संजय मांजरेकर भड़के, बोले- स्टार खिलाड़ियों की पूजा से खराब हो रहा भारतीय टीम का प्रदर्शन
क्या है खबर?
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज और कॉमेंटेटर संजय मांजरेकर देश की क्रिकेट में खिलाड़ियों की पूजा और इसकी लगातार चली आ रही संस्कृति पर तीखी टिप्पणी की है।
उनका मानना है कि इस कारण टीम में बदलाव करना काफी मुश्किल हो जाता है। यह बयान उस समय आया है जब भारतीय टीम एक बड़े बदलाव के लिए तैयार हो रही है।
रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे स्टार खिलाड़ियों का बल्ला पूरी तरह से फ्लॉप साबित हो रहा है।
बयान
सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन खत्म होने के बाद भी खेलते हैं ये खिलाड़ी
मांजरेकर इस बात को लेकर चिंतित हैं कि प्रतिष्ठित खिलाड़ी पूरी टीम को प्रभावित करते हैं।
उन्होंने कहा कि इन खिलाड़ियों का जब सर्वश्रेष्ठ समय खत्म हो जाता है तब भी खेलते रहते हैं, जिससे टीम भविष्य में प्रभावित होती है।
उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स में लिखा, 'यह काफी दिनों से चला आ रहा है। जो किसी भी टीम के लिए सही नहीं है। मेरा मानना है कि दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों में इसका सबसे अधिक प्रभाव भारत पर है।'
स्टार
प्रशंसकों के कारण वरिष्ठ खिलाड़ी टीम से नहीं होते बाहर
मांजरेकर का मानना है कि इन खिलाड़ियों के कारण भारतीय क्रिकेट में फैसले भावनात्मक होकर लिए जाते हैं। चयनकर्ता प्रशंसकों की नाराजगी के डर से वरिष्ठ खिलाड़ियों को बाहर करने से कतराते हैं।
उन्होंने लिखा, "जब भी बड़े खिलाड़ियों की बात आती है तो हम एक देश के रूप में तर्कसंगत नहीं रह पाते हैं। हमारे ऊपर भावनाएं बहुत भारी पड़ती हैं। इन खिलाड़ियों पर निर्णय लेने की स्थिति में रहने वाले लोग इस माहौल से प्रभावित होते हैं।"
दिग्गज
टीम में लंबे समय से रहने के कारण उनका प्रदर्शन खराब होता है
मांजरेकर ने दिग्गज खिलाड़ियों की इस आदत की भी आलोचना की कि वे तब भी खेलते रहते हैं जब उनका प्रदर्शन गिर रहा होता है।
उन्होंने कहा कि ये खिलाड़ी टीम में लंबे समय तक बने रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनका प्रदर्शन खराब होता है।
उन्होंने लिखा, 'आमतौर पर हमारे दिग्गज खिलाड़ी बहुत कम को छोड़कर अपने बेहतरीन समय के बाद भी लंबे समय तक टीम में बने रहते हैं और उनका प्रदर्शन बहुत खराब हो जाता है।'
खराब बल्लेबाजी
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में कुछ ऐसा था रोहित और कोहली का प्रदर्शन
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में रोहित पहला टेस्ट नहीं खेले थे। इसके बाद उन्होंने 5 पारियों में 6.20 की बेहद खराब औसत से सिर्फ 31 रन बनाए। उनकी कप्तानी भी खराब रही। वह आखिरी टेस्ट में प्लेइंग इलेवन का हिस्सा भी नहीं बने।
कोहली के पर्थ में 100* रन को छोड़ दें तो वह भी पूरी तरह से फ्लॉप रहे थे। ऑफ स्टंप से बाहर जाती हुई गेंदों ने उन्हें खूब परेशान किया। उन्होंने सिर्फ 23.75 की औसत से बल्लेबाजी की।