वनडे विश्व कप 2023: ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम को विजेता बनाने में सहायक बने ये कारक
वनडे विश्व कप 2023 के फाइनल मुकाबले में रविवार को ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम ने भारतीय क्रिकेट टीम 6 विकेट से हराकर ट्रॉफी पर कब्जा जमा लिया। भारत ने पहले खेलते हुए 240 रन बनाए थे जिसके जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने 43 ओवर में ही 241 रन बनाते हुए आसान जीत हासिल कर ली। ऑस्ट्रेलिया ने फाइनल तक के सफर में शानदार प्रदर्शन किया और अपने इच्छाशक्ति के दम पर छठी बार विश्व कप ट्रॉफी जीती।
ऑस्ट्रेलिया ने प्रदर्शित की अंत तक लड़ने और जूझने की काबिलियत
ऑस्ट्रेलिया की पहचान एक ऐसी टीम के रूप में है जो आसानी से हथियार नहीं डालती है। इस विश्व कप में टीम ने कई मुकाबलों में अंत तक संघर्ष करते हुए बाजी मारी। ये एक प्रकार से टीम की सालों से स्थापित मानसिक दृढ़ता को भी दर्शाता है। ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी देखकर ऐसा लगता है कि जैसे उनके पास हर परिस्थिति के लिए अलग योजना रहती है। मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में भी टीम मजबूती से बाहर निकल आती है।
ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी में दिखी गहराई
पूरे टूर्नामेंट के दौरान ऑस्ट्रेलिया ने अपनी बल्लेबाजी की गहराई से भी काफी प्रभावित किया। शीर्ष क्रम के लड़खड़ाने पर मध्यक्रम ने जिम्मेदारी संभाली। मध्यक्रम लड़खड़ाया तो निचले क्रम ने जिम्मेदारी बल्लेबाजी की बागडोर अपने हाथ में ली। अफगानिस्तान के खिलाफ जब 7 बल्लेबाज आउट हो चुके थे तब पैट कमिंस ने 9वें नंबर पर खेलते हुए 68 गेंदें खेलते हुए अंत तक टिके रहे थे। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भी कमिंस और मिचेल स्टार्क ने टीम को जीत दिलाई।
डेविड वार्नर के अनुभव का टीम को मिला भरपूर फायदा
विश्व कप से पहले डेविड वार्नर की फॉर्म अच्छी नहीं थी। एक बड़ा वर्ग तो उन्हें टीम में चुने जाने के भी खिलाफ था। हालांकि, वार्नर ने अपने प्रदर्शन से यह बता दिया कि वह क्यों टीम के लिए जरूरी थे और उनकी भूमिका क्या थी। जहां तेज खेलने की जरूरत थी, वहां वह तेज खेली और जहां बात साझेदारी की थी, वहां उन्होंने मजबूती से एक छोर संभाला। वार्नर (535) टूर्नामेंट में सर्वाधिक रन बनाने वाले ऑस्ट्रेलियाई रहे।
टीम के भरोसे पर खरे उतरे ट्रेविस हेड
अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए मशहूर ट्रेविस हेड टूर्नामेंट से पहले अनफिट थे। इसके बावजूद टीम मैनेजमेंट ने उन्हें दल मेंं रखा था। उन्होंने भी टीम की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए धमाकेदार प्रदर्शन कर अपनी उपयोगिता साबित कर दी। भारत जैसी मजबूत टीम के खिलाफ फाइनल में उन्होंने अपनी शानदार शतकीय पारी (137) से मैच को लगभग एकतरफा सा बना दिया। उन्होंने टूर्नामेंट के 6 मैचों में 2 शतकों की मदद से 329 रन बना डाले।
ग्लेन मैक्सवेल के जोश से टीम ने किया नामुमकिन को मुमकिन
इस पूरे विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया को सबसे अधिक मुश्किल का सामना अफगानिस्तान क्रिकेट टीम के खिलाफ करना पड़ा था। उस मैच में टीम 91/7 विकेट गंवा चुकी थी। लक्ष्य दूर था और ग्लेन मैक्सवेल के रूप में केवल एक विशेषज्ञ बल्लेबाज मैदान पर था। जीत असंभव दिख रही थी, लेकिन मैक्सवेल ने 201* रन (21 चौकै, 10 छक्के) की पारी खेलते हुए टीम को यादगार जीत दिला थी। उन्होंने टूर्नामेंट में 400 रन बनाए।
ऑस्ट्रेलिया का ओवरऑल गेंदबाजी पक्ष रहा कमजोर
इस विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया का गेंदबाजी आक्रमण पूरी क्षमता से परिपूर्ण नजर नहीं आया। टीम ने भले ही मैच जीते, लेकिन उसकी गेंदबाजी ने निराश ही किया। कई बार बड़े-बड़े स्कोर बनाने के बावजूद टीम को उसे बचाने के लिए अंत तक संघर्ष करना पड़ा। अनुभवी गेंदबाज स्टार्क 9 मैचों में 16 विकेट ही ले पाए। जोश हेजलवुड भी 11 मैचों में 16 विकेट ही ले पाए। कप्तान कमिंस (15 विकेट) भी गेंद से औसत ही दिखे।
एडम जैम्पा ने अपने कंधों पर उठाया स्पिन गेंदबाजी का पूरा भार
ऑस्ट्रेलिया के विश्व कप अभियान में एकमात्र विशेषज्ञ स्पिनर एडम जैम्पा कमाल का प्रदर्शन किया। उन्होंने स्पिन विभाग का पूरा भार अपने कंधों पर उठाया और मीडिल ओवर्स में टीम को महत्वपूर्ण विकेट भी निकालकर दिए और रन गति पर भी अंकुश लगाया। वह टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया की ओर से पहले और ओवरऑल दूसरे सबसे अधिक विकेट (23) लेने वाले गेंदबाज रहे। उनके पास ज्यादा विविधताएं नहीं हैं, बावजूद इसके वह अपनी गहरी छाप छोड़ने में कामयाब रहे।