भोग को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांट दिया गया।

भोग

भगवान भैरवनाथ के भोग में ये चीजें रहीं शामिल

उज्जैन के भागसीपुरा स्थित 56 भैरव मंदिर में शराब चढ़ाने की परंपरा है। भैरव अष्टमी की वजह से भगवान के लिए भोग में श्रद्धालुओं ने 40 किस्म की देसी-विदेशी शराब, गांजा, अफीम, भांग, 60 तरह की सिगरेट, 30 अलग-अलग तंबाकू, 130 तरह की नमकीन, 55 प्रकार की मिठाई, 64 किस्म की चॉकलेट, 45 किस्म के बिस्कुट और 75 तरह के सूखे मेवे समेत 1,351 चीजें चढ़ाईं। इसके बाद मंदिर में महाआरती हुई और भोग को श्रद्धालुओं में बांट दिया गया।

परंपरा

2004 में शुरू हुई थी भोग में शराब चढ़ाने की परंपरा

वैसे तो यह मंदिर बहुत पुराना है, लेकिन भगवान के भोग में शराब चढ़ाने की परंपरा 2004 में शुरू हुई। मंदिर के पुजारी पंडित राजेश व्यास ने बताया, "ब्राह्मण होने के वजह से हमने मंदिर में शराब चढ़ाने पर प्रतिबंध लगाया था। लेकिन 2004 में एक शख्स की मां और पत्नी ने अपने सपने में भैरव बाबा को देखा, जिसमें उन्होंने 56 भोग लगाने का आदेश दिया। इसके बाद से ही यहां बाबा को शराब का भोग लगने लगा।"

नाम

मंदिर का नाम '56 भैरव मंदिर' कैसे पड़ा?

मंदिर में एक ही स्थान पर भगवान भैरवनाथ की 56 प्रतिमाएं होने की वजह से इसका नाम 56 भैरव मंदिर रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि भैरव अष्टमी के दिन बाबा भैरवनाथ की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा भक्तों के रुके हुए काम भी पूरे हो जाते हैं, इसलिए बड़ी संख्या में लोग यहां आकर बाबा भैरवनाथ का आशीर्वाद लेते हैं।

भगवान भैरवनाथ

न्यूजबाइट्स प्लस

पौराणिक कथाओं में भगवान भैरवनाथ को भगवान शिव का अंश (अवतार) बताया गया है, इसलिए भगवान शिव के भक्त भगवान भैरवनाथ को बहुत मानते हैं। भगवान भैरवनाथ की पूजा-अर्चना रात के समय की जाती है क्योंकि उन्हें 'रात का देवता' माना जाता है। इस मौके पर लोग उपवास रखते हैं और भगवान की अराधना में लीन रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उपवास रखने पर भगवान भैरवनाथ अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी करते हैं।