रोहित और कोहली ने तोड़ा धोनी का रिकॉर्ड, छठी बार ICC टूर्नामेंट के फाइनल में उतरे
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) का फाइनल मुकाबला भारतीय क्रिकेट टीम और ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के बीच खेला जा रहा है। फाइनल मुकाबले में भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया है। रोहित और विराट कोहली मैदान पर उतरने के साथ ही एक बड़ा रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया। दोनों छठी बार इंडियन क्रिकेट काउंसिल (ICC) टूर्नामेंट का फाइनल खेलने उतरे हैं। इस मामले में उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी का रिकॉर्ड तोड़ा है।
धोनी 5 बार खेल चुके हैं ICC टूर्नामेंट का फाइनल
धोनी 5 बार ICC टूर्नामेंट का फाइनल खेल चुके हैं। पहली बार उन्होंने साल 2007 में खेले गए टी-20 विश्व कप का फाइनल खेला था। इसके बाद वह 2011 वनडे विश्व कप के फाइनल में टीम के कप्तान थे। 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी भारत ने धोनी के कप्तानी में ही जीती थी। इसके बाद 2014 के टी-20 विश्व कप और 2017 के चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में भी धोनी खेलते नजर आए थे। दोनों टूर्नामेंट में भारत को हार मिली थी।
कोहली ने कब-कब खेले ICC टूर्नामेंट के फाइनल?
कोहली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना पहला मुकाबला साल 2008 में खेला था। उनका ICC टूर्नामेंट का पहला फाइनल साल 2011 में खेला गया वनडे विश्व कप था। वह 2013 के चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में भी टीम का हिस्सा थे। 2014 के टी-20 विश्व कप फाइनल में भी वह टीम में थे। इसके बाद 2017 चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में कोहली टीम के कप्तान थे। वह न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम के खिलाफ पहले WTC फाइनल में भी भारतीय टीम के कप्तान थे।
रोहित ने कब-कब खेले ICC टूर्नामेंट के फाइनल?
भारतीय टीम के कप्तान रोहित एक दशक से भी ज्यादा दिनों से टीम का हिस्सा हैं। उन्होंने पहला फाइनल साल 2007 के टी-20 विश्व कप में खेला था। साल 2011 के वनडे विश्व कप में वह टीम का हिस्सा नहीं थे। रोहित 2013 चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल खेले और इसके बाद 2014 टी-20 विश्व कप और 2017 के चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में भी टीम का हिस्सा थे। 2021 WTC फाइनल में रोहित सलामी बल्लेबाज के रूप में नजर आए थे।
2013 के बाद भारतीय टीम नहीं जीत पाई है कोई ICC ट्रॉफी
भारत ने साल 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी के रूप में अपनी अंतिम ICC ट्रॉफी जीती थी। तब से लेकर अब तक भारतीय टीम ने सभी फॉर्मेट्स में 8 ICC टूर्नामेंट में भाग लिया है, लेकिन हर बार उसके हाथ निराशा ही लगी है। हालांकि, खास बात ये है कि भारत इनमें से 7 टूर्नामेंट में लीग चरण को पार करने में सफल रहा। नॉकआउट मुकाबलों में आकर फिसलने के कारण टीम को काफी नुकसान उठाना पड़ा।