काशी विश्वनाथ मंदिर में लागू होगा ड्रेस कोड, शिवलिंग को जींस पहनकर नहीं कर सकेंगे स्पर्श
क्या है खबर?
भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में अब श्रद्धालु जींस, टी-शर्ट और टॉप पहनकर बाबा भोलेनाथ को स्पर्श नहीं कर सकेंगे।
मंदिर में दर्शनों के लिए अब नया ड्रेस कोड लागू किया गया है। इसके तहत मंदिर में बाबा के स्पर्श दर्शनों के लिए पुरुष श्रद्धालुओं को धोती-कुर्ता और महिलाओं का साड़ी पहनना अनिवार्य होगा।
यह व्यवस्था केवल स्पर्श दर्शन करने वालों पर ही लागू होगी।
इन पर लागू नहीं
दूर से दर्शन करने वालों पर लागू नहीं होगा ड्रेस कोड
नया ड्रेस कोड दूर से दर्शन करने वालों पर लागू नहीं होगा। वह पहले की भांति कतार में खड़े होकर दर्शन कर सकेंगे। उनके लिए परिधान की कोई पाबंद नहीं होगी।
रविवार की रात को हुई काशी विद्वत परिषद की बैठक में यह निर्णय किया गया है। हालांकि, अभी यह तय नहीं किया गया है कि नया ड्रेस कोड कब से लागू होगा, लेकिन परिषद की ओर से इसे जल्द ही लागू करने की बात कही गई है।
जानकारी
एक घंटे के लिए मिलता है स्पर्श दर्शन का मौका
काशी विश्वनाथ मंदिर में केवल एक घंटे के लिए ही स्पर्श दर्शन करने का मौका मिलता है। यह सुबह 11 बजे से पहले होता है।
पिछले साल सावन में भारी भीड़ के कारण श्रद्घालुओं के गर्भगृह में प्रवेश पर ही रोक लगा दी गई थी।
सावन के खत्म होने और भीड़ कम होने पर 23 अगस्त से एक घंटे के लिए गर्भगृह में जाने की छूट दी जाने लगी थी। इस दौरान शिवलिंग को स्पर्श करने करने दिया जाता है।
पौराणिक महत्व
स्पर्श दर्शन का है बड़ा पौराणिक महत्व
काशी विश्वनाथ मंदिर में भोलेनाथ के स्पर्श दर्शन का बड़ा ही पौराणिक महत्व बताया जाता है।
काशी खण्ड पुस्तक में लिखा है कि जीवन में सभी शिवलिंगों की आराधना से जो पुण्य नहीं मिल सकता वो केवल एक बार विश्वेश्वर के पूजन से मिल जाता है।
इसके स्पर्श मात्र से राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। काशी खण्ड के त्रिस्थली सेतु के अनुसार विश्वेश्वर के दर्शन के बाद मनुष्य अगले जन्म में मोक्ष का भागी हो जाता है।
यहां भी ड्रेस कोड
इन मंदिरों में भी दर्शन के लिए है विशेष ड्रेस कोड
मंदिर में दर्शनों के लिए ड्रेस कोड निर्धारित करने का यह पहला मामला नहीं है। उज्जैन के महाकाल मंदिर में भी बाबा के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं को धोती-कुर्ता या साड़ी पहननी होती है।
इसी तरह केरल के प्रसिद्ध पद्मनाभस्वामी मंदिर में भी सिला हुआ कपड़ा पहनकर आने वालों को दर्शन नहीं करने दिए जाते हैं।
दक्षिण भारत में आस्था के प्रमुख केन्द्र तिरूपति बालाजी में भी श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए आवश्यक रूप से धोती पहननी होती है।