खिलाड़ियों के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में तीनों फॉर्मेट खेलना कठिन होगा- क्विंटन डिकॉक
वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर्स के व्यस्त शेड्यूल को लेकर लगातार बातचीत चल रही है। दक्षिण अफ्रीकी विकेटकीपर बल्लेबाज क्विंटन डिकॉक ने भी अब इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। डिकॉक का मानना है कि आने वाले समय में खिलाड़ियों के लिए तीनों फॉर्मेट खेलना कठिन हो जाएगा और उन्हें अपने हिसाब से एक फॉर्मेट छोड़ना पड़ेगा। डिकॉक खुद टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं और केवल लिमिटेड ओवर्स क्रिकेट खेलते हैं।
तीनों फॉर्मेट खेलना होगा कठिन- डिकॉक
डिकॉक का कहना है कि तीनों फॉर्मेट खेलना काफी ज्यादा होगा और आने वाले कैलेंडर में अधिक मैच भी देखने को मिलेंगे। उन्होंने आगे कहा, "खिलाड़ियों को व्यक्तिगत तौर पर निर्णय लेना होगा और यदि उन्हें लगता है कि वे तीनों फॉर्मेट खेल सकते हैं तो मुझे उनके लिए खुशी होगी। खिलाड़ियों को इस बात का फैसला अपना हाथ में लेना होगा। फिलहाल मैं जहां हूं वहीं खुश हूं।"
इस साल की शुरुआत में डिकॉक ने लिया था टेस्ट से संन्यास
इस साल की शुरुआत में पहली बार पिता बनने के समय डिकॉक ने टेस्ट क्रिकेट से अचानक संन्यास ले लिया था। उन्होंने भारत के खिलाफ वनडे सीरीज में हिस्सा लिया था और फिर उन्हें दो महीने का ब्रेक मिला था। इसके बाद मार्च से डिकॉक लगातार क्रिकेट खेल रहे हैं। उन्होंने इंडियन प्रीमियर लीग, भारत के खिलाफ टी-20 सीरीज खेली और अब इंग्लैंड में हैं। वह टी-20 विश्व कप तक लगातार क्रिकेट खेलेंगे।
युवाओं को खेलना चाहिए तीनों फॉर्मेट- डिकॉक
नए खिलाड़ियों को सलाह देते हुए डिकॉक ने कहा है कि जब तक वे फिट हैं तब तक उन्हें तीनों फॉर्मेट खेलना चाहिए। उन्होंने कहा, "जब तक आपका शरीर साथ दे रहा है तीनों फॉर्मेट खेलिए। अपने करियर में आपको कुछ निश्चित चीजें करनी होती हैं। जब आपकी उम्र बढ़ने लगती है तो चीजें आपके लिए कठिन हो जाती हैं क्योंकि आपका शरीर उस तरह साथ नहीं देता जैसा कि वह पहले देता था।"
स्टोक्स ने संन्यास लेकर सबको चौंकाया
हाल ही में बेन स्टोक्स ने वनडे क्रिकेट से संन्यास ले लिया था और इसके बाद से ही यह डिबेट चालू है कि अब खिलाड़ी एक फॉर्मेट छोड़ने के लिए हिचकिचाएंगे नहीं। स्टोक्स ने अपना ध्यान टेस्ट और टी-20 पर लगाने के लिए वनडे छोड़ा है। फ्रेंचाइजी क्रिकेट में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी के बीच तीनों फॉर्मेट खेलने वाले खिलाड़ियों को आराम का मौका बेहद कम ही मिल पाता है।