अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 11वें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी
क्रिकेट के खेल में निचले क्रम के बल्लेबाजों से बड़ी पारी की उम्मीद नहीं होती है। हालांकि, कभी-कभी ये खिलाड़ी गेंदबाजों पर भारी पड़ते हैं और बड़े-बड़े स्कोर बना देते हैं। टीमों को इससे काफी परेशानी होती है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले जेम्स एंडरसन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नंबर-11 पर बल्लेबाजी करते हुए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। ऐसे में आइए शीर्ष रन बनाने वाले खिलाड़ियों पर नजर डालते हैं।
जेम्स एंडरसन (850 रन)
एंडरसन ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मुकाबला साल 2003 में खेला था। आखिरी बार वह 2024 में खेलते हुए नजर आए थे। उन्होंने 276 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले और इसकी 247 पारियों में 850 रन बनाने में सफल रहे। उनके बल्ले से सिर्फ 1 अर्धशतक निकला और उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 81 रन रहा था। इस खिलाड़ी ने अपने करियर में 7.52 की औसत से बल्लेबाजी की थी। वह 33 बार खाता खोले बिना भी पवेलियन लौटे।
ट्रेंट बोल्ट (833 रन)
इस सूची में दूसरे स्थान पर न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम के धाकड़ तेज गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट हैं। उन्होंने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मुकाबला साल 2012 में खेला था। अब तक उन्होंने 215 मुकाबले खेले हैं। इसकी 132 पारियों में 72 बार नाबाद रहते हुए 833 रन बनाए हैं। उनकी औसत 13.88 की रही है। बोल्ट ने अपने करियर में सिर्फ 1 अर्धशतक लगाया है और उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 52* रन रहा है। वह 14 बार खाता खोले भी पवेलियन लौटे हैं।
मुथैया मुरलीधरन (793 रन)
श्रीलंका के पूर्व दिग्गज स्पिन गेंदबाज मुथैया मुरलीधरन इस सूची में तीसरे स्थान पर हैं। उन्होंने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मुकाबला साल 1992 में खेला था। आखिरी बार वह 2011 में खेलते हुए नजर आए थे। 238 मुकाबलों की 157 पारियों में इस खिलाड़ी ने 793 रन बनाए थे। वह 1 भी शतक या अर्धशतक नहीं लगा पाए थे। उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 43 रन रहा था। वह 71 पारियों में नाबाद रहे थे।
ग्लेन मैक्ग्रा
ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज तेज गेंदबाज ग्लेन मैक्ग्रा इस सूची में चौथे स्थान पर हैं। इस खिलाड़ी ने 350 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले थे। इसकी 195 पारियों में 722 रन बनाने में कामयाब रहे थे। उनके बल्ले से 1 अर्धशतक निकला था और उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 61 रन रहा था। मैक्ग्रा 87 बार अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में नाबाद थे और वह 45 बार खाता खोले बिना पवेलियन लौटे थे।