
टाइटैनिक के खास यात्रियों के लिए बनाया गया चाय का कप 3.28 लाख रुपये में नीलाम
क्या है खबर?
1912 में टाइटैनिक जहाज डूबने की घटना में सुरक्षित बचा एक चाय का कप इंग्लैंड में नीलाम किया गया। सालों पुराना और थोड़ा-सा टूटा होने के बावजूद यह कप 3.28 लाख रुपये में नीलाम हुआ।
जानकारी के मुताबिक, टाइटैनिक के प्रथम श्रेणी के यात्रियों के लिए लिवरपूल पॉटरी स्पोड द्वारा यह अनोखा कप बनाया गया था।
इसका रंग नीला है और इसके सुनहरी डिजाइन के लिए इस पर सोने का पानी चढ़ा हुआ है।
अनोखा कप
डर्बी के व्यक्ति के पास से मिला था अनोखा कप
यह अनोखा कप डर्बी के एक 61 वर्षीय अज्ञात व्यक्ति के पास से तब मिला, जब वह अपने दिवंगत पिता के घर को साफ करते हुए प्राचीन वस्तुएं अलग रख रहा था। हालांकि, उस वक्त उसे इस कप के मूल्य के बारे में जानकारी नहीं थी।
सफाई के दौरान वहां हैनसन ऑक्शनियर्स के नीलमीकर्ता ने कप की ब्रांडिंग के महत्व पर ध्यान दिया, जिसके बाद इसके बैच नंबर से पता चला कि यह कप टाइटैनिक के लिए बनाया गया था।
कीमत
अनुमानित कीमत से 3 गुना ज्यादा का नीलाम हुआ कप
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अनोखे कप की पुष्टि के बाद हैनसन ऑक्शनियर्स में इसकी नीलामी 3,200 पाउंड (लगभग 3.28 लाख रुपये) में हुई, जो इसके अनुमानित मूल्य से 3 गुना ज्यादा है।
कप के अज्ञात मालिक ने कहा, "मुझे 5 साल पहले अपने पिता की मृत्यु के बाद यह कप मिला था और मुझे लगता है कि यह कप शायद उन्हें किसी ने उपहार के रूप में दिया था। हालांकि, मुझे इस कप की खासियत का अंदाजा बिल्कुल नहीं था।"
बयान
नीलामीघर के मालिक ने क्या कहा?
हैनसन ऑक्शनियर्स के मालिक चार्ल्स हैनसन ने कहा, "यह शानदार खोज की नीलामी हो चुकी है। एक घर की यात्रा के दौरान इस बेशकीमती कप ने मेरा और हैनसन के साथी विशेषज्ञ कैटी बियर्डमोर का ध्यान अपनी ओर खींचा।"
उन्होंने आगे कहा कि इस कप की पुष्टि के बाद उन्हें पता चला कि यह 100 साल से ज्यादा पहले टाइटैनिक के लिए बनी टेबलवेयर रेंज के कप का एक उदाहरण था।
टाइटैनिक
टाइटैनिक ने की थी अपनी पहली और आखिरी यात्रा
टाइटैनिक जहाज 10 अप्रैल, 1912 को ब्रिटेन के साउथेम्प्टन बंदरगाह से न्यूयॉर्क जा रहा था, तभी उत्तर अटलांटिक महासागर में एक हिमखंड से टकरा गया।
हिमखंड से टकराने के बाद टाइटैनिक डूब गया था और इसके दो टुकड़े हो गए गए।
इसका मलबा 3.8 किलोमीटर की गहराई में समा गया था। इस हादसे में करीब 1,500 लोग मारे गए थे।
टाइटैनिक की यह पहली और आखिरी यात्रा थी।