लैब में 3D प्रिंटर से तैयार हुआ मछली का टुकड़ा, स्वाद में नहीं कर पाएंगे अंतर
बहुत सी कंपनियों ने खेती के पर्यावरणीय टोल को दूर करने और पशु कल्याण पर चिंताओं से निपटने के लिए लैब में बीफ और चिकन को उगाना शुरू किया था, लेकिन अब कुछ कंपनियों ने इसके लिए समुद्री खाने को भी चुना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायल के स्टेकहोल्डर फूड्स ने सिंगापुर स्थित उमामी मीट के साथ मिलकर मछली की घटती आबादी को रोकने के लिए पहली बार 3D बायो-प्रिंटेड रेडी-टू-कुक ग्रॉपर मछली का टुकड़ा विकसित किया है।
इस तरह बनाया जाता है मछली का टुकड़ा
कंपनी ने लैब में उगाई गई पशु कोशिकाओं का इस्तेमाल करके पहली बार रेडी-टू-कुक ग्रॉपर मछली के हड्डी रहित टुकड़े को विकसित किया है। इसके लिए सबसे पहले उमामी मीट ग्रॉपर से कोशिकाओं को निकालता है और फिर उन्हें मांसपेशियों और वसा में विकसित करता है। इसके बाद स्टेकहोल्डर फूड्स उन्हें विशेष 3D प्रिंटर के लिए उपयुक्त बायो-इंक तैयार करता है। इससे एक ऐसा उत्पाद तैयार होता है, जो समुद्र में पकड़ी गई मछली के गुणों जैसा होता है।
अगले साल बाजार में उपलब्ध होगा मछली का टुकड़ा
रिपोर्ट्स के मुताबिक, उमामी मीट को अगले साल बाजार में अपना पहला उत्पाद लाने की उम्मीद है। इसकी शुरुआत सिंगापुर में होगी और फिर अमेरिका और जापान जैसे देशों में उत्पाद भेजा जाएगा। इन्हें तुरंत पकाया और खाया जा सकता है।
लैब में तैयार मछली का टुकड़ा और असली मछली के बीच अंतर बताना होगा मुश्किल
बीफ की तुलना में रेडी-टू-कुक मछली बनाने की प्रक्रिया आसान है। वहीं इसे तलने के बाद असली मछली के टुकड़े और लैब में तैयार किए गए मछली के टुकड़े के बीच अंतर बताना मुश्किल होता है। स्टेकहोल्डर फूड्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एरिक कॉफमैन ने कहा, जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा, इन उत्पादों की जटिलता और स्तर अधिक आसान होती जाएगी। इससे उत्पादन से जुड़ी कीमतें आगे चलकर घटेंगी।
कम है मछली स्टेम कोशिकाओं पर काम करने वाले वैज्ञानिकों की संख्या
उमामी के मुख्य कार्यकारी मिहिर परशाद ने कहा कि गाय के स्टेम की कोशिकाओं का बड़े पैमाने पर अध्ययन किया गया है, लेकिन मछली के बारे में बहुत कम जानकारी है। उन्होंने कहा, "हमे यह पता लगाना है कि कोशिकाएं क्या खाना और वह कैसे बढ़ना पसंद करती हैं। फिलहाल हमने ग्रॉपर और ईल के लिए एक प्रक्रिया का पता लगा लिया है और आने वाले महीनों में 3 अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों को जोड़ने की उम्मीद है।"